भारत एक कृषि प्रधान देश है। कुल कार्यशील जनसंख्या का 52% भाग कृषि में लगा हुआ है। भारत में कुल क्षेत्रफल का लगभग 47% भाग शुद्ध बोया जाने वाला क्षेत्र है।
Bharat me Krishi Yojnaye - कृषि योजनाएँ
देश में कृषि के अन्तर्गत ट्रैक्टर्स का सबसे अधिक उपयोग उत्तर प्रदेश में होता है। देश में उर्वरकों का सबसे अधिक प्रयोग पंजाब करता है, इसके बाद हरियाणा और मणिपुर का दूसरा और तीसरा स्थान है। वर्तमान में देश में खाद्यान्न की उपलब्धता 491.2 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।
देश के कुल निर्यात का लगभग 11% भाग कृषि पदार्थों तथा कृषि से सम्बन्धित पदार्थों का होता है।
कृषि उत्पादों का निर्यात वर्ष -
Bharat me Krishi Yojnaye - कृषि योजनाएँ |
1990-91 में देश का कुल निर्यात 32.55 हजार करोड़ रुपये था जिनमें कृषि उत्पादों का Dनिर्यात 63 हजार करोड़ था जो कि देश के कुल निर्यातों का 19.4 प्रतिशत था। वर्ष 2014-15 में देश के कुल निर्यातों में कृषि का हिस्सा 12.01 प्रतिशत था।
सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्रों में सकल पूँजी निर्माण 2004-05 से 2006-07 के दौरान 14% के आस-पास स्थिर बना रहा। भारत को यूरिया उर्वरक की आपूर्ति करने वाले देशों में प्रथम स्थान ओमान, द्वितीय स्थान ईरान तथा तृतीय स्थान चीन का है।
पंचवर्षीय योजनाएँ एवं कृषि
1.पहली पंचवर्षीय योजना (1951-56)-
पहली पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य देश में खाद्य संकट की समस्या को दूर करना था इसलिए इस पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई। कुल योजना परिव्यय का 24% आवंटन कृषि क्षेत्र को दिया गया। इस पंचवर्षीय योजना में 62 लाख टन कुल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, जबकि वास्तविक प्राप्ति 67 लाख टन थी।
2.दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61)-
दूसरी पंचवर्षीय योजना में आधारभूत उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता मिली इस कारण कृषि क्षेत्र को कुल योजना परिव्यय का मात्र 11.7% आवंटन प्राप्त हुआ। कृषि की अनदेखी के कारण उत्पादकता में कमी हुई। प्रथम एवं द्वितीय पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि भूमि के स्वामित्व की सीमा (सीलिंग) निर्धारित की गई। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में काश्तकारों को भूमि के मालिकाना हक प्रदान किये गये।
3.तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66)-
दूसरी पंचवर्षीय योजना से अनुभव लेते हुए तीसरी पंचवर्षीय योजना में कृषि को विशेष प्राथमिकता मिली तथा सभी फसलों की उत्पादकता का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया। इस योजना में गहन कृषि कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में कृषि जिला कार्यक्रम एवं अधिक उपज वाली किस्मों का कार्यक्रम शामिल था। हालाँकि भयंकर सूखे के कारण कृषि उत्पादकता प्रभावित हुई।
4.चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74)
इस योजना में कृषि अनुसन्धान पर विशेष बल दिया गया तथा विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर कृषि पद्धति में सुधार करने का प्रयास किया गया। इस योजना में कुल योजना परिव्यय का 15% आवंटन किया गया।
5.पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-79)
इस योजना में कुल कृषि क्षेत्र के लिए कुल योजना परिव्यय का 12% आवंटन प्राप्त हुआ। योजना अवधि में आपात काल (1975) ने कृषि उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। पहली पंचवर्षीय योजना से पाँचवीं योजना तक वास्तविक उत्पादन, लक्षित उत्पादन से अधिक रहा।
6.छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85)
छठी पंचवर्षीय योजना में कृषि विकास दर 4.3% थी जबकि लक्ष्य 3.8% रखा गया था। इसी योजना में हरित क्रान्ति का दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ जिसमें कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश एवं प्रबन्धन पर बल दिया गया।
