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Rajasthan ka Ekikaran in Hindi - राजस्थान का एकीकरण
Rajasthan ka Ekikaran in Hindi - राजस्थान का एकीकरण |
एकीकरण के समय राजस्थान में कुल 3 ठिकाने और 19 रियासते थी
राजस्थान के ठिकाने व शासक निम्नलिखित हैं
- नीमराणा ( अलवर ) राव राजेन्द्र सिंह
- कुशलगढ़ ( बांसवाड़ा ) राव हरेन्द्र सिंह ।
- लावा ( जयपुर ) बंस प्रदीप सिंह
केन्द्र शासित प्रदेश
एकीकरण के समय राजस्थान का एकमात्र केन्द्रशासित प्रदेश अजमेर मेरवाडा था ।
अजमेर मेरवाडा की अलग से विधानसभा थी, जिसे धारासभा के नाम से जाना जाता था ।
अजमेर-मेरवाडा की विधानसभा में कुल 30 सदस्य थे ।
इस विधानसभा के प्रथम व एकमात्र मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे । अजमेर-मेरवाडा 'सी' श्रेणी का राज्य था ।
एजेन्ट टू गवर्नर जनरल (ए.जी.जी.)
एजेन्ट टू गर्वनर जनरल का संस्थापक विलियम बैंटिक को माना जाता है । विलियम बैंटिक ने 1832 में राजपूताना प्रेजीडेन्सी नामक संस्था की स्थापना की, जिसका प्रमुख नियंत्रण अधिकारी A G G था और इसका मुख्यालय अजमेर में रखा गया ।
- प्रथम ए.जी.जी॰ मिस्टर हेनरी लॉकेट को बनाया गया ।
- ए॰जी॰जी. का मुख्यालय 1845 ई. में अजमेर से बदलकर माउंट आबू( सिरोही ) में रखा गया ।
- 1857 ई. की क्रांति के समय ए॰जी.जी. का मुख्यालय माउण्ट आबू में था तथा पैट्रिक लाॅसेन्स ए जी जी. था । ए.जी.जी॰ का प्रमुख कार्य रियासतों पर निगरानी रखना था ।
एकीकरण के समय राजस्थान में चार राजनीतिक एजेंसियाँ थी
- राजस्थान राजपूताना स्टेट एजेन्सी कोटा
- पश्चिमी राजपूताना स्टेट एजेन्सी जोधपुर
- दक्षिण/मेवाड राजपूताना स्टेट एजेन्सी उदयपुर
- जयपुर राजपूताना स्टेट एजेन्सी जयपुर
राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में हुआ जो निम्नलिखित है
प्रथम चरण : मत्स्य संघ 18 मार्च, 1948 ई.
मत्स्य संघ - अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली व नीमराणा ठिकाना ( 4+ 1 )
सिफारिश - के. एम. मुन्शी की सिफारिश पर प्रथम चरण का नाम मत्स्य संघ रखा गया ।
राजधानी - अलवर
राजप्रमुख - उदयभान सिंह ( धोलपुर) ।
उपराजप्रमुख - गणेशपाल देव (करौली) ।
प्रधानमंत्री - शोभाराम कुमावत (अलवर) ।
उप-प्रधानमंत्री - युगल किशोर चतुर्वेदी व गोपीलाल यादव ।
उपराजप्रमुख - गणेशपाल देव (करौली) ।
प्रधानमंत्री - शोभाराम कुमावत (अलवर) ।
उप-प्रधानमंत्री - युगल किशोर चतुर्वेदी व गोपीलाल यादव ।
मत्स्य संघ के बनने में युगल किशोर चतुर्वेदी का अत्यधिक सहयोग रहा । युगल किशोर चतुर्वेदी को दूसरा जवाहरलाल नेहरू के उपनाम से जाना जाता है ।
उद्घाटनकर्ता - N V गाॅडगिल (नरहरी विष्णु गॉडगिल)
मत्स्य संघ का उद्घाटन 17 मार्च, 1948 ई. को होने वाला था किन्तु भरतपुर शासक के छोटे भाई जाट नेता देशराज ने इस संघ को जाट विरोधी बताया और जाटों से संघ का निर्माण रोकने के लिए आह्वान किया, इसके फलस्वरूप जाटों का एक प्रतिनिधि इस संघ में शामिल किया गया और तभी 18 मार्च , 1948 ई. को इस संघ का उद्घाटन हो सका ।
मत्स्य संघ का विधिवत् उद्घाटन 18 मार्च, 1948 ई. को एन वी. गॉडगिल (नरहरि विष्णु गॉडगिल ) के द्वारा लौहागढ़ दुर्ग ( भरतपुर) में किया गया मत्स्य संघ का क्षेत्रफल लगभग 12,000 वर्ग किमी. जनसंख्या । 18.38 लाख एवं वार्षिक आय 184 लाख रुपए थी ।
दूसरा चरण राजस्थान संघ - 25 मार्च, 1948 ई.
