Rajasthan me Khanij - देश में सर्वाधिक खानें राजस्थान में हैं और राजस्थान में भी अरावली प्रदेश और पठारी प्रदेश खनिजों से सम्पन्न प्रदेश हैं, राजस्थान में कुल 82 प्रकार के खनिज उत्पादित होते हैं जिसमें वर्तमान में 57 खनिजों का उत्पादन हो रहा है, इसी कारण राजस्थान को खनिजों का अजायबघर/खनिजों का संग्रहालय कहते हैं।
Rajasthan me Khanij - राजस्थान में खनिज संसाधन
भारत में खनिज भण्डारों की दृष्टि से झारखण्ड के बाद राजस्थान देश में दूसरा स्थान रखता हैं तथा खनिजों की आय की दृष्टि से राजस्थान का देश में पाँचवां स्थान (झारखण्ड, मध्यप्रदेश, गुजरात एवं असोम के बाद पाँचवाँ स्थान) है।
ध्यान रहे - अलौह खनिजों के उत्पादन मूल्य की दृष्टि से राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है जबकि लौह खनिजों के उत्पादन मूल्य की दृष्टि से राजस्थान का देश में चतुर्थ स्थान है। प्राकृतिक संसाधनों की प्रकृति एवं उपलब्धता के आधार पर वर्तमान में राजस्थान के औद्योगिक विकास में खनिज आधारित निवेश सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
देश के कुल खनिज उत्पादन में राजस्थान का लगभग 22 प्रतिशत योगदान है जिसमें से राज्य का 15 प्रतिशत धात्विक, 25 प्रतिशत अधात्विक एवं 26 प्रतिशत लघु श्रेणी के खनिजों का योगदान है। खनिज सम्पदा की विविधता की दृष्टि से यहाँ खनन योग्य 67 प्रकार के खनिज उपलब्ध है, जिनमें से 44 प्रकार के प्रधान (1960 के खनिज रियासती नियम (MCR) के अन्तर्गत आने वाले खनिज प्रधान खनिज कहलाते हैं) और 23 प्रकार के गौण खनिजों (1986 के अप्रधान खनिज रियासती नियम (MMCR) के अन्तर्गत आने वाले खनिज अप्रधान खनिज कहलाते हैं) का खनन कार्य होता है।
ध्यातव्य रहे - खनन की वह प्रक्रिया जिसमें कम गहराई में पाए जाने वाले खनिजों की ऊपरी सतह हटाकर निकाला जाता है। 'ओपन कास्ट खनन' कहलाता है। खान ब्लॉकों की ई-नीलामी करने वाला देश का पहला राज्य राजस्थान है। जहाँ पहली बार जनवरी 2016 में चित्तौड़गढ़ के दो एवं नागौर के एक सीमेंट ब्लॉक की ई-नीलामी की गई तो राजस्थान खनन और भू-विज्ञानी विभाग का मुख्यालय उदयपुर में स्थित है।
राजस्थान तामड़ा, पन्ना, जास्फर, वोलेस्टोनाइट (चारों का शतप्रतिशत उत्पादन राजस्थान में), सीसा जस्ता, संगमरमर, चाँदी, रॉक फास्फेट, कैडमियम, एस्बेस्टॉस, फायरक्ले, जिप्सम आदि में देश में एकाधिकार रखता है। राजस्थान टंगस्टन, जिप्सम, ताँबा, एस्बेस्टॉस, सिलिका, इमारती पत्थर, चूना पत्थर, अभ्रक, फैल्सपार आदि खनिजों में देश में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है जबकि लौहा, मैंग्नीज, कोयला, पेट्रोलियम, ग्रेफाइट, कियोनाइट, बेन्येनाइट, डर्मेलाइट आदि खनिजों की राजस्थान में कमी है। राजस्थान में स्टील ग्रेड चूना ' जैसलमेर व नागौर' जिले में पाया जाता है।
अभी हाल ही में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा बाड़मेर जिले के सिवाना क्षेत्र के देवड़ा गाँव की पहाड़ियों में रेअर अर्थ मिला है तो तेल और कोयले की बदौलत देश की खनिज की आर्थिक राजधानी बाड़मेर जिला बन रहा है।