7.सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)
इस योजना में कृषि उत्पादकता में 6% की वृद्धि हुई। कपास को छोड़कर सभी फसलों का उत्पादन लक्ष्य से अधिक रहा।
8.आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)
आठवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि विकास दर 4.7% थी। इस योजना में जलवायु एवं मानसून कृषि के अनुकुल थे जिसके कारण कुल उत्पादन 190 मीट्रिक टन हो गया।
9.नौवीं पंचवर्षीय योजना ( 1997-2002 )
नौवीं पंचवर्षीय योजना, कृषि के सन्दर्भ में असफल मानी जाती है। इस योजना अवधि में कृषि ० विकास दर मात्र 2.5% ही प्राप्त हो सकी।
10.दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07)-
दसवीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय कृषि नीति 2000 को अपनाया गया। इस नीति के तहत संसाधनों के बेहतर प्रबन्धन पर बल दिया गया, विशेषकर मृदा स्वास्थ्य एवं जल के उचित इस्तेमाल पर इस योजना में कृषि उत्पादकता का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया था। इस योजना अवधि में कृषि विकास की वार्षिक वृद्धि दर 2.4% रही थी।
11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) कृषि विकास
इस योजना के दौरान कृषि विकास के सन्दर्भ में योजना आयोग ने चार मुख्य उद्देश्यों की पहचान की थी।
12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) एवं कृषि विकास की रणनीति-
12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण पत्र में कृषि क्षेत्र में 4% वार्षिक विकास दर का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से खाद्य कृषि उत्पाद में वार्षिक वृद्धि 2% एवं गैर-खाद्य कृषि उत्पाद में वार्षिक वृद्धि 5-6% रखी गई है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (R.K.V.Y.) सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए ग्यारहवीं योजना के लिए रु. 25,000 करोड़ के परिव्यय के साथ 2007-08 में आरकेवीवाई शुरू की गई।
रोलिंग प्लान -
योजना अवकाश को ही 'रोलिंग प्लान' कहा जाता हैं। यह पंचवर्षीय योजनाओ के मध्य की वह अवधि हैं, जिसमें वार्षिक योजनाएँ लागू रहीं। देश में अभी तक छः वार्षिक योजनाएँ क्रियान्वित हो चुकी हैं।
खंडीय (Sectrol) नियोजन-
अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों, जैसे- कृषि, सिंचाई, विनिर्माण उद्योग निर्माण,परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना और सेवाओं के विकास के लिए कार्यक्रम बनाना और उनको लागू करना ही, खंडीय नियोजन कहलाता है।
प्रादेशिक (Regional) नियोजन- में सभी क्षेत्रों में एक समान आर्थिक विक नहीं हुआ हैं। कुछ क्षेत्र बहुत अधिक विकास नही हुआ हैं। कुछ क्षेत्र बहुत अधिक विकसित हैं, तो कुछ पिछड़े हुए हैं। विकास का यह असमान प्रतिरूप इस तथ्य परा बल देता हैं कि नियोजन में एक स्थानिक परिप्रेक्ष्य अपनाएँ तथा विकास में प्रादेशिक असंतुलन कम करने के लिए योजनाएँ बनायी। जायें। इस प्रकार का नियोजन, प्रादेशिक नियोजन कहलाता है।
कृषि योजनाएँ
1.राष्ट्रीय ऊर्जा सक्षम कृषि पंप कार्यक्रम 7अप्रैल2016-
उदेश्य-केंद्र सरकार द्वारा देश को ऊर्जा सक्षम बनाने हेतु विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में राष्ट्रीय ऊर्जा सक्षम कृषि पम्प कार्यक्रम' का शुभारंभ किया गया।
2.ई-नाम-14 अप्रैल, 2016
उद्देश्य-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय कृषि बाजार के लिए ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म'ई-नाम' की प्रायोगिक परियोजना (पायलट) का शुभारंभ किया गया। ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म 'ई-नाम' पहल से पारदर्शिता आएगी, जिससे किसान लाभान्वित होंगे।