राजस्थान संघ/पूर्व राजस्थान - डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, शाहपुरा, किशनगढ़, टोंक, बूंदी, कोटा, झालावाड़ व कुशलगढ़ ठिकाना (9+ 1 )
राजधानी - कोटा
राजप्रमुख - भीमसिंह (कोटा)
उप राजप्रमुख - लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर)
प्रधानमंत्री - गोकुल लाल असावा (शाहपुरा)
उद्घाटनकर्ता - एन.वी. गाॅडगिल
उद्घाटन - दूसरे चरण का उद्घाटन कोटा दुर्ग में किया गया ।
पूर्व राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 16807 वर्ग किमी. जनसंख्या लगभग 2305 लाख एवं वार्षिक आय 200 करोड़ रुपए से अधिक थी ।
जब मेवाड के महाराणा भूपालसिंह ने राजस्थान संघ में शालि होने से मना कर दिया तो श्री माणिक्य लाल वर्मा ने मेवाड के महाराणा का विरोध करते हुए कहा कि ' मेवाड़ की बीस लाख जनता के भाग्य का फैसला अकेले महाराणा और उनके प्रधानमंत्री सर राममूर्ति नहीं कर सकते इससे मेवाड में महाराणा के विरोध में पूरी जनता उतर आई । इससे बचने के लिए 23 मार्च, 1948 ई. को मेवाड के महाराणा ने वी पी. मेनन के पास उसके प्रधानमंत्री सर राममूर्ति को तीन माँगों के साथ भेजा और पूर्व राजस्थान संघ के उद्धाटन की तारीख को 25 मार्च से आगे बढ़ाने का आग्रह किया ।
मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह की तीन शर्ते -
- मेवाड के महाराणा को संयुक्त राजस्थान संघ का वंशानुगत राजप्रमुख बनाया जाए
- उदयपुर को इस संयुक्त राजस्थान संघ की राजधानी बनाई जाए ।
- मेवाड के महाराणा को 20 लाख रुपया वार्षिक प्री. वी. पर्स दिया जाए ।
भोपाल सिंह एकीकरण के समय एकमात्र अपाहिज व्यक्ति था
तीसरा चरण : संयुक्त राजस्थान - 18 अप्रैल, 1948 ई.
संयुक्त राजस्थान - राजस्थान संघ + उदयपुर ( 10+1 )
राजधानी - उदयपुर
राजप्रमुख - भूपालसिंह (मेवाड)
उप-राजप्रमुख - भीमसिंह (कोटा)
प्रधानमंत्री - माणिक्यलाल वर्मा (मेवाड)
सिफारिश - पंडित जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर माणिक्यलाल वर्मा को संयुक्त राजस्थान का प्रधानमंत्री बनाया गया ।
उद्घाटनकर्ता - पण्डित जवाहरलाल नेहरू ।
उद्घाटनकर्ता - पण्डित जवाहरलाल नेहरू ।
उद्घाटन - तीसरे चरण का उद्घाटन कोटा दुर्ग में किया गया ।
संयुक्त राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 29,777 वर्ग मील, जनसंख्या 42 ,60,918 तथा वार्षिक आय 3,016 करोड़ रुपये थी ।
भारतीय महाद्वीप में मेवाड का स्थान कहाँ होगा, इसका निर्णय तो मेरे पूर्वज शताब्दियों पूर्व कर चुके है । यदि वे देश के प्रति गद्दारी करते तो मुझे भी आज हैदराबाद जैसी बडी रियासत विरासत में मिलती । पर न तो मेरे पूर्वजों ने ऐसा किया और न मैं ऐसा करूँगा । मेवाड महाराणा भूपाल सिंह जोधपुर के राव राजा हणूत सिंह के पाकिस्तान में विलय के प्रस्ताव पर
चौथा चरण : वृहद राजस्थान - 3० मार्च, 1949 ई.