राज्य सरकार ने निजी विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े दिशा निर्देशों के अधीन पेट्रोलियम, ऊर्जा एवं खनन विश्वविद्यालय, जोधपुर के लिए आशय पत्र जारी किया है।
राजस्थान के खनिजों में उत्पादन की देश के संदर्भ में स्थिति
खनिज |
देश का प्रतिशत उत्पादन |
वोलेस्टोनाइट |
100% |
जास्पर |
100% |
जस्ता |
100% |
चाँदी- सीसा |
99.96% |
फ्लोराइट |
99% |
जिप्सम |
99% |
मार्बल |
99% |
एस्बेस्टॉस |
99% |
रॉक फॉस्फेट |
99% |
फैल्सपार |
95.5% |
बाल क्ले |
92% |
घीया पत्थर ( सोपस्टोन) |
87% |
कोटा स्टोन |
70% |
केल्साइट |
70% |
सैण्डस्टोन |
70% |
खनिजों के प्रकार
(1) धात्विक खनिज - वे खनिज जो धातु (चाँदी, लोहा, सोना, जस्ता, टंगस्टन इत्यादि) से बने हों अथवा जिसका प्रयोग एक बार से अधिक बार (एक वस्तु को गलाकर दूसरी वस्तु बनाना) किया जाता हो, वे धात्विक खनिज कहलाते हैं। धात्विक खनिज आग्नेय चट्टानों/ धारवाड़ की चट्टानों/ गौड़वाना लैण्ड की चट्टानों से प्राप्त होता है।
राजस्थान में पाये जाने वाले प्रमुख धात्विक खनिज
सीसा, जस्ता व चाँदी - यह तीनों धातु मिश्रित रूप में मिलती अतः इसके अयस्क को "गैलेना" कहते हैं। राजस्थान की सबसे बड़ी सीसे की खान जावर (उदयपुर) में है। इनके उत्पादन में राजस्थान का भारत में प्रथम स्थान है, उदयपुर के देबारी गाँव में भारत सरकार का "हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड" का कारखाना है जिसे अवैध खनन को रोकने हेतु उच्चतम न्यायालय द्वारा बन्द करवा दिया गया है, जबकि चंदेरिया (चित्तौड़गढ़) में ब्रिटेन की सहायता से "सुपर जिंक स्मेल्टर" संयंत्र स्थापित किया गया है जिसका एशिया में प्रथम स्थान है। राज्य में सीसा गलाने का संयंत्र नहीं होने के कारण इसे बिहार भेजा जाता है।
उत्पादक क्षेत्र -
जावर, देबारी (उदयपुर) में, रामपुरा, आगूचा (भीलवाड़ा) में, राजपुरा, दरीबा (राजसमन्द) में, चौथ का बरवाड़ा (सवाई माधोपुर) आदि में ।
ध्यान रहे - सीसा एवं जस्ता अयस्क के साथ चाँदी प्राप्त होती है। देश की चाँदी की सबसे बड़ी खान जावर (उदयपुर) में है, जहाँ से देश की कुल चाँदी की 99.96% चाँदी (बाकी 0.4% कर्नाटक राज्य से) प्राप्त होती है। विश्व में चाँदी में प्रथम स्थान मैक्सिको का है। आर्कियन व प्रोटेरोजोइक काल की चट्टानों में सीसा तथा जस्ता मिलता है।
लोहा -
लौह अयस्क मुख्यतया चार प्रकार (मैग्नेटाइट, हैमेटाइट, लिमोनाइट व लैटेराइट) का होता है। राज्य में सर्वाधिक हैमेटाइट किस्म का जबकि कुछ मैग्नेटाइट किस्म का लोहा मिलता है, भारत में सिंहभूमि खान (झारखण्ड-प्रथम) व मयूरभंज खान (उड़ीसा-द्वितीय) लोह अयस्क के लिए प्रसिद्ध है, राजस्थान का इनके बाद तीसरा स्थान है राजस्थान में सर्वाधिक लोहा जयपुर में, जबकि सर्वाधिक कच्चा लोहा कानपुर से निकाला जाता है।
उत्पादक क्षेत्र -
