भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं - दोस्तों आज Rajgk आपके लिये India GK in Hindi me  भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं share कर रहे है, जो की General Knowledge (सामान्य ज्ञान) से सम्बंधित है. इस में भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं सामान्य ज्ञान आपको पढने को मिलेगा.

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं

  1. लिखित एवं निर्मित संविधान, 
  2. विश्व का सबसे बड़ा संविधान, 
  3. संविधान की प्रस्तावना 
  4. भारतीय संविधान में विभिन्न संविधानों का समावेश 
  5. कठोर एवं लचीलापन का संविधान में समन्वय 
  6. संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य 
  7. लोकतंत्रात्मक गणराज्य 
  8. सरकार का संसदीय रूप

संविधान की प्रकृति

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं


कठोर - (i) अमेरिका से (ii) स्विट्जरलैण्ड से
लचीला - ब्रिटेन से
मिश्रित - भारत

कठोर (अनम्य) संविधान - 

जिस संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया सरल न होकर जटिल हो, कठोर (अनम्य) संविधान कहलाता है। विश्व का सबसे कठोर संविधान अमेरिका का है।

लचीला (नम्य) संविधान - 

जिस संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया सरल हो, वह लचीला (नम्य) संविधान कहलाता है। विश्व का सबसे लचीला संविधान ब्रिटेन का है।

मिश्रित संविधान - 

जिस संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया जटिल और सरल का मिश्रण हो, मिश्रित संविधान कहलाता है। विश्व का मिश्रित संविधान भारत का है। भारत विकास के लिए लचीला परन्तु संघ, एकता व अखण्डता के लिए कठोर है।

(ii) संविधान की संरचना
लिखित (अमेरिका, भारत)
अलिखित (ब्रिटेन)

लिखित संविधान - 

वह संविधान जिसे लिखने के लिए किसी निश्चित संविधान सभा का गठन किया गया हो, लिखित संविधान कहलाता है। जैसे-अमेरिका का संविधान, भारत का संविधान।

अलिखित संविधान - 

वह संविधान जो रीति-रिवाज एवं परम्पराओं पर आधारित होते हैं। ये संविधान भी लिखित होते हैं लेकिन इसे लिखने के लिये किसी निश्चित संविधान सभा का गठन नहीं किया जाता इसलिए यह अलिखित संविधान कहलाता है। विश्व में केवल ब्रिटेन का संविधान अलिखित है।

  1. संसदीय शासन पद्धति में ब्रिटेन की संसद को 'संसदों की जननी' कहा जाता है।
  2. विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत में पाया जाता है लेकिन 'प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का घर' स्विट्जरलैण्ड कहलाता है। 
  3. भारतीय संविधान का मूल स्त्रोत भारत की जनता है तो डॉ.अम्बेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है।

लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान -

भारतीय संविधान भारतीय जनता द्वारा निर्मित संविधान है इस संविधान द्वारा अंतिम शक्ति भारतीय जनता को प्रदान की गई है।

सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य - 

सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न का अर्थ है कि आन्तरिक या बाह्य दृष्टि से भारत पर किसी विरोधी सत्ता का अधिकार नहीं है। लोकतंत्रात्मक राज्य का अर्थ है कि भारत में राजसत्ता जनता में निहित है और जनता को अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने का स्वतन्त्र अधिकार है। भ गणराज्य है क्योंकि भारत राज्य का सर्वोच्च अधिकारी वंशानुगत न होकर भारतीय जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति है।

धर्म निरपेक्ष राज्य / पंथ निरपेक्ष - 

42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा प्रस्तावना में भारत को एक धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया है। 'राज्य की दृष्टि से सभी धर्म समान है और राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलम्बियों में कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा [CTET-2015]।'मौलिक अधिकारों में अनुच्छेद 25 से 28 में इसका प्रावधान है।

 एकात्मक लक्षणों सहित संघात्मक शासन -

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 के अनुसार-इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का एक संघ होगा । इस प्रकार भारत में संघात्मक शासन की स्थापना की गई है, लेकिन एकात्मक लक्षण भी विद्यमान है।

एक राजभाषा एवं एकल नागरिकता -

राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने के लिए हमारे संविधान में हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया है (भाषा अनुच्छेद 343 से 351) तथा एकल नागरिकता का प्रावधान किया है (नागरिकता-अनुच्छेद 5 से 11)।

