सूफी आंदोलन की शुरुआत ईरान से मानी जाती है सूफी सिलसिले दो प्रकार के थे
सूफी संतों को पीर में तथा उनके शिष्यों को मुरीद कहा जाता था उनके उत्तराधिकारी को वाली कहा जाता था इनके निवास स्थल को खान कहा कहा जाता था सूफी संतों के उपदेशों का संकलन को मलसुजात कहा जाता था तथा सूफी संतों के पत्रों के संकलन को मकतूबात कहा जाता है अबुल फजल ने आईने अकबरी में कुल 14 सूफी सिलसिलों का वर्णन किया है
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- बासरा- जो लोग शरीयत में विश्वास रखते थे उन्हें कहा जाता था
- बेसरा - जो लोग शरीयत में विश्वास नहीं रखते थे उन्हें कहां जाता था
सूफी संतों को पीर में तथा उनके शिष्यों को मुरीद कहा जाता था उनके उत्तराधिकारी को वाली कहा जाता था इनके निवास स्थल को खान कहा कहा जाता था सूफी संतों के उपदेशों का संकलन को मलसुजात कहा जाता था तथा सूफी संतों के पत्रों के संकलन को मकतूबात कहा जाता है अबुल फजल ने आईने अकबरी में कुल 14 सूफी सिलसिलों का वर्णन किया है
सूफी आंदोलन PDF in Hindi - Sufism in India |
चिश्ती संप्रदाय
- इस संप्रदाय की मूल रूप से स्थापना अब्दुल चिश्ती ने ईरान में की थी लेकिन भारत में इस सिलसिले का संस्थापक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती थे इन्होंने अजमेर में चिश्ती सिलसिले की स्थापना की थी
मोइनुद्दीन चिश्ती
- 1192 ईस्वी में मोहम्मद गौरी के साथ भारत आए और कुछ समय दिल्ली में लाहौर में रहने के बाद अजमेर को अपना केंद्र बनाया मोहम्मद गोरी ने इन्हें सुल्तान उल हिंद की उपाधि दी थी इन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है उनकी दरगाह का निर्माण इल्तुतमिश ने करवाया था इनकी मृत्यु 1235 में अजमेर में हुई थी दरगाह पर जाने वाला प्रथम सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक था बड़ी देर का निर्माण अकबर ने करवाया था
शेख हमीदुद्दीन नागौरी
- इन्होंने नागौर को अपना केंद्र बनाया कृषि कार्य से आजीविका चलाने वाले एकमात्र सूफी संत थे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने इन्हें सुल्तान उल तारकीन की उपाधि प्रदान की यह सूरह वर्दी सिलसिले से संबंधित है भारत में इस सिलसिले के संस्थापक बहाउद्दीन जकारिया थे
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
- यह मोइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य थे उन्होंने दिल्ली को अपना केंद्र बनाया था क़ुतुब मीनार का नामकरण इन्हीं के नाम पर किया गया है उनके शिष्य का नाम फरीदुद्दीन गंज ए शकर था इन्हें बाबा फरीद के नाम से भी जाना जाता था यह काकी के शिष्य थे उन्होंने पंजाब को अपना केंद्र बनाया और इन्हें पंजाबी भाषा का प्रथम कवि माना जाता है उनके दोहे धर्म ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में भी मिलती हैं यह बलबन के दमाद भी थे
शेख निजामुद्दीन औलिया
- शेख निजामुद्दीन औलिया बाबा फरीद के शिष्य थे दिल्ली को अपना केंद्र बनाया महबूब ए इलाही भी कहा जाता था निजामुद्दीन औलिया ने ग्यासुद्दीन तुगलक के संदर्भ में कहा था कि दिल्ली अभी दूर है यह 7 सुल्तानों के समकालीन थे किसी भी सुल्तान से मिले नहीं थे अलाउद्दीन खिलजी ने उनसे मिलने का प्रयास किया तो निजामुद्दीन औलिया ने कहा मेरे घर के दो दरवाजे हैं अगर सुल्तान एक दरवाजे से आएंगे तो मैं दूसरे दरवाजे से निकल जाऊंगा इनकी मृत्यु 1325 में हुई थी अमीर खुसरो और निजामुद्दीन बर्नी उनके शिष्य थे
शेख नसीरुद्दीन महमूद
- शेख नसीरुद्दीन महमूद दिल्ली को केंद्र बनाया चिराग ए दिल्ली के नाम से भी जाना जाता था मुगल काल में चिश्ती सिलसिले के प्रमुख संत शेख सलीम चिश्ती थे इनका मुख्य केंद्र फतेहपुर सीकरी था अकबर इन का अनुयाई था जहांगीर का जन्म उन्हीं के आशीर्वाद से इन्हीं की कुटिया फतेहपुर सीकरी में हुआ था
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