वृहद राजस्थान - संयुक्त राजस्थान + जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर व बीकानेर + लावा ठिकाना ( 14+2 )
राजधानी - जयपुर
सिफारिश - श्री पी. सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को राजधानी बनाया गया राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया के दोरान राज्य की राजधानी के मुद्दे को सुलझाने के लिए बी आर. पटेल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था ।
महाराज प्रमुख - भोपाल सिंह (मेवाड)
राजप्रमुख - मानसिंह द्वितीय (जयपुर)
उपराजप्रमुख - भीमसिंह (कोटा)
प्रधानमंत्री - हीरालाल शास्त्री( जयपुर)
उद्घाटनकर्ता - सरदार वल्लभ भाई पटेल
न्याय का विभाग - जोधपुर
उद्घाटनकर्ता - सरदार वल्लभ भाई पटेल
न्याय का विभाग - जोधपुर
शिक्षा का विभाग - बीकानेर
वन विभाग - कोटा
कृषि विभाग - भरतपुर
खनिज विभाग - उदयपुर
पांचवां चरण : वृहत्तर राजस्थान ( संयुक्त वृहत्त राजस्थान) 15 मई, 1949 ई.
वृहत्तर राजस्थान - वृहद राजस्थान + मत्स्य संघ ( 18+3 )
सिफारिश - शंकरराव देव समिति की सिफारिश पर मत्स्य संघ को वृहत्तर राजस्थान में मिलाया गया ।
राजधानी - जयपुर
महाराज प्रमुख - भूपालसिंह (मेवाड) ।
महाराज प्रमुख - भूपालसिंह (मेवाड) ।
राज प्नमुख - मानसिंह द्वितीय (जयपुर) ।
प्रधानमंत्री - हीरालाल शास्त्री (जयपुर) ।
उद्घाटनकर्ता - सरदार वल्लभ भाई पटेल ।
मत्स्य संघ को राजस्थान में मिलाने के लिए शंकर देवराय, हिम्मत सिंह, आर.के माधव एवं प्रभुदयाल का महत्वपूर्ण सहयोग रहा ।
छठा चरण : राजस्थान संघ 26 जनवरी, 1950 ई.
राजस्थान संघ - वृहत्तर राजस्थान + सिरोही, आबू दिलवाडा (19+3)
राजधानी - जयपुर
महाराज प्रमुख - भूपालसिंह
राजप्रमुख - मानसिंह द्वितीय
प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री - हीरालाल शास्त्री
प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री - हीरालाल शास्त्री
26 जनवरी 1950 ई. को राजस्थान को 'बी' श्रेणी में शामिल किया गया
26 जनवरी 1 950 ई. को राजपूताना का नाम बदलकर राजस्थान रख दिया गया ।
26 जनवरी 1 950 ई. को राजपूताना का नाम बदलकर राजस्थान रख दिया गया ।
अखिल भारतीय देशी लोक परिषद' की राजपूताना प्रांतीय सभा के महामंत्री हीरालाल शास्त्री ने 10 अप्रैल, 1948 ई. को सरदार वल्लभ भाई पटेल के पास एक तार भेजा जिसमें लिखा था, कि 'हमें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उदयपुर संयुक्त राजस्थान में शामिल हो रहा है, इससे सिरोही का राजस्थान में मिलना और भी अवश्यंभावी हो गया है, फिर हमारे लिए सिरोही का अर्ध है गोकुल भाई बिना गोकुलभाई के हम राजस्थान को नहीं चला सकते
दिल्ली लौटते ही नेहरू ने सरदार पटेल को पत्र भेजकर बताया कि राजस्थान के कार्यकर्ताओं का जिस प्रश्न पर सर्वाधिक रोष है । वह सिरोही है मुझे बार-बार कहा गया की गत 300 वर्षों से भाषा और अन्य हर प्रकार से सिरोही राजस्थान प्रदेश का अंग रहा है अत: उसे राजस्थान में मिलना चाहिए । मैंने उन कार्यकर्ताओं से कहा कि मुझे इस विषय के विभिन्न पहलुओं की जानकारी नहीं है अत: मैं इस संबंध में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूँ किन्तु साधारणतया जहाँ मतभेद हों वहां जनता की राय ही मान्य होनी चाहिए ।