'ई-नाम' परियोजना एक ऑनलाइन पोर्टल द्वारा संचालित होगी जिसे राज्य की मंडियों से जोड़ा जायेगा। इस परियोजना के तहत भारत सरकार, राज्यों की प्रस्तावित कृषि मंडी को 30 लाख रुपये का अनुदान दे रही है।
3.प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) 2 जुलाई 2015
उद्देश्य-इसमें पांच सालों (2015-16 से 2019-20) के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 5300 करोड़ का आवंटित किए गए हैं। इस योजना में केंद्र 75 प्रतिशत अनुदान देगा और 25 प्रतिशत खर्च राज्यों के जिम्मे होगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों में केंद्र का अनुदान 90 प्रतिशत तक होगा
4.परम्परागत कृषि विकास योजना मार्च 2015-
उदेश्य-केन्द्र सरकार द्वारा देश में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मृदा स्वास्थ्य को समुन्नत करने हेतु इस योजना को शुरू किया गया है।
5.नाउकास्ट व फसल बीमा पोर्टल 18 जून 2015-
उदेश्य-केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने मौसम चेतावनी सेवा 'नाउकास्ट' और 'फसल बीमा पोर्टल' का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय ई-गवर्नेस योजना के तहत कृषि में मिशन मोड (एनईजीपी-ए) परियोजना का लक्ष्य देश के किसानों के लिए कृषि संबंधी सूचना की समय पर पहुँच सुनिश्चित करके सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग के जरिए भारत में कृषि का शीघ्र विकास करना है।
'नाटकास्ट' (NOWCAST) सेवा के तहत 'एम-किसान एसएमएस' पोर्टल पर पंजीकृत एक करोड़ से भी अधिक किसानों को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा मूसलाधार बारिश, आंधी तूफान और मौसम की सटीक जानकारी एसएमएस अलर्ट द्वारा भेजेगा।
6.किसान चैनल 26 मई 2015
7.दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना(DDUGJY)
उदेश्य-इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी तथा कृषि और गैर-कृषि फीडर सुविधाओं को अलग-अलग किया जाएगा।
8.किसान विकास पत्र (KVP) 2014
उदेश्य-वित्त मंत्री अरुण जेटली ने KVP को नए सिरे से पेश किया। नए किसान विकास पत्र में धनराशि 100 महीने (आठ साल और चार महीने) में दोगुनी होगी। किसान विकास पत्र बचत योजना 1988 में शुरू की गई थी।
9.राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन 20 फरवरी, 2014
उदेश्य- केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन को एक केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शामिल करने के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की थी। इस मिशन के तहत 12वीं पंचवर्षीय योजना में लगभग 13 हजार करोड़ रुपये के निवेश से वनावरण में 6 से 8 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि करने का लक्ष्य है।
10.किरन मई 2011
उदेश्य- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र अनुसंधान परिषद् ने पूर्वोत्तर में खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु यह योजना शुरू की है।
11.आइसोपॉम योजना -
उदेश्य-कृषि मंत्रालय ने तिलहन, दलहन, ऑयलपॉम और मक्के की एकीकृत योजना (आइसोपॉम) शुरू की है। यह केन्द्र प्रायोजित योजना है। तिलहन और दलहन के लिए 14 प्रमुख राज्यों मक्के के लिए 15 राज्यों व ऑयलपॉम के लिए 10 राज्यों में योजना का कार्यान्वयन हो रहा है।
12.राष्ट्रीय लघु सिंचाई मिशन जून 2010
उदेश्य- इस मिशन का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में ड्रिप व फव्वारा सिंचाई द्वारा जल उपयोग क्षमता बढ़ाना है व जल की अनावश्यक बर्बादी रोकना है।
13.कृषि ऋण योजना बजट 2008-09
14.एकमुश्त कर्ज माफी बजट2008-09
15.राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन 2007-08
उदेश्य- मिशन का उद्देश्य क्षेत्र विस्तार तथा उत्पादकता के जरिए उत्पादन में वृद्धि करना, रोजगार अवसरों का सृजन और किसानों का विश्वास पुनर्बहाली करना है। यह योजना देश के 17 राज्यों के 312 जिलों में लागू की गई।
