वायुमंडल की दीर्घकालीन औसत दशाओं के योग को जलवायु कहा जाता है एक समय विशेष में रहने वाली एक समान वायु की दिशा को जलवायु कहते हैं एक अंत समय काल में रहने वाली एक समान दशा के योग को मौसम कहा जाता है जो कि अल्पकालीन समय में परिवर्तित होता रहता है
भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है मानसून शब्द अरबी भाषा के शब्द मोहसिन से लिया गया है जिसका अर्थ होता है पवन में होने वाला परिवर्तन
बंगाल की खाड़ी का मानसून धारावी दो भागों में बांटी गई है
भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है मानसून शब्द अरबी भाषा के शब्द मोहसिन से लिया गया है जिसका अर्थ होता है पवन में होने वाला परिवर्तन
bhartiya jalvayu ki pramukh visheshta |
भारतीय जलवायु के कारक
- स्थिति एवं अक्षांशीय विस्तार
- उत्तर पर्वतीय श्रेणी
- महासागर से दूरी
- महासागरीय तल से ऊंचाई
- स्थलाकृति
- इन सभी कारणों के योग के कारण ही भारत की जलवायु को उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु कहा जाता है
- भारतीय जलवायु को चार रितु में बांटा जाता है ग्रीष्म ऋतु शरद ऋतु शीत ऋतु वर्षा ऋतु
ग्रीष्म ऋतु
- भारत में मार्च से जून के मध्य है ग्रीष्म ऋतु पाई जाती है इस ऋतु में तापमान ऊंचा बना रहता है तथा अत्यधिक गरम वायु चलती है जिसे लू कहा जाता हैक्योंकि 23 मार्च के बाद सूर्य की स्थिति उत्तरायण हो जाती है इस समय उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु पाई जाती है तथा दक्षिणी गोलार्ध में शीत ऋतु पाई जाती है
शरद ऋतु
- सितंबर से नवंबर तक भारत में शरद ऋतु पाई जाती है सूर्य 23 सितंबर के बाद दक्षिणायन हो जाता है तथा भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान में गिरावट होने लगती है तथा कम वायुदाब के स्थान पर उच्च वायुदाब पाया जाता है तथा वायु उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम दिशा में भूमि से जल विभाग की ओर चलती है
शीत ऋतु
- नवंबर माह के बाद से जनवरी माह तक भारतीय क्षेत्र में शीत ऋतु पाई जाती है इस ऋतु में उतरी भारत में कड़ाके की ठंड पाई जाती है तथा दक्षिणी भारत में तापमान सामान्य बना रहता है 3:30 डिग्री उत्तरी अक्षांश उत्तर में हवाएं धीमी में ठंडी चलती है जिन्हें शीतलहर कहा जाता है
वर्षा ऋतु
- जून से सितंबर के बीच भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होती है इस कारण इस समय वर्षा ऋतु का समय माना जाता है दक्षिणी पश्चिमी मानसून हवाओं के आकर्षण के कारण जून माह के दूसरे पखवाड़े में दक्षिणी भारत में वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिणी पश्चिमी मानसून सक्रिय होता है तथा भारी वर्षा करता है इन मानसूनी वर्षा से भारत में औसत वार्षिक वर्षा का 75% वर्षा होती है
दक्षिणी पश्चिमी मानसून पवन को दो भागो में विभक्त किया गया है
अरब सागरीय मानसून धारा
अरब सागर की मानसून धारा भारत के तटों पर पहुंचकर निबंध तीन भागों में बट जाती है
- पहली शाखा पश्चिमी घाट पर भारी वर्षा करती है
- दूसरी शाखा नर्मदा व ताप्ती की घाटियों में वर्षा करती है
- तीसरी शाखा अरावली के समांतर होती भी मध्य भारत में पहुंचती है
बंगाल की खाड़ी की मानसून धारा
बंगाल की खाड़ी का मानसून धारावी दो भागों में बांटी गई है
- पहली शाखा गंगा के मैदान में तथा गारो खासी जयंतिया की पहाड़ियों में भारी वर्षा करती है तथा विश्व का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान मासिनराम भी यही स्थित है
- दूसरी शाखा हिमालय पर्वतों से टकराती हुई हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर आदि क्षेत्रों में भारी बरसात करती है
समदाब रेखा
- समान वायुमंडलीय दाब वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को समदाब रेखा कहते हैं
सम लवण रेखा
- समान लवणता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को कहां जाता है
समोच्च रेखा
- समान ऊंचाई वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को कहा जाता है
सम गति रेखा
- समान वायु के वेग को नापने वाली रेखा को कहा जाता है
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