सरदार पटेल ने पं. नेहरू को इस पत्र का जवाब देते हुए लिखा कि," सिरोही के संबंध में मेरी इन लोगों से कई बार बातचीत हुई है । पर सभी मुद्दों पर विचार करने के बाद ही हम इस निर्णय पर पहुंचते हैं, कि सिरोही गुजरात में ही होना चाहिए । उन्हें सिरोही नहीं चाहिए उन्हें तो गोकुल भाई भट्ट चाहिए । उनकी यह माँग सिरोही को राजस्थान के दिए बिना पूरी की जा सकती है । सरदार पटेल एक अत्यंत चतुर राजनीतिज्ञ थे उन्होंने 26 जनवरी, 1950 ई. को पर्यटक स्थल माउंट आबू( सिरोही ) का एक भाग गुजरात प्रांत में जबकि गोकुल भाई भट्ट का जन्म स्थान हाथल गाँव सहित सिरोही का शेष भाग राजस्थान को दे दिया ।
गोकुल भाई भट्ट ने माउण्ट आबू के राजस्थान में विलय में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
सिरोही का राजस्थान संघ में विलय दो चरणों में पूर्ण हुआ
सातवां चरण : वर्तमान राजस्थान 1 नवम्बर, 1956 ई.
वर्तमान राजस्थान - राजस्थान संघ + आबू दिलवाड़ा + अजमेर मेरवाड़ा + सुनेल टप्पा - सिरोंज क्षेत्र ( 19+3+1 )
राजधानी - जयपुर
सिफारिश - राज्य पुनर्गठन आयोग (अध्यक्ष-फजल अली) की सिफारिश पर अजमेर मेरवाड़ा, आबू दिलवाडा व सुनेल टप्पा को वर्तमान राजस्थान में मिलाया गया । राजस्थान के झालावाड़ का सिरोंज क्षेत्र मध्यप्रदेश में मिला दिया गया ।
राज्य पुनर्गठन आयोग भाषाई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 22 दिसम्बर, 1953 ई. को एक राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की । जस्टिस फजल अली को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और पं. ह्रदयनाथ कुंजरू तथा सरदार पान्निकर इसके सदस्य चुने गए ।
इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सितम्बर, 1955 ई. को भारत सरकार को सौप दी । इस रिपोर्ट के आधार पर संसद ने नवम्बर, 1956 ई. में राज्य पुनर्गठन अधिनियम बनाया । इस अधिनियम के द्वारा अ, ब एवं स राज्यों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया तथा राजप्रमुख के पद को भी समाप्त कर राज्यपाल का नया पद सृजित किया गया ।
राज्यपाल - गुरूमुख निहालसिंह
मुख्यमंत्री - मोहनलाल सुखाडिया
Rajasthan ka Ekikaran Chart/Sarni
चरण
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प्रथम चरण : मत्स्य संघ
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दूसरा चरण राजस्थान संघ
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तीसरा चरण : संयुक्त राजस्थान
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चौथा चरण : वृहद राजस्थान
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पांचवां चरण : वृहत्तर राजस्थान ( संयुक्त वृहत्त राजस्थान)
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छठा चरण : राजस्थान संघ
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सातवां चरण : वर्तमान राजस्थान
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स्थापना
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18 मार्च, 1948 ई.
