Bharat ke Praktik Vanaspati - किसी भी भौगोलिक प्रदेश में या भूमि सतह पर वनस्पति का वह आवरण जिसके उगने, फलने-फूलने तथा विकसित होने में मानव की कोई भूमिका नहीं होती, उसे 'प्राकृतिक वनस्पति' कहते हैं। भारत में प्रतिवर्ष 1 से 7 जुलाई के मध्य वन महोत्सव मनाया जाता है। यह महोत्सव केन्द्रीय कृषि मंत्री डॉ. के.एम. मुंशी के द्वारा सन् 1950 में प्रारम्भ किया गया। वन समवर्ती सूची का विषय है।
प्राकृतिक वनस्पति
भारत के प्रमुख वन से संबंधित संस्थान-भारतीय वन्य जीवन संस्थान-देहरादून, सालिम अली पक्षी विज्ञान तथा प्राकृतिक इतिहास केन्द्र-कोयम्बटूर, राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान (NEERI)-नागपुर, पारिस्थितिकी अनुसंधान केन्द्र-बंग्लुरु, वानिकी अनुसंधान संस्थान-देहरादून, सामाजिक वानिकी एवं पारिस्थितिकी पुन:स्थापन संस्थान-इलाहाबाद (वर्तमान-प्रयागराज) में है, तो भारतीय वन प्रबंधन संस्थान-भोपाल में है ।
Bharat ke Praktik Vanaspati
भारतीय वन अनुसंधान संस्थान ( फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इण्डिया) - देहरादून की स्थापना सन् 1981 में की गई, जिसके भारत में चार प्रादेशिक कार्यालय (शिमला, नागपुर, बैंगलुरू व कोलकाता) है। यह संस्थान प्रत्येक दो वर्ष के बाद भारत की वन रिपोर्ट पेश करता है।
राष्ट्रीय वन नीति-1952 के अनुसार देश के कुल क्षेत्रफल के 33% भाग पर वन होने चाहिए जबकि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में 60% भाग पर एवं मैदानी क्षेत्रों में 25% भाग पर वन होने चाहिए।
भौतिक प्रदेशों की दृष्टि से भारत में सर्वाधिक वन क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश के अन्तर्गत आते है। भारत की प्रथम वन नीति 1894 में ब्रिटिश शासनकाल के समय, स्वतंत्र भारत की प्रथम वन नीति सन् 1952 में एवं भारत की संशोधित वन नीति 1988 में बनाई गई।
विश्व के 90% से भी अधिक जैव द्रव्यमान उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों में है। उष्ण कटिबंधीय बरसाती वनों में वृक्षों की अधिकांश किस्में कभी भी अपनी पत्तियाँ नहीं गिराती है। आलू को कंद फसल में वर्गीकृत किया जा सकता है। नासिक शहर अंगूरों की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है। कुफरी चमत्कार आलू की प्रजाति है। रॉयल सीमा एक सूखा-ग्रस्त क्षेत्र है। टुंड्रा टाइप वनस्पतियाँ आर्कटिक क्षेत्रों में पाई जाती है।
कम्युनिटी (सामुदायिक) वन को उनकी उपयुक्तता के आधार पर सबसे उत्तम माना जाता है। नारियल फसल - को बागान-फसल माना जाता है। कृषि प्रधान भूमि के इकाई क्षेत्र के के अनुसार, अभिव्यक्त व्यक्तियों की संख्या को कृषि घनत्व कहते हैं। नदियों द्वारा लाई मिट्टी को कछारी मिट्टी के नाम से जाना जाता है। भारत का सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र इंडो-गंगेटिक क्षेत्र है। लाल के मिट्टी में खेती करना बहुत कठिन है।
भारत बन स्थिति रिपोर्ट, 2019
भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा राज्य वन रिपोर्ट प्रत्येक दो वर्षों से 1987 से प्रकाशित की जा रही है। यह इस श्रेणी की 16वीं रिपोर्ट है। 30 दिसम्बर, 2019 को नई दिल्ली में भारत वन रिपोर्ट, 2019 जारी की गई, जिसके अनुसार देश में कुल वन (3976) व वृक्षावरण, (1212) कुल क्षेत्र में 5188 वर्ग किमी. (0.65%) की वृद्धि हुई है। इसमें 3976 वर्ग किमी. की वृद्धि (056% ) वन क्षेत्र व 1212 | वर्ग किमी. की वृद्धि वृक्षावरण क्षेत्र में हुई है।