मोरीजा बनोला (सामौद, जयपुर), चौमूँ (जयपुर), नीमला राइसेला (दौसा), काली पहाड़ी, डाबला, सिंघाना (झुंझुनूं), नाथरा की पाल, धुर हुण्डेर (उदयपुर) में।
ध्यातव्य रहे - भीलवाड़ा जिले के हमीरगढ़ क्षेत्र की पहाड़ियों में लौह अयस्क का भण्डार मिला जिसके बाद अब भीलवाड़ा में जिंदल स्टील द्वारा स्टील प्लांट लगाया जायेगा। यह प्रदेश का पहला स्टील प्लांट होगा।
ताँबा -
यह अलौह धातु में महत्वपूर्ण खनिज है जो बहुत ही लचीला व बिजली का उत्तम सुचालक है। तांबे के भण्डार की दृष्टि से राजस्थान का देश में बिहार व आंध्र प्रदेश के बाद तीसरा स्थान है, तो राजस्थान का उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड के बाद देश में दूसरा स्थान है। देश की सबसे बड़ी ताँबे की खान खेतड़ी सिंघाना (झुंझुनूं) में है अतः झुंझुनूं को ताँबा जिला कहते हैं। खेतड़ी में भारत सरकार का " हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड" उपक्रम अमेरिका की सहायता से लगा हुआ है।
उत्पादक क्षेत्र
खेतड़ी सिंघाना (झुंझुनूं), खो-दरीबा (अलवर), बन्नी वालों की ढाणी (सीकर), पुर दरीबा, बनेड़ा (भीलवाडा), बींदासर (बीकानेर), आबूरोड (सिरोही) में। राजस्थान के झुंझुनूं जिलें में ताँबा प्रगालक (स्मेलटर) स्थित है।
ध्यातव्य रहें :- हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड' उदयपुर में है।
टंगस्टन -
यह धातु बुल्फ्रेमाइट अयस्क से प्राप्त होती है। देश की एक मात्र सबसे बड़ी टंगस्टन की खान-डेगाना (नागौर जिले) के भाकरी गाँव में रेव पहाड़ी पर स्थित है। टंगस्टन उच्च गलनांक वाली धातु है जो सामरिक कार्यों में व विद्युत सामान बनाने में उपयोगी है।
उत्पादक क्षेत्र -
डेगाना (नागौर), वाल्दा (सिरोही) । ध्यान रहे-राजस्थान राज्य टंग्स्टन विकास निगम द्वारा सिरोही जिले के वाल्दा गाँव में खनन कार्य किया जा रहा है।
मैंग्नीज -
यह धातु मुख्यतया पायरोल्युराइट, ब्राउनाइट, राइलोमिलोन के रूप में मिलता है जो इस्पात को कठोर बनाने में, रंग रोगन में, चीनी मिट्टी के बर्तनों में, उर्वरकों आदि में प्रयोग में आता है।
उत्पादक क्षेत्र
सर्वाधिक सागवा, लीलवानी, कालाबूय, तलवाड़ा (बाँसवाड़), उदयपुर, जयपुर आदि में । मार्च 2005 में बाँसवाड़ा जिले में 2 करोड़ 5 लाख टन स्वर्ण अयस्क के भण्डार प्राप्त हुए। मैग्नीज को जैकमिनरल कहा जाता है।
सोना -
जगपुरा (बाँसवाड़ा) में सोना दोहन कार्य 'हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड' द्वारा किया गया था लेकिन यहाँ स्वर्ण भण्डार गहराई पर होने से दोहन संभव नहीं हो पाया।
उत्पादक क्षेत्र
आनन्दपुरी, भूकिया (बाँसवाड़ा), धानी बासड़ी (दौसा), धानोटा (झुंझुनूं) में।
(2) अधात्विक खनिज
वे खनिज जो धातु से निर्मित नहीं होते, वो अघात्विक खनिज कहलाते हैं। सामान्य भाषा में पत्थर एवं मिट्टी से बने खनिज अधात्विक खनिज कहलाते हैं। अधात्विक खनिज अवसादी चट्टानों से प्राप्त होता है।
राजस्थान में पाये जाने वाले प्रमुख अधात्विक खनिज-
जिप्सम / सेलखड़ी / हरसोंठ -