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25 मार्च, 1948 ई.
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18 अप्रैल, 1948 ई.
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3० मार्च, 1949 ई.
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15 मई, 1949 ई.
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26 जनवरी, 1950
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1 नवम्बर, 1956 ई.
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राजधानी
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अलवर
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कोटा
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उदयपुर
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जयपुर
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जयपुर
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जयपुर
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जयपुर
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रियासते
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अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली
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डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, शाहपुरा, किशनगढ़, टोंक, बूंदी, कोटा, झालावाड़
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राजस्थान संघ + उदयपुर ( 10+1 )
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संयुक्त राजस्थान + जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर व बीकानेर + लावा ठिकाना
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वृहद राजस्थान + मत्स्य संघ ( 18+3 )
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वृहत्तर राजस्थान + सिरोही, आबू दिलवाडा
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राजस्थान संघ + आबू दिलवाड़ा + अजमेर मेरवाड़ा + सुनेल टप्पा - सिरोंज क्षेत्र
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ठिकाने
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नीमराणा
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कुशलगढ़
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कुशलगढ़
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लावा कुशलगढ़
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नीमराणा कुशलगढ़ लावा
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राजप्रमुख
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उदयभान सिंह ( धोलपुर)
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भीमसिंह (कोटा)
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भूपालसिंह (मेवाड)
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मानसिंह द्वितीय (जयपुर)
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मानसिंह द्वितीय (जयपुर)
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मानसिंह द्वितीय (जयपुर)
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उपराजप्रमुख
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गणेशपाल देव (करौली)
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लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर)
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भीमसिंह (कोटा)
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भीमसिंह (कोटा)
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महाराज प्रमुख
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भूपालसिंह (मेवाड)
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भूपालसिंह (मेवाड)
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भूपालसिंह (मेवाड)
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प्रधानमंत्री
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शोभाराम कुमावत (अलवर)
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गोकुल लाल असावा (शाहपुरा)
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माणिक्यलाल वर्मा (मेवाड)
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हीरालाल शास्त्री (जयपुर)
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हीरालाल शास्त्री (जयपुर)
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हीरालाल शास्त्री (जयपुर)