विशालकाय एवं लिखित संविधान |BTET-2011] -

भारतीय संविधान विश्व का सर्वाधिक व्यापक संविधान है। जिसमें 395 अनुच्छेद 22 भाग व 12 अनुसूचियाँ है। संविधान की व्यापकता का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसमें न केवल सिद्धान्तों का वर्णन, वरन् प्रशासनिक प्रबंधों का भी विस्तृत वर्णन है। इसके अतिरिक्त संघ एवं राज्यों के बीच के सम्बन्धों का भी विशद् वर्णन किया गया है।

समाजवादी राज्य -

42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा प्रस्तावना में भारत को समाजवादी राज्य घोषित किया गया है। लेकिन यह परिचित समाजवादों से भिन्न है। सम्पूर्ण सार्वजनिक सम्पत्ति सरकार के हाथों में होगी और सरकार इसका प्रयोग सभी में समानता के साथ करेगी।

संसदात्मक शासन व्यवस्था [CTET-2018 ] 

शासन की वास्तविक सत्ता मन्त्रिपरिषद् में निहित है। जिसे व्यवस्थापिका निर्वाचित करती है और यह व्यवस्थापिका के प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर रहती हैं और उसी के प्रति उत्तरदायी है। कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका आपस में अन्तर्सबंधित हैं राष्ट्रपति एवं राज्यपाल संवैधानिक एवं नाममात्र प्रमुख है।

संसदीय प्रभुसत्ता तथा न्यायिक सर्वोच्चता में समन्वय -

भारत में संसदात्मक व्यवस्था को अपनाकर संसद की सर्वोच्चता को स्वीकार किया गया है। लेकिन इसके साथ ही संघात्मक व्यवस्था के आदर्श के अनुरूप न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने तथा उन विधियों एवं आदेशों को अवैध घोषित करने का अधिकार दिया है, जो संविधान के विरुद्ध हो ।

न्यायिक पुनरावलोकन (अनुच्छेद-13) 

न्यायालय के इस अधिकार के साथ ही संसद को यह अधिकार भी है कि वह न्यायालय की शक्तियों को आवश्यकतानुसार सीमित कर सकती है। इस प्रकार न तो ब्रिटेन के समान संसदीय प्रभुसत्ता को स्वीकार किया गया है और न ही अमरीका की भाँति न्यायपालिका की सर्वोच्चता।

ध्यातव्य रहे - प्रत्येक नागरिक को रोजगार की सुरक्षा, भारतीय संविधान की विशेषता है।

संविधान के स्त्रोत

भारतीय संविधान विभिन्न देशों के मूल ढाँचे से जुड़ा हुआ। दूसरे देशों की आधारभूत कानूनों को लेकर एक विस्तृत संविधान तैयार किया गया। संविधान निर्माण से पूर्व 60 राष्ट्रों के संविधान का अध्ययन किया गया।

भारत का संविधान अनेक देशों के संविधान से लिए गये नियमों से भारत का संविधान बना है इसी कारण भारत के संविधान को 'उधार का संविधान' कहते है, तो आइवर जेनिंग्स ने इसे वकीलों का स्वर्ग कहा है।

ध्यातव्य रहे - भारत शासन अधिनियम-1935 भारतीय संविधान का सबसे बड़ा स्त्रोत है।

इंग्लैण्ड से ग्रहण किया

Trick - इक कलैक्टर के विकास रा मंत्र इंग्लैण्ड के नियंत्रण में है।

इक-  इकहरी नागरिकता
कलेक्टर - कलेक्टर का पद
वि-  विधि का शासन व विधि निर्माण प्रक्रिया
का-कानून निर्माण की प्रक्रिया
स- संसदीय (संसद व विधानमण्डल प्रक्रिया) शासन व्यवस्था
रा- राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति
मंत्र-मन्त्रीपरिषद् का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व
नियंत्रण-नियंत्रण महालेखा परीक्षक का पद

ध्यातव्य रहे - भारत सरकार के बटवे (लोक वित्त) का रक्षक नियंत्रक महालेखा परीक्षक होता है, भारत सरकार के बटवे को संचित निधि कहते हैं, जिसका उल्लेख अनुच्छेद 266 में किया गया है।

अमेरिका से ग्रहण किया

Trick - संविधान से दोहरी अन्याय की पुनः उपमा लो अमेरिका
संविधान -संविधान की सर्वोच्चता
दोहरी-दोहरी नागरिकता
अ-अधिकार/मूल अधिकार
न्याय-स्वतन्त्र व निष्पक्ष न्यायपालिका
पुनः-पुनरावलोकन/ न्यायिक
उप-उपराष्ट्रपति का पद व स्थिति
मा-महाभियोग की प्रक्रिया (राष्ट्रपति)
लो-लोकतंत्रात्मक शासन