16.राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) 16अगस्त 2007
उदेश्य- राज्यों को कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के लिए प्रोत्साहित करना, योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन की प्रक्रिया में राज्यों को स्वायत्तता प्रदान करना, कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में कृषकों को अधिकतम रिटर्न दिलाना। इसका उद्देश्य 11वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र में 4% वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करना है।
17.मौसम आधारित फसल बीमा योजना 2007
18.पशु बीमा योजना 2006-07
उदेश्य-पशुओं के नुकसान की भरपाई कराना।
19.राष्ट्रीय बांस अभियान 2006-07
उदेश्य-देश में बाँस की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि एवं सहकारिता विभाग देश के 27 राज्यों में राष्ट्रीय बांस अभियान का क्रियान्वयन कर रहा है।
20.राष्ट्रीय कृषि नवीनीकरण परियोजना जुलाई 2006
उदेश्य-आईसीएआर, विश्व बैंक की ऋण सहायता से छः वर्षीय "राष्ट्रीय कृषि नवीनकरण परियोजना' क्रियान्वित कर रहा है।
21.नेशनल एग्रीकल्चर इनोवेटिव प्रोजेक्ट (NAIP) 26 जुलाई 2006
उदेश्य - विश्व बैंक की आर्थिक सहायता से ICAR द्वारा चलायी जा रही 6 वर्षीय केन्द्रीय परियोजना है जिसका उद्देश्य कृषकों के क्लब स्थापित करके ग्रामीण कृषकों की गरीबी हटाना तथा उनके बीच सहभागिता पैदा करना है।
22.राष्ट्रीय बागवानी मिशन मई 2005
उदेश्य- इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सन् 2012 तक बागवानी उत्पादन को दुगुना करना था। बागवानी उत्पादों को प्रोत्साहित व प्रेरित करने के लिए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन की शुरूआत की। यह योजना सभी राज्यों तथा तीन केंद्रशासित प्रदेशों अंडमान, लक्षद्वीप व पुदुचेरी में लागू की गई है।
23.क्रॉप एग्रीकल्चर प्रोड्यूस लोन' 1अप्रैल2005
उदेश्य- कृषकों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त होने तक उपज को रोकने में सक्षम बनाने हेतु कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा मल्टीकमोडिटी एक्सचेन्ज ऑफ इण्डिया के सहयोग से यह कृषि ऋण योजना प्रारम्भ की गई है।
24.कृषि वृहद प्रबंध योजना (MMA)2000-01
उदेश्य- वृहद् कृषि प्रबंधन केंद्र सरकार द्वारा पोषित एक योजना है। जिसका उद्देश्य है विभिन्न राज्यों में कृषि के विकास के लिए विशेष रूप से बल दिया जाए और इस योजना पर खर्च होने वाली केंद्रीय सहायता का सही दिशा में उपयोग हो सके। यह योजना 2000-01 से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जा चुकी है।
25.राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना 1999-2000
उदेश्य- कृषि बीमा उपलब्ध करना।
26.किसान क्रेडिट कार्ड योजना अगस्त 1998
उदेश्य- इसमें किसानों को उनके पास उपलब्ध भूमि के आधार पर बिना किसी प्रतिभूति को गिरवी रखे ऋण उपलब्ध कराया जाता है। सहायक संस्थाएं- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक तथा भारतीय स्टेट बैंक एवं उसके सहयोगी बैंक।
किसान क्रेडिट कार्ड की राशि का निर्धारण प्रचलनात्मक जोत, फसल पैटर्न तथा वित्त के आकार के आधार पर होता है। प्रत्येक निकासी का भुगतान 12 माह के भीतर करना होगा। इसमें अक्टूबर 2004 में संशोधन किया गया।
27.भागीरथ योजना 29 मई 1990
उदेश्य- इस योजना की शुरुआत कृषि एवं सहकारिता विभाग ने की। कृषि विकास में शामिल होने वाले व्यक्ति कृषि भागीरथ के नाम से जाने गये।
28.वृहद फसल बीमा योजना अप्रैल 1985
29.पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम
उदेश्य- पर्वतीय क्षेत्र कार्यक्रम को पांचवीं पंचवर्षीय योजना में प्रारंभ किया गया था। इसके अंतर्गत उत्तराखंड, मिकिर पहाडी असम को कछार की पहाडियाँ, पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग जिला और तमिलनाडु के नीलगिरी आदि को मिलाकर कुल 15 जिले शामिल है। 1981 में पिछड़े क्षेत्र पर राष्ट्रीय समिति ने उन सभी पर्वतीय क्षेत्रों को पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों में शामिल करने की सिफारिश की थी, जिनकी ऊँचाई 600 मीटर से अधिक है और जिनमे जनजातीय विकास उप-योजना लागू नहीं है।
30.राष्ट्रीय कृषि बीमा 1973
उदेश्य-देश में सर्वप्रथम फसल बीमा योजना परीक्षण के तौर प 1973 से 1984 तक चलाई गई थी, अप्रैल 1985 से कृषि मंत्रालय ने व्यापक फसल बीमा योजना प्रारम्भ कां। भारतीय कृषि बीमा कम्पनी लिमिटेड इस योजना को कार्यान्वयनकारी एजेंसी है। वर्तमान में यह योजना 23 राज्यों तथा केन्द्रशासित क्षेत्रों में लागू की गई है।
31.प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Prime Minister Crop Insurance-PMCI)
13 जनवरी, 2016 को शुरू हुई यह योजना मौजूदा दो योजनाओं राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और परिवर्तित NIS की जगह लेगी। इस योजना के लिये 8,800 करोड़ रुपयों को खर्च किया जायेगा। योजना के अन्तर्गत किसानों को बीमा कम्पनियों द्वारा निश्चित प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा।
पुरानी और नई योजनाओं में अंतर
विशेषताएं |
राष्ट्रीय
कृषि बीमा योजना |
संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना |
पीएम फसल बीमा योजना |
प्रीमियम
रेट |
खरीफ तिलहन हेतु
3.5% बाकी के लिए 2.5% रबी: गेहूं
1.5%, बाकी के लिए 2% |
2% से ज्यादा प्रीमियम रेट पर 40 से 75% सब्सिडी |
खरीफ के लिए 2% रबी के लिए 1.5% बागवानी फसलें 5% |
बीमा कवर |
100 फीसदी |
सीमित |
100 फीसदी |
खाते में भुगतान |
नहीं |
होगा |
होगा |
स्थानीय रिस्क |
नहीं |
ओलावृष्टि, भूस्खलन, |
ओलावृष्टि भूस्खलन फसल डूब |
फसल बाद कवरेज |
नहीं |
तटीय इलाकों में चक्रवाती बारिश के लिए |
देशभर में चक्रवाती और बेमौसम बारिश के लिए |
तकनीक |
उपयोग नहीं |
उपयोग ऐच्छिक |
उपयोग जरूरी |
भारतीय स्तर की कृषि संस्थाएँ
1.भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान IARI-1905-
अमेरिकी नागरिक हेनरी फिप्स द्वारा बिहार के पूसा (समस्तीपुर) में स्थापना की गई। 1936-IARI का कार्यालय पूसा से नई दिल्ली लाया गया। 1956-1ARI को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया।
2.भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR-Indian Council of Agriculture Research)-16-7-1929
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि मन्त्रालय (भारत सरकार) के अन्तर्गत इस स्वायत्तशासी संस्था की स्थापना इम्पीरियल काउन्सिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के रूप में की गई थी। भारत में कृषि वानिकी, मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में समन्वयन, मार्गदर्शन तथा अनुसंधान का कार्य इस संस्था द्वारा किया जाता है। 1951 इस वर्ष इसका नामकरण 'भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्' किया गया।
नई दिल्ली - ICAR का मुख्यालय। देश की 97 कृषि अनुसंधान संस्थाएँ तथा 53 कृषि विश्वविद्यालय इससे सम्बद्ध हैं।
3.भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान (IASRI) 1945-
इसकी स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुषंगी संगठन के रूप में की गई। वर्ष 1978 से पूर्व इसे 'कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान' के रूप में जाना जाता था।
उद्देश्य- राष्ट्रीय कृषि प्रणाली विकसित करना। यह संस्था कृषि वैज्ञानिकों तथा नीति निर्माताओं को सांख्यिकी तथा कम्प्यूटर सम्बन्धी सूचनाएँ उपलब्ध कराती है। इस संस्थान का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
4.केन्द्रीय भण्डारागार निगम 1957
7.भारतीय खाद्य निगम (FCI) 1964 - भारतीय खाद्य निगम भारत का एक निगम है। भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु यह खाद्यान्नों का क्रय करके उन्हें गोदामों में भण्डारित करता है।