भारत में जिप्सम के कुल उत्पादन का 99% उत्पादन राजस्थान में होता है, इसी कारण इसके उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। इसके रवेदार रूप को सैलेनाइट कहते हैं। इसका उपयोग मिट्टी की क्षारीयता व लवणता की समस्या को दूर करने में व उर्वरक खजिन बनाने में किया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र -
गोठ-माँगलोद, भदवासी (नागौर), रामसर व जामसर (बीकानेर), मोहनगढ़ (जैसलमेर) में। जिप्सम के 2 तिहाई भण्डार नागौर (राज्य में प्रथम) जिले में पाया जाता है।
चूना पत्थर / लाइम स्टोन -
यह राज्य में सर्वाधिक तथा सर्वव्यापी खनिज है, जो अवसादी चट्टानों से प्राप्त होता है। इसका उपयोग सीमेन्ट उद्योग में होता है, इसी कारण राजस्थान में जहाँ चूना पत्थर (कैल पाया जाता है, वहाँ सीमेंट उद्योग की अधिकांश संभावना होती है। राजस्थान में सर्वाधिक चूना उद्योग चित्तौडगढ़ में है और चूना उत्पादन की दृष्टि से चित्तौडगढ़ जिला प्रथम स्थान पर है।
उत्पादक क्षेत्र -
सानू (जैसलमेर), लाखेरी (बूंदी), गोटन (नागौर), खारिया खंगार (जोधपुर)। राज्य में स्टील ग्रेड चूना जैसलमेर- नागौर जिलें में पाया जाता है।
फ्लोर्सपार / फ्लोराइट -
फ्लोराइट के उत्पादन में राजस्थान भारत में अपना एकाधिकार रखता है। राजस्थान में हूँगरपुर जिले की माँडो की पाल एकमात्र खान है, जहाँ फ्लोराइट संयंत्र की स्थापना की है, जो 1956 से उत्पादन कर रहा है। इसका उपयोग कीटनाशक दवाई बनाने में, सिरेमिक उद्योग में, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाने में किया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र -
माण्डवा की पाल (डूंगरपुर) में करारा, भीनमाल (जालौर) में, आसींद (भीलवाड़ा) में।
फैल्सपार -
भारत का 61% फैल्सपार राजस्थान में जबकि राजस्थान का 95.5% फैल्सपार मकरेड़ा (अजमेर) में मिलता है।
एस्बेस्टॉस -
देश में इसके उत्पादन में राजस्थान का एकाधिकार है क्योंकि यहाँ देश का 99 प्रतिशत एस्बेस्टॉस मिलता है। यह दो प्रकार (क्राइसोलाइट व एम्फीबॉल) का होता है, जिसमें से राजस्थान में एम्फीबॉल किस्म का ऐस्बेस्टोस मिलता है। इसका उपयोग सीमेन्ट की चादरें व टाइल्स बनाने में किया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र ऋषभदेव, खैरवाड़ा, सलूम्बर (उदयपुर) में, डूंगरपुर में राजसमन्द में।
इमारती पत्थर -
इस पत्थर के उत्पादन में राज्य का देश में प्रथम स्थान है जबकि राज्य में जोधपुर का स्थान प्रथम है। ध्यान रहे बादामी पत्थर (जोधपुर), स्लेटी पत्थर (अलवर), गुलाबी पत्थर (भरतपुर), काला पत्थर व घीया पत्थर (डूंगरपुर), गेरू पत्थर (चित्तौड़गढ़), कोटा स्टोन (कोटा), लाल पत्थर (धौलपुर व करौली) रॉक फास्फेट (झामर कोटड़ा) में मिलते हैं।
ग्रेनाइट-
यह आग्नेय चट्टान में मिलता है, जो कि कठोर होता है। विश्व में यह सबसे महंगा पत्थर है। राज्य में मुख्यतः ग्रेनाइट छप्पन की पहाड़ी सिवाना (बाड़मेर) से प्राप्त होता है, इसी कारण छप्पन की पहाड़ी को ग्रेनाइट पर्वत एवं जालौर को 'ग्रेनाइट सिटी' कहते हैं।