वर्ष 2019 की वन रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभिलेखित वन क्षेत्र 7, 67,419 वर्ग किमी. (2334%) है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8,07,276 वर्ग किमी. (2456%) वन व वृक्षावरण क्षेत्र है। वन स्थिति रिपोर्ट, (वर्ष 2019 के अनुसार भारत में क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक वन क्षेत्र मध्यप्रदेश में 77482 वर्ग किमी. (25.14%) है। भारत में भौगोलिक इस क्षेत्र के प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक प्रतिशत वन क्षेत्र लक्षद्वीप में है। भारत में कुल वन क्षेत्र 712249 वर्ग किमी. है, जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 21.67% है, जिसमें अति सघन वन 99278 वर्ग किमी. (3.02%), सामान्य सघन वन 308472 वर्ग किमी. (9.39%) एवं खुले वन 304499 वर्ग किमी. (9.26% ) है।
भारत वन क्षेत्र के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में है, तो वहीं संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत को दुनिया के इन 10 देशों में 8वां स्थान दिया गया है, जहाँ वार्षिक स्तर पर वन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज हुई है। भारत में 4975 वर्ग किमी. क्षेत्र पर मैंग्रोव वन क्षेत्र है। यह भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% है। मैंग्रोव वन क्षेत्र में 2017 की तुलना में 54 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई। सर्वाधिक मैंग्रोव वन क्षेत्र पश्चिम बंगाल (42.45%) व गुजरात (23.66%) में है। भारत में कुल वृक्षाच्छादित क्षेत्र 95027 वर्ग किमी. (भौगोलिक का 2.89%) है। वर्ष 2019 की इस रिपोर्ट में देश का कुल बांस वाला क्षेत्र 160037 वर्ग किमी. है।
भारत में सर्वाधिक वनावरण प्रतिशत वाले राज्य
1. मिजोरम - 85.41%
2. अरुणाचल प्रदेश - 79.63%
3. मेघालय - 76.33%
4. मणिपुर - 75.46%
5. नागालैण्ड - 75.31%
भारत में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले राज्य
1. मध्यप्रदेश 77482 वर्ग किमी.
2. अरुणाचल प्रदेश 66688 वर्ग किमी.
3. छत्तीसगढ़ 55611 वर्ग किमी.
4.ओडिशा 51619 वर्ग किमी.
5. महाराष्ट्र 50778 वर्ग किमी.
भारत में वन क्षेत्रफल में वृद्धि वाले शीर्ष राज्य
1. कर्नाटक - 1025 वर्ग किमी.
2. आंध्रप्रदेश - 990 वर्ग किमी.
3. केरल - 823 वर्ग किमी.
4. जम्मू-कश्मीर - 371 वर्ग किमी.
5. हिमाचल प्रदेश - 334 वर्ग किमी.
भारत में वनों का वर्गीकरण
भारत एक अत्यधिक विविधता पूर्ण जलवायु एवं मृदा का देश है इसलिए यहाँ उष्ण कटिबंधीय वनों से लेकर टुंड्रा प्रदेश तक की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। वनों के विभिन्न प्रकार भौगोलिक तत्वों (वर्षा, तापमान, आर्द्रता, मिट्टी, समुद्र तल से ऊँचाई तथा भूगर्भिक संरचना) पर निर्भर रहते हैं। वैधानिक आधार पर वनों का वर्गीकरण इस प्रकार है:
सुरक्षित वन-
ये वन सीधे सरकार की देखरेख में होते हैं जिसमें लकड़ी इकट्ठा करने एवं पशुचारण हेतु जनसाधारण का प्रवेश वर्जित होता है,
संरक्षित वन-
इन वनों की देखभाल सरकार द्वारा की जाती है परन्तु इनमें स्थानीय लोगों को बिना इन्हें क्षति पहुँचाये लकड़ी/जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने और पशुचारण की छूट होती है तथा