ध्यातव्य रहे - महाभियोग की प्रक्रिया भारत के संविधान के अनुसार चार पदों पर अपनायी जाती है। अनुच्छेद-61 के अनुसार राष्ट्रपति पर एवं अनुच्छेद 124 (4) के अनुसार न्यायाधीश, सी.ए.जी. एवं मुख्य निर्वाचन आयुक्त के ऊपर।


Trick - 'नीआ आज संद सम आस को गफा करू'

नी - नीति-निर्देशक तत्व
आ - आयरलैण्ड से
आ - आपातकालीन शक्ति
ज - जर्मनी से
सं - संविधान संशोधन प्रक्रिया
द - दक्षिण अफ्रीका से
सम - समवर्ती सूची
आस - ऑस्ट्रेलिया से
ग - गणतन्त्रात्मक शासन व्यवस्था
फा - फ्रांस से
क - कर्तव्य/मौलिक कर्तव्य
रु - रुस

Trick - राम आ - राष्ट्रपति की मनोनयन शक्ति आयरलैण्ड से

ध्यातव्य रहे - राष्ट्रपति संसद में 14 व्यक्ति (राज्यसभा में 12 एवं लोकसभा में 2) मनोनीत कर सकता है।

Trick - पंच न्याय करके सो जा
पंच- पंचवर्षीय योजनाओं का ढाँचा।
न्याय- न्याय शब्द
सो- सोवियत संघ रूस

Trick - 'जानू (जा+ अनु) वीजा ला'
जा- जापान
अनु- अनुच्छेदों की प्रक्रिया
वी- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया का शासन
जा- जापान से

Trick - संघ का नाडा
1.संघात्मक शासन व्यवस्था
2.कनाड़ा से

केन्द्र व राज्यों के बीच शक्तियों का बँटवारा, संसदीय विशेष अधिकार व प्रस्तावना की भाषा ऑस्ट्रेलिया से ली गई है तो पंचवर्षीय योजना सोवियत संघ से ली गई है।

संविधान की प्रमुख अनुसूचियाँ

प्रथम अनुसूची - इस अनुसूची में भारत संघ के राज्यों की संख्या व नाम का वर्णन है। 1 नवम्बर, 1956 तक भारत में कुल 14 राज्य व 6 केन्द्रशासित प्रदेश थे। वर्तमान में 28 राज्य व 8 केन्द्रशासित प्रदेश हैं। 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश राज्य के दो टुकड़े करके दो राज्य पहला सीमांध्र व दूसरा तेलंगाना बनाये गये हैं, जिनकी अगले 10 वर्षों तक संयुक्त राजधानी हैदराबाद ही रहेगी।

ध्यातव्य रहे - दिल्ली को संविधान के 69वें संशोधन द्वारा 'राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र' का दर्जा दिया गया है, तो वहीं अनुच्छेद 2 के तहत् संसद विधि द्वारा संघ में नये राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी ।

दूसरी अनुसूची -

इस अनुसूची में विभिन्न संवैधानिक पदाधिकारियों के वेतन भत्तों का वर्णन है जैसे राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, महान्यायवादी, CAG, न्यायालयों के न्यायाधीश आदि ।।

ध्यातव्य रहे - राष्ट्रपति व राज्यपाल के वेतन व भत्ते को उपलब्धियाँ (Emoluments) कहा जाता है। 

तीसरी अनुसूची

इसमें शपथ के प्रारूप का वर्णन है।शपथ दो प्रकार की दिलाई जाती है 

(1) पद की शपथ, 
(2) गोपनीयता की शपथ ।

ध्यातव्य रहे- संघ तथा किसी राज्य के मंत्री के लिए पद की शपथ और गोपनीयता की शपथ का प्रारूप अलग-अलग है तथा उसे दोनों की शपथ लेना या प्रतिज्ञान करना पड़ता है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल के लिए शपथ का प्रारूप संबंधित अनुच्छेदों (अनुच्छेद 60, 69 तथा 159) में उल्लिखित है।

चतुर्थ अनुसूची -

राज्यसभा में राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों में सीटों का आवंटन जनसंख्या के अनुसार लिखा गया है।

ध्यातव्य रहे - लोकसभा तथा राज्य विधानमण्डल के सदस्यों की संख्या परिसीमन आयोग द्वारा जनसंख्या के आधार पर निर्धारित की जाती है।