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हीरालाल शास्त्री (जयपुर)
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उद्घाटनकर्ता
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गाडगिल
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गाडगिल
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जवाहरलाल नेहरू
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वल्लभ भाई पटेल
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Rajasthan ka Ekikaran महत्वपूर्ण तथ्य
अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् के राजपूताना प्रान्तीय सभा का अधिवेशन 9 सितम्बर, 1946 को हुआ । इसमे नेहरूजी ने कर्नल जेम्स टॉड के राजस्थान शब्द का दूसरी बार 117 वर्ष बाद प्रयोग किया । यह शब्द एकीकरण के छठे चरण में वैधानिक रूप से राजपूताना की जगह प्रयोग में लाया जाने लगा ।
- रियासती विभाग की स्थापना 5 जुलाई , 1947 ई. मे हुई ।
- रियासती विभाग का अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल को बनाया गया
- Riyasti विभाग का सदस्य सचिव वी पी. मेनन को बनाया गया ।
- वी पी. मेनन द्वारा लिखित पुस्तक द स्टोरी आँफ इंटीग्रेशन आँफ इंडियन स्टेटस है ।
बाँसवाड़ा के शासक चंद्रवीर सिंह ने एकीकरण विलयपत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था कि ’ मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ । '
- रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली प्रथम रियासत बीकानेर थी ।
- बीकानेर के शासक सार्दुल सिंह के द्वारा 7 अगस्त 1947 ई. को सर्वप्रथम रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया था
- रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली अंतिम रियासत धौलपुर थी ।
- धौलपुर के शासक उदयभान सिंह के द्वारा 14 अगस्त 1947 को रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया
- प्रिवीपर्स को चौथी पंचवर्षीय योजना में समात कर दिया गया ।
- राजस्थान के एकीकरण का श्रेय सरदार पटेल को है ।
- 26 जनवरी 1950 को राजपूताना का नाम बदलकर राजस्थान रखा गया ।
- 26 जनवरी 1950 को राजस्थान को 'ख व B' श्रेणी का दर्जा दिया गया ।
- राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर 1956 को आया ।
- 1 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष राजस्थान स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- 30 मार्च को प्रत्येक वर्ष राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान में 26 जिले थे
राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ । जो कि निम्नलिखित है
- मत्स्य संघ (मत्स्य यूनियन)
- राजस्थान संघ / पूर्व राजस्थान (राजस्थान यूनियन )
- संयुक्त राजस्थान (यूनाइटेड स्टेट आँफ राजस्थान)
- वृहत् राजस्थान (ग्रेटर राजस्थान)
- संयुक्त वृहत / वृहतर राजस्थान (यूनाइटेड स्टेट आँफ ग्रेटर राजस्थान)
- राजस्थान संघ (यूनाइटेड स्टेट)
- वर्तमान राजस्थान (रि-आर्गेनाइजेशन राजस्थान)
राजस्थान के एकीकरण में 8 वर्ष 7 महीने 14 दिन का समय लगा
राजस्थान में एकीकरण के समय 19 रियासतें, 3 ठिकाने व एक केंद्रशासित प्रदेश अजमेर मेरवाडा था ।
भारत में एकीकरण के समय 565 रियासतें थी भारत में एकीकरण के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली 562 रियासतें थी ।
3 रियासतों ने एकीकरण विलय पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए जो कि निम्नलिखित है कश्मीर, हैदराबाद, जूनागत (गुजरात)
- भारत की क्षेत्रफल में सबसे बडी रियासत हैदराबाद थी ।
- भारत की क्षेत्रफल में सबसे छोटी रियासत बिलवारी ( मध्यप्रदेश ) थी ।
- राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड ( उदयपुर ) थी ।
- इस रियासत की स्थापना 565 ई. में गुहिल द्वारा की गई । राजस्थान की सबसे नवीनतम रियासत झालावाड थी ।
- इस रियासत की स्थाफ्ता 1838 ई. में झाला मदन सिंह ने की थी ।
- झालावाड रियासत को कोटा रियासत से अलग करके बनाया गया था ।
- झालावाड की राजधानी पाटन रखी गई थी । झालावाड अंग्रेजों द्वारा स्थापित राजस्थान की एकमात्र रियासत थी ।
- राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बडी रियासत मारवाड/जोधपुर ( 16 हजार 71 वर्ग मील ) थी ।
- राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत शाहपुरा, भीलवाड़ा (1450 वर्गमील) थी ।
- Rajasthan में सर्वाधिक जनसंख्या वाली रियासत जयपुर थी ।
- 1941 ई. की जनगणना के समय जयपुर की कुल जनसंख्या 30 लाख थी ।