अवर्गीकृत वन-
ये वे वन हैं जिनका अभी तक वर्गीकरण नहीं किया गया है। इनमें वृक्षों के काटे जाने और पशुचारण आदि पर प्रतिबन्ध नहीं होता है।
याद करने की ट्रिक
भारत की प्राकृतिक वनस्पति
उपमा जाओ अब देशी शंख बजाओ
उपमा जाओ - उ.प्र. हिमालय, जम्मू व उत्तराखण्ड में निम्न वनस्पति पायी जाती है।
अ - अल्पाइन घास
दे- देवदार
शंख - सखुआ
व - वर्ष
शी - सिल्वर
बजाओ - कुछ नहीं
एच.जी. चैम्पियन ने भारत के वनों का वर्गीकरण भारत के तापमान के आधार पर किया है। जो मुख्य रूप से छः भागों में बाँटे गए हैं-
उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन
उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनों के लिए औसत वर्षा-200 सेमी. से अधिक, तापमान-25° - 28°C होता है, इनकी ऊँचाई-40 से 60 मीटर होती है। इन वनों के क्षेत्र-पश्चिम घाट पर्वत के पश्चिमी ढ़ाल (उत्तरी पूर्वी भारत, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह) है। इनमें सर्वाधिक जैव विविधता पायी जाती है। इन वनों के प्रमुख वृक्ष-रबर, महोगनी, नारियल, बाँस, सिनकोना, आर्किड आदि हैं।
उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन लकड़ी की कठोरता व न बिकाऊ होने के कारण आर्थिक दृष्टि से अधिक उपयोगी नहीं हैं। उत्तरी सह्याद्रि प्रदेश में इन वनों को 'शोला वन के नाम से जाना जाता है।
उच्च आर्द्रता तथा तापमान के कारण उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन अत्यधिक सघन तथा इनमें विद्यमान वृक्षों की ऊँचाई अधिक होती है। ये वन अधिकांशत: मानसूनी हवाओं की आने वाली दिशा की तरफ के ढलानों पर अधिक पाए जाते हैं। पादप विविधता इन वनों में सर्वाधिक पाई जाती है। ब्राजील के उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों को पृथ्वी के फेफड़े कहा जाता है।
विश्व के 90% से भी अधिक जैव द्रव्यमान उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों में है। उष्ण कटिबंधीय बरसाती वनों में वृक्षों की अधिकांश किस्में कभी भी पत्तियां नहीं गिराती हैं। नीलगिरि पहाड़ियों पर उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते है।
उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती/पतझड़ी/मानसूनी वन
इन वनों के लिए औसत वर्षा- 100-200 सेमी. से अधिक, तापमान-25°-28°C होता है, इनकी ऊँचाई-30 से 45 मीटर होती है । इन वनों के क्षेत्र- गंगा के मध्य व निचली घाटी (तराई प्रदेश), पश्चिम बंगाल व ओडिशा, पश्चिमी घाट का पूर्वी ढाल है। इन वनों के प्रमुख वृक्ष-साल, सागवान, शीशम, टीक, चंदन, आम सर्वाधिक चंदन वृक्ष-कर्नाटक राज्य में आदि हैं। भारतीय भूमि पर सर्वाधिक क्षेत्रफल उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों का पाया जाता है।
उष्ण कटिबंधिय पर्णपाती वन इमारती लकड़ी प्रदान करते हैं। ये वन आर्थिक दृष्टि से अधिक उपयोगी होते हैं। कम घने होने के कारण वर्तमान में इनका क्षति हो रही है। भारतीय प्रायद्वीप में, उष्णकटिबंधीय साल वन पश्चिमी घाट में पाए जाते है। सिंह, जिराफ, बाइसन जैसे जानवर पर्णपाती वनों में पाए जाते है।
उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन
इन वनों के लिए औसत वर्षा-50-100 सेमी. से अधिक, तापमान-25° - 35°C होता है, इनकी ऊँचाई-6 से 9 मीटर होती है। इन वनों के क्षेत्र-पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा दक्षिणी प्रायद्वीपीय शुष्क प्रदेश है। इन वनों के प्रमुख वृक्ष शीशम, बबूल, आम, महुआ, किंकर आदि हैं।
उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन आर्थिक दृष्टि से मूल्यवान वन हैं। इनको साफ कर कृषि कार्य के उपयोग में लिया जा रहा है।
मरूस्थलीय वन
मरुस्थलीय वनों का विस्तार उन क्षेत्रों में पाया जाता हैं जहाँ वर्षा की मात्रा कम होती है। इन वनों के लिए औसत वर्षा-50 सेमी. से कम, तापमान-30°-35°C होता है, इन वनों के क्षेत्र पंजाब, राजस्थान, गुजरात, लेह (लद्दाख), कर्नाटक, तेलंगाना (आंध्र प्रदेश). विदर्भ (महाराष्ट्र) का वृष्टिछाया प्रदेश है । इन वनों के प्रमुख वृक्ष-कींकर. बबूल, पलाश, नागफनी, खेजड़ी, कैक्ट्स आदि हैं।
ज्वारीय या डेल्टाई/मैंग्रोव/दलदली वन
कच्छ की वनस्पति को 'मैंग्रोव' वन कहा जाता है। ज्वारीय या डेल्टाई वन नदियों के डेल्टाई क्षेत्रों में खारे पानी के कारण दलदल पाये जाते हैं। भारत में ऐसे वन गंगा, महानदी, गोदावरी, कृष्णा. कावेरी नदियों के डेल्टाई प्रदेशों में पाये जाते हैं।
गंगा व ब्रह्मपुत्र का डेल्टा सुंदरी वृक्ष की अधिकता के कारण सुन्दरवन डेल्टा भी कहलाता है। इन क्षेत्रों में बाँस, नारियल, ताड़ के वृक्ष प्रमुख रूप से देखने को मिलते हैं। भारत में मैंग्रोव व वनस्पति का सर्वाधिक विस्तार पश्चिम बंगाल राज्य में है। उसके बाद गुजरात और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह का स्थान है।
भारत में विश्व की लगभग 3 प्रतिशत तथा एशिया की लगभग 8 प्रतिशत कच्छ वनस्पति पाई जाती है। सरकार ने गहन संरक्षण तथा प्रबंधन हेतु समग्र देश के आधार पर 38 कच्छ वनस्पति क्षेत्रों व 4 प्रवाह भित्ति क्षेत्रों की पहचान की है-मन्नार की खाड़ी (तमिलनाडु), कच्छ की खाड़ी (गुजरात), लक्षद्वीप एवं अडमान और निकोबार द्वीप समूह । पर्यावरण मंत्रालय ने ओडिशा में राष्ट्रीय कच्छ वनस्पति आनुवांशिक संसाधन केन्द्र की स्थापना की है।
प्रवाल भित्तियाँ आपस में पक्की तरह से जुड़े पथरीले प्रवाल पॉलिपों के ढाँचे होते हैं। ये समुद्री जीव-जन्तुओं और वनस्पति के लिए आश्रय और पोषण प्रदान करती है। भारतीय प्रवाल भित्ति क्षेत्र लगभग 2383.87 वर्ग किमी है। सरकार ने पोर्टब्लेयर में एक राष्ट्रीय प्रवाल भित्ति अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की है। प्लेटफार्म (फ्रीजिंग) भित्तियाँ कच्छ की खाड़ी और एटॉल भित्तियाँ लक्षद्वीप समूह में पाई जाती है। ज्वारीय वन समुद्री कटाव को रोकते हैं एवं इनकी लकड़ियाँ जल में सड़ती नहीं हैं। ये भी एक प्रकार के उच्च जैव-विविधता युक्त सदाहरित वन ही हैं।
पर्वतीय वन/शोलास वन
इसे मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है-(1) उत्तरी या हिमालय वन, (2) दक्षिणी या प्रायद्वीपीय वन। पर्वतीय वनस्पति पर ऊँचाई का प्रभाव दिखाई पड़ता है। पूर्वी हिमालय में पश्चिमी हिमालय से अधिक वर्षा होती है जिस कारण पूर्वी हिमालय पर अधिक सघन वन पाये जाते हैं।
(i) उष्ण कटिबंधीय वन-
1800 मीटर की ऊँचाई तक पाये जाते हैं। प्रमुख वृक्ष-रोजवुड व साल
(ii) शीतोष्ण (कोणधारी वन) कटिबंधीय वन-
1800 से 3500 मीटर की ऊँचाई तक मध्य हिमालय में ये वन जाये जाते हैं । प्रमुख वृक्ष-देवदार, मैपिल, वर्च, सिलवर, स्वप्न आदि।.
