बिजोलिया किसान आंदोलन
|
Rajasthan Kisan Andolan PDF Part 2 |
- बिजोलिया वर्तमान में भीलवाड़ा जिले में है यह मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था इसे उपरमाल क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता था बिजोलिया ठिकाने का संस्थापक अशोक परमार था अशोक परमार को यह क्षेत्र 1526 - 27 में राणा सांगा ने प्रदान किया था बिजोलियामें मुख्यतः धाकड़ जाति के किसान रहते थे यह राजस्थान का प्रथम व सबसे अधिक लंबे समय तक चलने वाला किसान आंदोलन था यह 1897 से प्रारंभ होकर 1941 तक कुल 44 वर्ष तक चला यह एक अहिंसात्मक किसान आंदोलन था इसका प्रारंभ गिरधरपुरा ग्राम से माना जाता है
- आंदोलन के प्रारंभ के समय बिजोलिया का जागीरदार राव किशन सिंह था तथा उस समय मेवाड़ का महाराणा फतेह सिंह था 1903 में रामकिशन सिंह ने चवरी कर नामक नया कर लगाया और 1905 में हटा दिया नए जागीरदार पृथ्वी सिंह ने 1906 तलवार बंधाई नामक नया कर लगाया यह उत्तराधिकारी कर से संबंधित था
- बिजोलिया किसान आंदोलन का सर्वप्रथम नेतृत्व साधु सीताराम दास ने संभाला बाद में विजय सिंह पथिक ने बिजोलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व संभाला 1916 में विजय सिंह पथिक ने किसान पंच बोर्ड की स्थापना की तथा साधु सीताराम दास को इसका अध्यक्ष बनाया गया
- 1917 में विजय सिंह पथिक ने उपरमाल पंच बोर्ड की स्थापना की और मन्ना जी पटेल को इसका अध्यक्ष बनाया विजय सिंह पथिक ने बिजोलिया आंदोलन को राष्ट्रीय रूप देने के लिए कानपुर से प्रकाशित गणेश शंकर विद्यार्थी के समाचार पत्र प्रताप का सहारा लिया
- 1919 में वर्धा में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना हुई राजस्थान सेवा संघ के मुख्य नेता विजय सिंह पथिक रामनारायण चौधरी माणिक्य लाल वर्मा आदि ने इस संघ के माध्यम से बिजोलिया किसान आंदोलन को संचालित किया 1919 में सरकार ने बिजोलिया किसान आंदोलन की जांच के लिए इंदुलाल भट्टाचार्य आयोग की नियुक्ति की तथा जांच कार्यक्रम प्रारंभ किया तथा उस समय के तत्कालीन ए जी जी होलैंड ने बिजोरिया की यात्रा की और 84 में से 32 Lagaan हटाने की सिफारिश की
- 1927 में रामनारायण चौधरी से मतभेद होने के कारण विजय सिंह पथिक इस आंदोलन से अलग हो गए
अंततः माणिक्य लाल वर्मा के प्रयासों से 1941 में मेवाड़ के प्रधानमंत्री राघवाचार्य और बिजोरिया के किसानों के मध्य समझौता हो गया परिणामत ये आंदोलन 1941 में आंदोलन समाप्त हो गया
बेंगू किसान आंदोलन
- बेंगू नामक स्थान वर्तमान में चित्तौड़गढ़ जिले में है यह मेवाड़ का एक ठिकाना था यह आंदोलन 1921 से 1925 तक चला इसका नेतृत्व रामनारायण चौधरी ने किया इसका प्रारंभ भीलवाड़ा के बेंगु नामक स्थान से हुआ इस आंदोलन को बोल्शेविक किसान आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है
- 1923 में मेवाड़ सरकार ने जागीरदार अनूप सिंह को बेंगू में जागीरदार पद से हटाकर लाला अमृतलाल को बेंगू का जागीरदार नियुक्त किया बेगू के किसानों की मांगों की जांच के लिए सरकार ने ट्रेस आयोग का भी गठन किया था
- 1930 में बेंगु के गोविंदपुरा नामक गांव में किसानों पर गोलियां चलाई गई थी गोली बारी में रूपाजी कृपा जी नामक किसान नेता मारे गए थे इस घटना को गोविंदपुरा हत्याकांड के नाम से पहचाना जाता है
मारवाड़ किसान आंदोलन
- यह आंदोलन 1923 से 1947 तक चला इसका नेतृत्व जयनारायण व्यास ने किया जय नारायण व्यास ने 1923 में मारवाड़ हितकारिणी सभा का पुनर्गठन किया इस सभा के माध्यम से मारवाड़ के किसान आंदोलन का संचालन किया गया मूल रूप से मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना 1918 में चांदमल सुराणा ने की थी
- जय नारायण व्यास ने राजस्थान सेवा संघ द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र तरुण राजस्थान के माध्यम से मारवाड़ के किसानों की दशा को उजागर किया जय नारायण व्यास ने मारवाड़ के किसानों से संबंधित दो महत्वपूर्ण लघु पुस्तिकाएं पोपाबाई का राज और मारवाड़ की दुर्दशा प्रकाशित की थी
डाबड़ा कांड
- 13 मार्च 1947 को डीडवाना के डाबड़ा नामक स्थान पर चल रहे किसान सम्मेलन में जागीरदार के सिपाहियों ने हमला कर दिया इस हमले में चुन्नीलाल शर्मा वह जग्गू जाट नामक दो किसान नेता मारे गए थे
बीकानेर किसान आंदोलन
- 1927 में गंगा सिंह ने गंग नहर का निर्माण कार्य करवाया बढ़ती हुई लाग बाग में गंग नहर से उत्पन्न समस्याओं के कारण सर्वप्रथम बीकानेर के उदासर गांव में 1937 में किसान आंदोलन हुआ जिसका नेतृत्व जीवन राम चौधरी ने किया
- बीकानेर रियासत का दूसरा बड़ा किसान आंदोलन 1944 में चूरू के दूधवाखारा नामक स्थान पर हुआ जिसका नेतृत्व चौधरी हनुमान राम ने किया संपूर्ण बीकानेर रियासत में किसान आंदोलनों का नेतृत्व कुंभाराम ने किया था
अलवर किसान आंदोलन
- 14 मई 1925 को अलवर की नींबूचना नामक स्थान पर चल रहे किसान सम्मेलन में कमांडर छज्जू सिंह ने गोलियां चलाने का आदेश दे दिया परिणामत बड़ी संख्या में किसान मारे गए थे भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस हत्याकांड की निंदा करते हुए इसकी तुलना जलियांवाला बाघ हत्याकांड से करते हुए दोहरी डायरशाही की संज्ञा दी
- अलवर के मेव किसान आंदोलन का नेतृत्व मोहन अली ने किया था
- भरतपुर में किसान आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय है भोज लंबरदार को जाता है
शेखावाटी किसान आंदोलन
- शेखावाटी किसान आंदोलन का नेतृत्व रामनारायण चौधरी देशराज हरलाल सिंह ने किया था शेखावाटी में 421 जागीर थी
जयसिंहपुरा हत्याकांड 1934
- जयसिंह पुरा गांव में हल जोत रहे किसानों की हत्या कर दी गई हत्या के आरोप में ठाकुर ईश्वर सिंह को कारावास में सजा हुई जयपुर रियासत में यह प्रथम अवसर था जब किसी किसान की हत्या करने वाले जागीरदार को कारावास की सजा सुनाई गई हो 1934 में सीकर के कटराथल गांव में किशोरी देवी की अध्यक्षता में एक विशाल महिला सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें 10000 से भी अधिक महिलाओं ने भाग लिया
0 Comments