पाँचवीं अनुसूची -

इस अनुसूची में भारत संघ के सभी अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) क्षेत्रों का प्रशासन व नियंत्रण लिखा गया है। 

छठी अनुसूची -

इसमें भारत के मुख्यतया चार राज्य 'असम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, (Trick: अमि मे त्रिपुरा जाऊँगा) राज्यों के जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन लिखा गया है।

सातवीं अनुसूची -

इसमें केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में तथा सरकारों द्वारा शुल्क एवं कर लगाने के अधिकारों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में निम्न तीन सूचियाँ लिखी गई हैं-

सूची का नाम

पूर्व के विषय

वर्तमान विषय

(i) संघ सूची

97

98

(ii)राज्य सूची

66

59

(iii) समवर्ती सूची

47

52


आठवीं अनुसूची -

इसमें भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं का उल्लेख है |HTET-2014] । संविधान निर्माण के समय 14 भाषाएँ थी लेकिन वर्तमान समय में 22 भाषाएँ [UPTET 2011, 2018] है |


ट्रिक- अबा संत कम कम पते देता है उस गुहिल को।

1. अ- असमिया
2. बा- बंगला
3. सं- संस्कृत
4. त - तमिल
5. क कन्नड़
6. म- मलयालम
7. क- कश्मीरी
8. म - मराठी
9. प पंजाबी
10. ते तेलगु
11. उ.- उर्दू
12. उ उड़िया
13. गु- गुजराती
14. हि- हिन्दी

1967 ई. में 21वें संविधान संशोधन द्वारा 15वीं 'सिंधी को '8वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। 1992 ई. में 71वें संविधान संशोधन द्वारा 16वीं 'कोंकणी,17वीं, मणिपुरी व 18वीं नेपाली (ट्रिक-कोमन)' भाषा को 8वीं थ अनुसूची में जोड़ा गया है। 2003 ई. में 92वें संविधान संशोधन द्वारा की '19वीं बोड़ो, 20वीं डोगरी, 21वीं मैथिली एवं 22वीं संथाली को 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया।'

Trick : 'बूढ़ी डोकरी की थाली में मैथि' ये अंतिम चार भाषाएँ थी जो आठवीं अनुसूची में जोड़ी-बूढ़ी बोड़ो, डोकरी-डोगरी, थाली-संथाली, मैथि-मैथिली।

नवीं अनुसूची

इस सूची को प्रथम संविधान संशोधन 1951 द्वारा जोड़ा गया । इस संशोधन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। यह भूमि सुधार सम्बन्धी अधिनियमों, सम्पत्ति के अधिग्रहण (जमींदारी कानून) व अवाद योग्य कानून से सम्बन्धित है।

अवाद योग्य कानून - 2007 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि 24 अप्रेल, 1973 के बाद इस सूची में डाले गये विषय वाद योग्य होंगे। वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम है ।

दसवीं अनुसूची -

इसमें दल-बदल सम्बन्धी उपबन्धों का उल्लेख है, जिसे 52वें संविधान संशोधन 1985-86 में जोड़ा गया। इसके अंतर्गत व्यक्तिगत दल-बदल पर रोक लगायी गयी है। सामूहिक दल-बदल मान्य है लेकिन दल-बदल पर अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष व विधानसभा अध्यक्ष का मान्य होता है।

ग्यारहवीं अनुसूची -

पंचायती राज्य व्यवस्था से सम्बन्धित जिसे 73वें संविधान संशोधन विधेयक 1992 के तहत् जोड़ा गया। जिसमें 29 विषय हैं। 1992 में 73वाँ संविधान संशोधन विधेयक रखा गया जो 24 अप्रैल, 1993 में पारित हुआ तथा 23 अप्रैल, 1994 में राजस्थान में लागू किया गया। ग्रामीण पंचायती राज में तीन स्तर पाये जाते हैं-

  1. ग्राम पंचायत
  2. पंचायत समिति
  3. जिला परिषद

बारहवीं अनुसूची - 

इसमें नगर पालिका अधिनियम [REET 2016] एवं उसके 18 विषयों का उल्लेख है, जिसे 74वाँ संविधान संशोधन, 1992 द्वारा जोड़ा गया, जो 1 जून, 1993 में पारित हुआ । नगर निकाय में तीन स्तर पाये जाते हैं

1. नगर पालिका
2. नगर परिषद
3. नगर निगम

Post a Comment

0 Comments

close