- राजस्थान में सबसे कम जनसंख्या वाली रियासत शाहपुरा थी ।
- 1941 ई. की जनगणना के समय शाहपुरा की कुल जनसंख्या 16,000 थी ।
महात्मा गाँधी की हत्या के सन्देह में अलवर के शासक तेज सिंह व दीवान एन बी. खरे को 7 फरवरी, 1948 को दिल्ली में नजरबन्द करके रखा गया ।
अलवर रियासत ने भारत का प्रथम स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया था ।
भारत सरकार के रियासती विभाग ने 6-8 अगस्त, 1945 ई. मे श्रीनगर में हुई बैठक में यह भी घोषणा कर दी थी कि वह रियासत ही अपना पृथक अस्तित्व रख सकती है जिसकी आबादी 10 लाख या उससे अधिक हो तथा उसकी वार्षिक आय एक करोड़ या उससे अधिक हो ।
उपर्युक्त शर्त को पूरा करने वाली राजस्थान में निम्नलिखित रियासतें थीं -
जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर
एकीकरण के समय वे रियासतें जो राजस्थान में नहीं मिलना चाहती थीं, निम्नलिखित है -
- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, डूंगरपुर, जोधपुर, टोंक
- टोंक व जोधपुर रियासतें एकीकरण के समय पाकिस्तान में मिलना चाहती थी ।
जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह जिन्ना से मिलने के लिए दिल्ली गए। वीपी. मेनन हनुबंत सिंह को दिल्ली में बहाने से वायसराय भवन में माउंटबेटन के पास ले गए । जहाँ मजबूरन हनुवंत सिंह को राजस्थान के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने पड़े
हनुवंत सिंह ने वीपी. मेनन पर ' पैन पिस्टल' तानकर मेनन से कहा कि मैं तुम्हारे दबाव मे नहीं आने वाला हूँ । तभी. वहाँ माउंट बेटन आ गया । माउंट बेटन वे हनुवंत सिंह से पैन पिस्टल लेकर उनको वहाँ से विदा किया । वर्तमान में यह पैन पिस्टल इंग्लैंड के एक क्लब में रखी हुई है । वी पी. मेनन के प्रयास तथा लार्ड माउंटबेटन के दबाव के कारण जोधपुर शासक अपनी रियासत को पाकिस्तान में विलय करने का विचार त्याग कर बृहद् राजस्थान संघ में मिलने को तैयार हो गया ।
- इसी दौरान जैसलमेर रियासत भी विलय के लिए तैयार हो गई थी ।
- भरतपुर व धौलपुर रियासतें भाषायी समानता के आधार पर उत्तरप्रदेश से मिलना चाहती थी ।
रियासती विभाग ने भरतपुर और धौलपुर रियासत की जनता की राय जानने के लिए डॉ. शंकरदेव राय समिति का गठन किया गया । इस समिति में दो सदस्य श्री प्रभुदयाल व श्री आर. के. सिंघावा को नियुक्त किया गया ।
इस समिति के दो सदस्यों ने दो राज्यों का दौरा कर वहाँ की जनता की रास जानकर अपनी रिपोर्ट तैयार की जिसमें लिखा था कि दोनों रियासतों की अधिकांश जनता बृहद् राजस्थान में मिलने के पक्ष में हैं ।
एकीकरण के समय भरतपुर , धौलपुर रियासतों पर जनता की राय जानने के लिए एम.एस.जैन कमेटी का गठन किया गया था ।
डॉ. शंकर देव राय समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए मई, 1949 ई. को मत्स्य संघ को ' वृहद् राजस्थान संघ ' में मिलाकर इसका नाम 'संयुक्त वृहद् राजस्थान संघ' किए जाने की विज्ञप्ति जारी की, जो 15 मई, 1949 को साकार हुई ।
- राजस्थान में भरतपुर व धौलपुर दो जाट रियासतें थी ।
- भारत में केवल टोंक, पालनपुर ( गुजरात ) दो मुस्लिम रियासतें थी ।
- राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी ।
एकीकरण के समय सर्वाधिक धरोहर राशि( पोते बाकी )बीकानेर रियासत के द्वारा वृहत् राजस्थान को जमा करवाई गई ।
- यह धरोहर राशि 4 करोड 87 लाख रूपये थी ।
- अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली राजपूताना की अंतिम रियासत सिरोही थी ।
जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर रियासत जो कि पाकिस्तान की सीमा पर स्थित थे वहाँ रेगिस्तान व अनुपजाऊ मिट्टी तथा यातायात एवं संचार साधनों की कमी के कारण आर्थिक रूप से पिछड़े हुए थे ।
v p मेनन ने इन तीनों रियासतों को काठियावाड में मिलाकर एक केन्द्र शासित राज्य बनाने की योजना बनाई, जिससे उनको सरकार के द्वारा हर संभव सहायता दी जा सके ।
जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर तीनों राज्यों की जनता की भावना राजस्थान में मिलने की थी और उसी समय समाजवादी दल के नेता श्री राममनोहर लोहिया ने राजस्थान आंदोलन समिति की स्थापना कर जयपुर, जोधपुर , बीकानेर , जैसलमेर व मत्स्य संघ को संयुक्त राजस्थान में मिलाने की माँग की ।
मानसिंह द्वितीय ने वी पी. मेनन को राजपूताना की रियासतों को तीन संघों में विभाजित करने का सुझाव दिया
- पहला संघ - संयुक्त राजस्थान संघ यथावत बना रहे ।
- दूसरा संघ - जयपुर, अलवर व करौली के विलय से बनाया जाए ।
- तीसरा संघ - जोधपुर, जैसलमेर, व बीकानेर को मिलाकर ' पश्चिमी राजस्थान यूनियन' के नाम से बनाया जाए ।