ध्यान रहे - राजस्थान में जालौर से पिंक ग्रेनाइट (गुलाबी), जयपुर जिले के कालाडेरा से काला ग्रेनाइट, बाँधनवाड़ा (अजमेर) से गुलाबी काला ग्रेनाइट तथा जैसलमेर से पीला ग्रेनाइट प्राप्त किया जाता है।
संगमरमर
यह कायान्तरित / रूपान्तरित चट्टान है जो चूने के पत्थर (अवसादी) से बनता है। संगमरमर पत्थरों में सर्वाधिक मूल्य अर्जित करता है। किशनगढ़ (अजमेर) में मार्बल प्रोसेसिंग इकाईयाँ व राज्य की सबसे बड़ी मार्बल मण्डी है। संगमरमर के उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। राजस्थान में सर्वाधिक संगमरमर राजसमन्द में जबकि सबसे अच्छी किस्म ( कैल्साइट ) का संगमरमर मकराना (नागौर) में मिलता है, जिससे आगरा का ताजमहल बना है।
ध्यातव्य रहे - संगमरमर (मार्बल) राजसमंद से सफ़ेद, उदयपुर से हरा संगमरमर, जालौर से गुलाबी, डूंगरपुर से हल्के हरे रंग का संगमरमर, नागौर से सर्वश्रेष्ठ प्रकार का सफेद मार्बल, जयपुर जिले (संगमरमर की मूर्तियों हेतु प्रसिद्ध है) के भैंसलाना से काला, पाली जिले से खदरा गांव से सतरंगी मार्बल, अलवर से सफेद स्फटिकीय संगमरमर तथा जैसलमेर जिले (संगमरमर की जालियों हेतु प्रसिद्ध है) के पिछला गांव से पीला मार्बल प्राप्त होता है।
अभ्रक -
यह आग्नेय व कायान्तरित चट्टानों से प्राप्त होता है। सफेद रंग की अभ्रक को रूबी व हल्की गुलाबी रंग की अभ्रक को बायोटाइट कहते हैं। अभ्रक अज्वलनशील खनिज है जो विद्युत का कुचालक है। इसका उपयोग वायुमण्डल उपग्रह व बिजली के सामान बनाने में किया जाता है। धातुओं को पिघलाने वाली घमन भट्टियों में इसका लेप चढ़ा होता है। देश में बिहार, उत्तरप्रदेश के बाद राजस्थान का तीसरा स्थान है। अभ्रक की चादरें बनाने का करखाना "माइकेनाइट" भीलवाड़ा में है।
उत्पादक क्षेत्र दांता, भूणास, बनेडी, फुलिया (भीलवाड़ा) में, बरला, मानखण्ड, धौली (टोंक) में।
पन्ना / हरी अग्नि / संस्कृत में मरकत या तार्क्ष्य / अंग्रेजी में एमरल्ड -
देश में इसके उत्पादन में राजस्थान का एकाधिकार है। यह एक हरे रंग का बहुमूल्य पत्थर है।
उत्पादक क्षेत्र- कालागुमान (राजसमंद) (राजस्थान सर्वप्रथम 1943 में यहाँ पता चला)उदयपुर में, डूंगरपुर में ।
तामड़ा / गारनेट / रक्तमणि -
यह लाल रंग का अर्द्ध बहुमूल्य पत्थर है। उत्पादक क्षेत्र - सरवाड़ (अजमेर) में, राजमहल (टोंक) में जनकपुरा में।
रॉक फॉस्फेट -
इसके उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। इसके शुद्धिकरण हेतु उदयपुर में परिशोधन सयंत्र लगाया गया है। इसका उपयोग खनिज उर्वरक “सुपर फॉस्फेट" बनाने में किया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र - झामर कोटड़ा (उदयपुर) में, बिरमानियां व लाठी क्षेत्र (जैसलमेर) में।
मुल्तानी मिट्टी-
राजस्थान में भारत की 90% मुल्तानी मिट्टी पाई जाती है। इसका उपयोग विरंजक के रूप में व सौन्दर्य प्रसादन के रूप में होता है।
बेन्टोमाइट-
यह पानी में भिगोने पर फूल जाती है। इसका उपयोग वनस्पति तेल व खनिज तेल को साफ करने में होता है। उत्पादक क्षेत्र- हाथी की ढ़ाणी, गिरल (बाड़मेर) में।
