1857 ki kranti in rajasthan
1857 की क्रान्ति - 1857 ki kranti in rajasthan |
- 1857 की क्रांति के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था
- Kranti की निर्धारित तिथि 31 मई 1857 थी
- क्रांति के योजनाकार अजीमुल्ला व राजू जी बापू थे
- क्रांति का प्रारंभ 10 मई 1857 को मेरठ की छावनी से हुआ
- क्रांति का प्रारंभ मुस्लिम बटालियन ने किया था
- क्रांति का तत्कालीन कारण चर्बीयुक्त कारतूसों का प्रयोग था
- 12 मई 1857 को क्रांतिकारियों ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया और बहादुर शाह जफर को क्रांति का नेता घोषित किया गया
- क्रांति के समय राजस्थान का a g g बैटरी फ्लोरेंस था agg का मुख्यालय अजमेर में था
- राजस्थान में ग्रीष्मकालीन मुख्यालय माउंट आबू में था
क्रांति के समय राजस्थान में 6 सैनिक छावनियां थी
- नसीराबाद अजमेर
- नीमच MP
- एरिनपुरा पाली
- ब्यावर अजमेर
- देवली टोंक
- खेरवाड़ा उदयपुर
क्रांति के समय विभिन्न रियासतों के शासक व पोलिटिकल एजेंट
- मेवाड़ - स्वरूप सिंह - कैप्टन सवर
- मारवाड़ - तख्त सिंह - मैप मोशन
- जयपुर - राम सिंह - कर्नल ईडन
- कोटा - राम सिंह - मेजर बर्टन
- बीकानेर- सरदार सिंह
- करौली - मदनपाल
- राजस्थान में 1857 की क्रांति का प्रारंभ नसीराबाद की छावनी से हुआ
- क्रांति का प्रारंभ 28 मई 1857 को हुआ
- राजस्थान में क्रांति का प्रारंभ 15वीं बटालियन द्वारा किया गया
- नीमच में क्रांति का प्रारंभ 3 जून को हुआ यह क्रांति का नेता हीरा सिंह व मोहम्मद अली बेग थे
एरिनपुरा में क्रांति
- एरिनपुरा में क्रांति का प्रारंभ 21 अगस्त को हुआ
- एरिनपुरा में क्रांति का नेतृत्व आउवा के ठाकुर कुशाल सिंह ने किया
- कुशाल सिंह ने क्रांति का केंद्र सुगाली माता के मंदिर को बनाया
विठोड़ा का युद्ध 8 सितंबर 1857
- यह युद्ध क्रांतिकरीऔर जोधपुर राज्य के सेना के मध्य हुआ इस युद्ध में क्रांतिकारि सेना का नेतृत्व ठाकुर कुशाल सिंह ने किया था
चेलावास का युद्ध 18 सितंबर 1857
- यह युद्ध क्रांतिकारियों जोधपुर राज्य और अंग्रेजो की संयुक्त सेना के मध्य हुआ
- इस युद्ध में क्रांति का नेतृत्व कुशाल सिंह ने किया था
- एजेंट मेकमोशन मारा गया व इस युद्ध को गौरो और कालों का युद्ध कहां गया
- मारवाड़ की रेवाड़ी जाती मकमोसन को लोक देवता के रूप में पूजते हैं
कोटा में क्रांति
- कोटा क्रांति का सबसे बड़ा केंद्र था कोटा में क्रांति का प्रारंभ 15 अक्टूबर 1858 को हुआ
- क्रांतिकारियों ने कोटा के शासक रामसिंह को बंदी बना लिया तथा कोटा के एजेंट बटन को उनके पुत्रों सहित मौत के घाट उतार दिया
- करौली के शासक मदन सिंह ने कोटा के शासक राम सिंह को क्रांतिकारियों की कैद से मुक्त करवाया
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