महाराजा मानसिंह द्वितीय दो शर्तो के साथ वृहद् राजस्थान संघ में मिलने के लिए तैयार हुआ
- पहली शर्त मानसिंह द्वितीय ने बृहद् राजस्थान संघ के वंशानुगत राजप्रमुख बनने की रखी ।
- दूसरी शर्त जयपुर को बृहद् राजस्थान संघ की राजधानी बनाने की रखी ।
मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह ने राजस्थान, गुजरात और मालवा के छोटे-बड़े राज्यों को मिलाकर एक बडी इकार्ई राजस्थान यूनियन बनाने के उद्देश्य से 25 - 26 जून, 1946 ई. को उदयपुर में राजाओं का सम्मेलन आयोजित किया ।
डूंगरपुर महारावल लक्ष्मणसिंह वृहत्तर डूंगरपुर का निर्माण करना चाहता था उसने डूंगरपुर, बांसवाड़ा, कुशलगढ़, लावा और प्रतापगढ के राज्यों को मिलाकर बागड़ संघ का निर्माण करने का प्रयास किया मगर महारावल लक्ष्मणसिंह को भी अपने प्रयासों मे सफलता नही मिली ।
कोटा महाराव भीमसिंह कोटा, बूंदी और झालावाड राज्यों को मिलाकर एक वृहत्तर कोटा राज्य के निर्माण में लग गया किन्तु पारस्परिक अविश्वास, ईर्ष्या एवं अपना पृथक अस्तित्व बनाये रखने की महत्वकांक्षा के कारण हाड़ौती संघ अस्तित्व में नहीं आ सका ।
जयपुर के महाराजा द्वारा राजपूताना संघ बनाने का प्रयास किया गया ।
सितम्बर, 1946 ई. को अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद ने भी यह कह दिया कि राजस्थान की कोई भी रियासत अपने आप में भारतीय संघ में शामिल होने योग्य नहीं है, अत: समस्त राजस्थान को एक ही इकाई के रूप में भारतीय संघ में सम्मिलित होना चाहिए
1946 में संविधान निर्मात्री सभा में राजस्थान से मनोनीत सदस्य
नाम
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रियासत
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श्री वी टी. कृष्णमाचारी
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जयपुर
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श्री हीरालाल शास्त्री
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जयपुर
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श्री सरदार सिंह
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खेतडी
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श्री राय बहादुर
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भरतपुर
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श्री बलवंत सिंह मेहता
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उदयपुर
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श्री माणिक्यलाल वर्मा
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उदयपुर
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श्री जयनारायण व्यास
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जोधपुर
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श्री मुकुंटबिहारी भार्गव
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अजमेर मेरवाडा
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श्री जसवंत सिंह
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बीकानेर
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श्री गोकुल लाल असावा
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शाहपुरा ( भीलवाडा )
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श्री दलेल सिंह
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कोटा
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श्री रामचन्द्र उपाध्याय
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अलवर
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महाराणा भूपालसिंह ने 23 मई , 1947 ई. को अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद का उदयपुर में ही दूसरा सम्मेलन बुलाया और उसमें उपस्थित सभी राजाओ को महाराणा ने चेतावनी देते हुए कहा कि ' हम लोगों ने मिलकर रियासतों की यूनियन नहीं बनवाई तो सभी रियासतें जो प्रांतों के समकक्ष नहीं है निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगी ।
आजादी के समय जैसलमेर का शासक महारावल जवाहर सिंह ( 1914 49 ई. ) था ।
Rajasthan ka Ekikaran PDF File Details
Name of The Book : *Rajasthan ka Ekikaran PDF in Hindi*
Document Format: PDF
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Book Credit: S. R. Khand
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4 Comments
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