हीरे की खान राजस्थान में केसरपुरा में है। दिल्ली के लाल किले के लिए लाल पत्थर धौलपुर से आया। जिप्सम चुरू-बीकानेर श्रीगंगानगर पट्टी में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है, जो कि
- पर्यावरण प्रदूषण का कारण है,
- मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में काम आता है तथा
- गुणात्मक संवर्द्धन के उपरांत उसका उपयोग स्वास्थ्य तथा निर्माण क्षेत्र में होता है।
( 3 ) ईंधन खनिज-
वे खनिज जिससे ऊर्जा प्राप्त होती है और उसका दुबारा प्रयोग नहीं किया जाता है, ईंधन खनिज कहलाते हैं। ईंधन खनिज कायान्तरित चट्टानों से प्राप्त होता है।
यूरेनियम ( पिंच ब्लैण्ड) -
यह एक आण्विक खनिज है। देश में यूरेनियम की सबसे बड़ी खान जादूगुड़ा (झारखण्ड) में है। उत्पादक की क्षेत्र - कुराड़िया गाँव (जहाजपुर, भीलवाड़ा), डूँगरपुर, बाँसवाड़ा।
कोयला -
कोयले के भण्डारों की दृष्टि से देश में तमिलनाडु के बाद राजस्थान का दूसरा स्थान है। राजस्थान में सर्वाधिक लिग्नाइट (भूरा) कोयला पाया जाता है, तो राजस्थान में सर्वाधिक कोयला कपूरड़ी (बाड़मेर) में जबकि सर्वश्रेष्ठ लिग्नाइट कोयला पलाना (बीकानेर) में मिलता है।
उत्पादक क्षेत्र - कपूरड़ी, जालीपा, गिरल (बाड़मेर) में, पलाना, बरसिंगसर, घानेर, गुढ़ा, गंगासर, (बीकानेर में), मेड़ता रोड़, सोनारी, मातासुख, कसनाऊ (नागौर) में।
खनिज तेल / पेट्रोल -
यह अवसादी चट्टानों से प्राप्त होता है जो हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होता है। पेट्रोल उत्पादन में देश में प्रथम स्थान महाराष्ट्र का है, तो राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है, तो राजस्थान में पेट्रोलियम के सर्वाधिक भण्डार बाड़मेर जिले में हैं। गुढ़ामलानी (बाड़मेर) में पेट्रोल विश्व में सबसे कम गहराई पर तथा उत्तम श्रेणी का मिलता है, तो बाड़मेर का सांचौर क्षेत्र (सांचौर गाँव, जालौर में है ) पेट्रोल के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान में तेल का पहला कुँआ जैसलमेर जिले का सांदेवाला है।
एच.पी.सी.एल. (राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड) के रिफाइनरी सह पैट्रोकेमिकल संकुल का शिलान्यास 22 सितम्बर, 2013 को पंचपदरा (बाड़मेर) में श्रीमती सोनिया गाँधी ने किया।
राजस्थान भारत का 15वाँ राज्य है, जहाँ रिफाइनरी लगेगी। यह भारत की 26वीं रिफाइनरी है।
राजस्थान के पंचपदरा (बाड़मेर) में 9 मिलियन मैट्रिक टन की रिफाइनरी स्थापित करने के लिए 18 अप्रैल, 2017 को राजस्थान सरकार (26%) ने नये सिरे से हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (74%) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसे 16 अगस्त, 2017 को केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 जनवरी, 2018 को राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड की 9 मिलियन टन वार्षिक क्षमता से राजस्थान रिफाइनरी परियोजना का शुभारम्भ किया।