8.कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Price-CACP) जनवरी 1965-
यह परामर्शदात्री आयोग है। विभिन्न कृषि उत्पादों के मूल्यों में प्रति वर्ष होने वाली गिरावट से कृषकों की रक्षा करने के लिए केन्द्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करने का सुझाव देता है जो कृषकों के लिए बीमा मूल्य के रूप में होता है। यह 24 महत्वपूर्ण फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करता है।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक(NABARD)12 जुलाई 1982-
शिवरमन सिंह समिति की अनुशंसा पर केन्द्र सरकार ने नाबार्ड की स्थापना की घोषणा की। 17 जुलाई, 1982 नाबार्ड ने कार्य करना शुरू किया।
नाबार्ड की शुरू में पूंजी 100 करोड़ रुपये थी, परंतु बाद में इसे बढ़ाकर 500 करोड़ रूपये कर दिया गया। नाबार्ड प्रत्यक्षतः किसानों को ऋण नहीं देता है। यह राज्य सरकारों, सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राष्ट्रीय बैंकों तथा भारतीय स्टेट बैंक के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराता है।
13.किसान कॉल सेंटर तथा कृषि चैनल 21जनवरी 2004 -
नयी दिल्ली में स्थापित, इसका उद्देश्य कृषि संबंधी जानकारी व उनकी समस्याओं के समाधानों को अवगत कराना है। इस योजना में टोल फ्री नम्बर 1800-180-1551 है।
15.राष्ट्रीय कृषक नीति (National Policy for Farmers) 26 नवम्बर 2007-
पहली कृषि नीति 1992 में तथा दूसरी कृषि नीति 2000 में घोषित की गई। कृषि नीति 2000 में सभी कृषि क्रातियों को एक में मिलाकर इंद्रधनुष क्रांति का निर्माण किया गया है।
16.राष्ट्रीय जैविक कृषि संस्थान-
केन्द्र सरकार द्वारा देश में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए स्थापित हैं।
कृषि क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी-
जोधपुर (खारिया खंगार) के वैज्ञानिक डॉ. रमेश रलिया ने अमेरिका में नैनो टेक्नोलॉजी से खाद बनाने का आविष्कार किया है। यह खाद नैनो पार्टिकल फसलों में पाए जाने वाले फंगस के प्रोटीन से तैयार की है। इन्होंने नैनो टेक्नोलॉजी से अधिक गुणवता वाले फसल उत्पाद बनाने की तकनीक विकसित की है। डॉ. रलिया ने यह तकनीक विशेष रूप से मूंग की फसल के लिए तैयार की है। ये अभी अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत है।
नैनो पार्टिकल्स, ऐसे छोटे कण जिनका आकार 1 से 100 नैनो मीटर के मध्य होता है। बहुत छोटा आकार होने के कारण पौधे की कोशिकाएं जल्दी से इन पार्टिकल्स का उपयोग कर लेती है। 2.5 ग्राम जिंक नैनोपार्टिकल्स उतना उत्पादन बढ़ाते है जितना 60 किलोग्राम फास्फोरस एक हैक्टेयर में बढ़ाता है।
ग्लोबल राजस्थान एग्रीमीट (GRAM)- नवम्बर 2016 में जयपुर में ग्लोबल राजस्थान एग्री मीट ( ग्राम-GRAM) का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन में चार देश नीदरलैंड, इजरायल, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया साझीदार बनेंगे। रिसर्जेन्ट राजस्थान की तर्ज पर आयोजित किए जाने वाले इस कार्यक्रम में लगभग 55 हजार किसानों को सीधे तौर पर जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इसमें उन्हें नई तकनीक की जानकारी दी जाएगी।
कृषि कर्मण पुरस्कार-2014-15
पुरस्कार
श्रेणी |
2012-13 |
2013-14 |
2014-15 |
कुल खाद्यान्न श्रेणी-1 |
मध्य प्रदेश |
पंजाब |
मध्य प्रदेश |
कुल खाद्यान श्रेणी-2 |
ओडिशा |
ओडिशा |
ओडिशा |
कुल खाद्यान श्रेणी-3 |
मणिपुर |
मेघालय |
मेघालय |
चावल |
छत्तीसगढ़ |
छत्तीसगढ़ |
हरियाणा |
गेहूं |
बिहार |
मध्यप्रदेश |
राजस्थान |
दलहन |
झारखण्ड |
असम और तमिलनाडु |
छत्तीसगढ़ |
मोटा अनाज |
आंध्र प्रदेश |
पश्चिम बंगाल |
तमिलनाडु |
तिलहन |
- |
गुजरात |
पश्चिम बंगाल |
भारत में स्थित खाद्य बोर्ड
खाद्य बोर्ड |
मुख्यालय |
काफी बोर्ड |
बंगलौर (कर्नाटक) |
रबर बोर्ड |
