छत्रपति शिवाजी का इतिहास
- शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल 1627 को शिवनेर दुर्ग में हुआ इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले था उनकी माता का नाम जीजाबाई था
- संरक्षक - दादा कोकण देव
- गुरु का नाम रामदास था
Shivaji Maharaj ki History
Shivaji Maharaj ki History - छत्रपति शिवाजी महाराज |
- शिवाजी का विवाह है 1641 में सईबाई निंबालकर के साथ हुआ 1646 में शिवाजी ने तोरण दुर्ग को जीता यह शिवाजी की प्रथम विजय थी यह बीजापुर राज्य के नियंत्रण में था
जावली दुर्ग विजय 1656
- इस समय जावली दुर्ग का किलेदार चंद्रराव मोरे था जिसे हराकर दुर्ग को जीता
रायगढ़ विजय 1656
- शिवाजी ने रायगढ़ को जीतकर अपनी राजधानी बनाया था
अफजल खान का वध 1659
- अफजल खा बीजापुर राज्य का योग्य सेनापति था जिसका वध शिवाजी ने 1659 में किया था
शाइस्ता खां से संघर्ष 1607 से 63 तक
- साहिस्ता खान मुगल सेनापति था औरंगजेब ने 1600 शाइस्ता खां को शिवाजी के दमन के लिए दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया था इसने पूना सहित अनेक दुर्गों पर अधिकार कर लिया लेकिन 1663 में शिवाजी ने शाइस्ता खां को पराजित कर पुना सहित अन्य सभी दुर्गों पर पुनः अधिकार कर लिया
शिवाजी द्वारा सूरत की प्रथम लूट 1664
- 1664 में मुगल फौजदारी इनायत खान था जिसे पराजित कर शिवाजी ने सूरत में स्थित मुगल खजाने को लूट लिया
पुरंदर की संधि 1665
- शिवाजी और मिर्जा राजा जयसिंह के मध्य पुरंदर की संधि हुई इस संधि में जयसिंह ने औरंगजेब का प्रतिनिधित्व किया था
संधि की शर्तें
- शिवाजी को अपने 35 में से 23 दुर्ग मुगलों को सौंपने पड़े
- शिवाजी को व्यक्तिगत रूप से मुगल दरबार में उपस्थित होने से छूट दी गई
- संभाजी (शिवाजी के पुत्र) को मुगल दरबार में 5000 का मनसब दिया गया
नोट - 1666 में शिवाजी मुगल दरबार में उपस्थित हुए
शिवाजी द्वारा सूरत की द्वितीय लूट 1670 में की गई थी
शिवाजी का राज्यभिषेक
- शिवाजी का प्रथम राज्य अभिषेक 15 जून 1674 को रायगढ़ राजधानी में हुआ यह राज्यभिषेक काशी के प्रसिद्ध पंडित वाग्भट ने किया था इस अवसर पर शिवाजी ने छत्रपति वह गोब्राह्मणप्रतिपालक की उपाधि धारण की थी और शिवाजी का दूसरा राज्य अभिषेक 1674 में हुआ दूसरा राज्यभिषेक प्रसिद्ध तांत्रिक निश्चल पुरी गोस्वामी द्वारा किया गया
कर्नाटक विजय 1677-78
- कर्नाटक विजय शिवाजी की अंतिम विजय थी शिवाजी की मृत्यु अप्रैल 1680 में रायगढ़ में हुई थी शिवाजी के बाद उनका पुत्र संभाजी मराठा छत्रपति बना था
संगमेश्वर युद्ध 1689
- औरंगजेब संभाजी के मध्य हुआ था संभाजी पराजित हुए वह मुगलों द्वारा पकड़े गए मुगलों की कैद में ही 1689 में संभाजी व उनके सहायक कवि कलश की हत्या कर दी गई
शिवाजी का शासन प्रबंध
- शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान के नाम से जाना जाता था इसमें 8 प्रधान थे
- पेशवा- प्रधानमंत्री को कहा जाता था शिवाजी के प्रथम पेशवा शिवराज नीलकंठ थे
- अमात्य- वित्त मंत्री को कहा जाता था शिवाजी के प्रथम अमात्य बालकृष्ण थे
- मंत्री- राजा की दैनिक घटनाओं को लिपिबद्ध करने वाला व्यक्ति
- सचिव- पत्राचार विभाग का प्रमुख सचिव कहलाता था
- सुमंत- विदेश मंत्री को सुमंत कहा जाता था
- सर ए नौबत- सेनापति को कहा जाता था
- पंडितराव- धर्म व दान विभाग का प्रमुख था
- न्यायाधीश- न्याय विभाग का प्रमुख था
शिवाजी का साम्राज्य चार प्रांतों में बंटा हुआ था
- केंद्रीय प्रांत शिवाजी प्रशासक
- उत्तरी प्रांत त्रिंबक प्रशासक
- दक्षिणी प्रांत अन्नाजी दत्तो
- दक्षिण पूर्वी प्रांत दंतो जी पंत
शिवाजी घुड़सवार सेना को पागा कहा जाता था सेना के दो प्रकार थे
- बरगिर
- शिलेदार
- बरगिर - सैनिक जिन्हें अस्त्र-शस्त्र वह घोड़े राज्य की ओर से दिए जाते थे
- शिलेदार- सैनिक जिले अस्त्र-शस्त्र वह घोड़ा की व्यवस्था समय करनी होती थी
- जल सेना का प्रधान केंद्र कुलाबा था और जल सेना का प्रधान सेनापति दर्यासारंग था
- शिवाजी के समय भूमि के माप को काठी कहा जाता था 20 कट्ठी बराबर एक बीघा होता था
- शिवाजी की आय के मुख्य स्रोत चौथ व सरदेशमुखी नामक दो कर थे
चौथ
- पड़ोसी राज्यों द्वारा मराठा आक्रमण से बचने के लिए अपने भू-राजस्व का 1 बटा 4 भाग मराठों को दिया जाता था जिसे चोथ कहा जाता था
सरदेशमुखी
- मराठा राज्य क्षेत्र के निवासियों को उनकी आमदनी का 1 बटा 10 भाग कर के रूप में लिया जाता था जिसे सरदेशमुखी कहा जाता था
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