(iii) अल्पाइन वनस्पति-
3500 से 4800 मीटर के मध्य ऊँचाई प्रमुख वृक्ष-काई, लिचेन।
भारतीय वनों की समस्याएं
- वन क्षेत्र में खनन कार्य, अत्यधिक पशु चारण, वनों को जलाकर अस्थायी कृषि करने के कारण भारत में वन क्षेत्र निरन्तर कम होता जा रहा है।
- भारत में वनों का वितरण असमान है।
- बढ़ती जनसंख्या के कारण वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।
धातव्य रहे- मृदा अपरदन, जल चक्रण पर प्रभाव व वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास का विनाश वनों के कटाव के प्रमुख परिणाम है। पेड़ों की कटाई वर्षा की मात्रा को घटाती है।
वन संरक्षण के उपाय
- वनों को विकसित एवं संरक्षित करने वाले विभिन्न कार्यक्रम यथा सामाजिक वानिकी, रूँख भायला, चिपको आन्दोलन को अधिक से बढ़ावा दिया जावे।
- वनों के प्रति समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर वनों को राष्ट्रीय धरोहर माना जावे व वृक्षारोपण में जनसहभागिता बढ़ायी जावे।
- तालाबों, नहरों, सड़कों के किनारे औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय व सरकारी परिसरों में लघु वन क्षेत्र विकसित किए जाए।
- वनों की अंधाधुंध कटाई रोकी जावे।
ये भी जानें
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में दिया जाने वाला प्रमुख पुरस्कार वृक्ष मित्र है ।
सवाई /समसई घास का सर्वाधिक क्षेत्रफल मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश में, सागवान के वनों का सर्वाधिक क्षेत्रफल मध्यप्रदेश में, तेंदू के सर्वाधिक वृक्ष मध्यप्रदेश (तेंदू वृक्ष के पत्तों से बीड़ी बनती है, इसी कारण मध्यप्रदेश बीड़ी के उत्पादन में अग्रणी है) में, साल (महुआ) वन का सर्वाधिक विस्तार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से लेकर असम के नवगाँव जिले के तराई क्षेत्रों में, चंदन के सर्वाधिक वृक्ष कर्नाटक (दूसरा स्थान तमिलनाडु) में, शहतूत के सर्वाधिक वन कर्नाटक (शहतूत के वृक्ष पर रेशमकीटों का पालन होता है इसी कारण कर्नाटक कच्चे रेमश के उत्पादन में अग्रणी है) में, बाँस का सर्वाधिक उत्पादन कर्नाटक (दूसरा स्थान असोम) में, देवदार एवं चीड़ के वृक्ष हिमालय क्षेत्रों में, लोह का उत्पादन झारखण्ड में होता है, तो नारियल का सर्वाधिक उत्पादन केरल (केन्द्रीय नारियल अनुसंधान संस्थान काशरगोड- केरल) में होता है।
- वन संरक्षण अधिनियम के अनुसार चाय, रबड़, शहतूत आदि की खेती गैर-वन्य गतिविधि है। भारतीय वन संशोधन अधिनियम, 2017 में वृक्षों की सूची में से बांस को निकाल दिया गया है।
- जर्मनी में काले वन पाए जाते है।
- वन अधिकार अधिनियम, 2006 का मूल उद्देश्य पारम्परिक रूप से वनों में रहने वाले समुदायों के अधिकारों को मान्यता देना है।
- अपवाह क्षेत्र में वन कटाई में वृद्धि के कारण उत्तर भारत में बाढ़ की घटनाएं बढ़ी है।
- वन कटाई दुष्परिणामों में सूखा पड़ना, बाढ़ आना व भू-क्षरण होना आदि है।
- सरगुजा में वनों की संख्या सर्वाधिक है।
- तराई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वन कटाई का मुख्य कारण लकड़ी था।
- छत्तीसगढ़ में कुल्लु काष्ठहीन वन उत्पाद राष्ट्रीयकृत श्रेणी के अंतर्गत आता है।
- भारत में शंकुधारी वन हिमालय में पाये जाते है।
- भारत में चंदन की लकड़ी के लिए कर्नाटक राज्य प्रसिद्ध है।
- भारत में खाद की सर्वाधिक खपत पंजाब राज्य में होती है।
- फूलों की घाटी उत्तराखण्ड में स्थित है।
- नीम का वृक्ष जैविक कीटनाशक का उत्पादक है। चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा है।
- भारत का अरूणाचल प्रदेश राज्य अधिकतम घने वनों से आच्छादित है।
- वन नवीकरणीय (समाप्त नहीं होने वाले अर्थात जिनका पुनः चक्रण आसानी से संभव हो) प्राकृतिक संसाधन हैं।
- उत्तरीय गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों शीतोष्ण एवं शीत कटिबंध में शंकुधारी पेड़-पौधे पाए जाते है।
- टैगा वन में सॉफ्टवुड तथा हार्डवुड दोनों प्रकार के पेड़ पाए जाते हैं। शंकुधारी वन / टैगा क्षेत्र में चीड़ के वृक्ष पाए जाते है।
- जानवरों और पादपों की प्रजातियों में अत्यधिक विविधता उष्ण प्रदेशीय आर्द्र वनों में होती है।
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