ध्यान रहे बाड़मेर में तेल निकालने के काम में 'केयर्न इनर्जी' कंपनी कार्यशील है, तो केयर्न इंडिया द्वारा बाड़मेर में तेल क्षेत्र संचालित किए जाते है।
राज्य का राष्ट्र के नाम समर्पित पहला तेल का कुआँ बाड़मेर की गुढ़ामलाणी क्षेत्र का मंगला प्रथम है, जबकि शीघ्र ही इसी क्षेत्र के भाग्यम्, विजया, सरस्वती एवं राजेश्वरी कुएँ से भी तेल निकाला जायेगा। गुढ़ामलाणी क्षेत्र के बायतू में खोदे गये कुएँ से गैसोलीन की मात्रा अधिक होने से वायुयानों का ईंधन मिला है। राज्य में अन्य प्रमुख पेट्रोलियम के कुएँ-जैसलमेर में साण्डेवाला, गंगानगर में देश चिन्नेवाला, व बीकानेर में रावलामण्डी में है। उत्पादक क्षेत्र-मग्गा क की ढाणी, शिव, डाला नाडा, फतेह नाडा (बाड़मेर) में, सांदेवाला, तनोट (जैसलमेर) में, बागेवाला तुवरीवाला (बीकानेर) में रावलामण्डी, बाद नानूवाला, चिन्नेवाला (गंगानगर) में।
राज्य में निम्न 4 पेट्रोलियम संभव्य क्षेत्र हैं-
- राजस्थान शेल्फ: जिला जैसलमेर एवं अंशत: बीकानेर
- बाड़मेर- सांचोर बेसिन: जिला बाड़मेर एवं सांचोर
- बीकानेर-नागौर बेसिनः जिला बीकानेर, नागौर, गंगानगर एवं चुरु
- विंध्यन बेसिनः जिला कोटा, झालावाड़, बारां एवं अंशत: बूँदी, चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा।
प्राकृतिक गैस -
राजस्थान में सर्वप्रथम 1956 में हवाई चुम्बकीय 7 सर्वेक्षण के द्वारा जैसलमेर में प्राकृतिक गैस व तेल के भण्डार मिले। राजस्थान में प्राकृतिक गैस के सर्वाधिक भण्डार जैसलमेर में हैं तथा प्राकृतिक गैस का पहला कुआँ जैसलमेर जिले का डाँडेवाला है। राज्य में ओएनजीसी द्वारा प्रस्तावित रिफाइनरी बाड़मेर जिले के 'लीलाणा' गाँव में है।
उत्पादक क्षेत्र -
डांडेवाला, कमतीताल, घोटारू (यहाँ हीलियम व मीथेन गैस के भण्डार मिले हैं), तनोट, मनिहारी टीब्बा, ऐश्वर्या गैस कुआँ (जैसलमेर) में, रागेश्वरी पाँच, कामेश्वरी कुआँ (बाड़मेर) में गैस आधारित थर्मल पॉवर स्टेशन धौलपुर में स्थित है तो परमाणु बिजलीघर चित्तौड़गढ़ में स्थित है।
18 अगस्त, 2017 को राजस्थान राज्य के लिमिटेड व गेल इंडिया के मध्य बिजनेस ट्रांसफर को लेकर करार हुआ जिसके तहत 18 अगस्त, 2017 को ही कोटा क्लीन एनर्जी नेटवर्क का लोकार्पण किया गया और शीघ्र ही कोटा शहर मे पाइप लाइन से गैस आपूर्ति शुरू होगी।
केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं गैस राज्यमंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 4 दिसम्बर, 2015 को जोबनेर के आसलपुर में कोटा जोबनेर पाइप लाइन को राष्ट्र को समर्पित की। राज्य में अभ्रक ईंटों का निर्माण भीलवाड़ा जिलें में होता है।
राजस्थान स्थित खनिज सम्पदा की जिलेवार सूची
खनिज |
जिला |
चूना पत्थर |
उदयपुर, जयपुर, सवाई माधोपुर, जोधपुर, कोटा |
चीनी मृदा |
अलवर, सीकर, जालौर, सवाई माधोपुर |
चांदी |
उदयपुर |
डोलोमाइट |
अजमेर, अलवर, जयपुर,जोधपुर, सीकर |
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