कोट्टायम (केरल) |
तम्बाकू बोर्ड |
गुंटूर (आंध्र प्रदेश) |
मसाला बोर्ड |
कोच्चि (केरल) |
राष्ट्रीय जूट बोर्ड |
कोलकाता (पश्चिम बंगाल) |
राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड |
हैदराबाद (आंध्रप्रदेश) |
कृषि - अन्य तथ्य
- भारत में कृषि वर्ष 1 जुलाई से 30 जून माना जाता है।
- भारत का विश्व में प्रथम स्थान- दूध, दाल, जूट
- भारत का विश्व में दूसरा स्थान- चावल, गेंहूँ, गन्ना, मूंगफली, सब्जियां, फल, कपास, बाँस
- भारत मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक देश है।
ऑर्गेनिक फार्मिंग -
अर्थ खेतों की वह प्रणाली जिसमें रासायनिक खादों तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग नहीं हो बल्कि उसके स्थान पर जैविक खाद या प्राकृतिक खादों का प्रयोग होता है।
जैविक खेती -
पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम 75 हजार हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती कर देश का पहला पूर्ण जैविक राज्य बन गया है
संविदा कृषि -
अर्थ-उत्पादक और क्रेता दोनों को लाभ पहुँचाने की दृष्टि से किसी समझौते के तहत कृषि करना।
खाद्य पार्क -
ये वे पार्क हैं जिनमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में लगे हुए लघु व मध्यम उद्यमियों के लिए बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है।
NCDEX.AGRI -
नेशनल कमॉडिटी एवं डेरीवेटिव स्टॉक एक्सचेंज द्वारा कृषिगत उत्पादों के लिए यह सूचकांक 3 मई, 2005 को बनाया गया। यह देश का पहला कमॉडिटी सूचकांक है।
इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र-
वह क्षेत्र जिसमें सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए जल की आपूर्ति इंदिरा गांधी नहर की जा रही है।
1998 से भारत विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक राष्ट्र है। दूसरा स्थान अमरीका का है। भारत में विश्व की सबसे अधिक पशु जनसंख्या है। भारत में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी स्थान उत्तर प्रदेश का है। ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा समन्वित डेयरी विकास कार्यक्रम है, जो 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) ने प्रारम्भ किया था। अब तक ऑपरेशन फ्लड के तीन चरण पूर्ण हो चुके हैं।
भारत में दूध का उत्पादन वर्ष 2012-13 में 132.43 मिलियन टन रहा। उत्तर-पूर्व का पहला किसान कॉल सेंटर त्रिपुरा में खोला गया है। 'इफ्को' किसान संचार लिमिटेड ने ग्राम संजीवनी नये वेबपोर्टल की शुरूआत की है।
कृषि क्षेत्र में 1834 में पहला अनुसंधान क्षेत्र एलसेस नामक स्थान पर जे.बी. बेसिंगाल्ट द्वारा किया गया। भारत में 1958 में इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोनामी की स्थापना हुई।
रोटेरडम, स्टॉकहोम संधि- 2004 में प्रभावी हुई। 2006 में भारत ने इस पर हस्ताक्षर किये। ये संधियां कीटनाशक और हानिकारक रसायनों के अधिक प्रयोग को सीमित करती हैं।
कृषि मशीनरी के बारे में प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (FMT & TI) की स्थापना मध्यप्रदेश के बुदनी, हरियाणा के हिसार, आंध्रप्रदेश के गार्लादिने और असोम के विश्वनाथ चेरियाली में की गई है।
नेशनल डेयरी प्लान (NDP) -
दुधारू पशुओं की नस्लें सुधार कर बढ़िया नस्ल के बछड़े पैदा कर तथा ऐसे पशुओं के लिए नए दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए 17,300 करोड़ की यह नई 15 वर्षीय परियोजना है, इस परियोजना के छह वर्षीय पहला चरण नेशनल डेयरी प्लान-1 (NDP-I) का शुभारम्भ 19 अप्रैल, 2012 को आनंद (गुजरात) में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, जो इस परियोजना के कार्यान्वयन हेतु नोडल एजेंसी है, के मुख्यालय में किया। बागवानी क्षेत्र कृषि के सकल घरेलू उत्पाद में 30.5 प्रतिशत से अधिक योगदान करता है।
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