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Rajasthan ke Pramukh Festival | राजस्थान के प्रमुख त्यौहार
राजस्थान में हर महीने में कोई ना कोई त्यौहार जरूर होता है यहां हर महीने के प्रमुख त्यौहार दिए गए है
चैत्र
धुलंडी ( चैत्र कृष्ण प्रतिपदा )
- चैत्र माह की कृष्ण प्रतिपदा को होली के दूसरे दिन धुलंडी मनायी जाती है ।
- इस दिन होली की अवशिष्ट राख की वंदना की जाती है व रंग व गुलाल आदि से सभी होली खेलते है
भिनाय की होली
- यह भीलवाडा व अजमेर के बीच मनाई जाती है ।
- इसमें दो दल एक दूसरे को कोडा मारते है ।
ब्यावर की होली
- मोची जाति के देवर-भाभी के बीच खेली जाती है ।
- इसमें देवर रंग लगाता है तथा भाभी कोडा मारती है ।
श्री महावीर जी की लट्ठमार होली
- इसमें पुरुष महिलाओं के साथ खेलते है । महिलाएँ लट्ठ मारती है ।
बाडमेर की होली
- यह पत्थर-मार होली के रूप में प्रसिद्ध है । इस अवसर पर ' इलोजी ' की सवारी निकाली जाती है ।
मेवाड़ की होली
- यहाँ पर आदिवासियों के द्वारा भगोरिया होली खेली जाती है ।
- इस दिन कोटा के आवां का न्हान तथा शेखावाटी का गीदड नृत्य प्रसिद्व है ।
शीतलाष्टमी ( चैत्र कृष्ण अष्टमी )
- शीतला अष्टमी को ठण्डा भोजन खाया जाता है, जिसे 'बासिड़ा' कहा जाता है ।
- इसी दिन शीतला माता की पूजा भी की जाती है ।
- इसे (चेचक) के प्रकोप को दूर करने वाली देवी माना जाता है ।
- शीतलामाता का मंदिर चाकसू-जयपुर में है ।
घुड़ला ( चैत्र कृष्ण अष्टमी )
- यह जोधपुर के राव सातलदेव की याद में मनाया जाता है ।
चैत्र शुक्ल एकम
- हिन्दुओं का नव वर्ष इस दिन से शुरू होता है । नवरात्रों का प्रारम्भ इसी दिन होता है ।
सिंजारा ( चैत्र शुक्ल द्वितीया )
- यह त्यौहार पुत्री और पुत्रवधू के प्रति प्रेम का प्रतीक है ।
- गणगौर व छोटी तीज के एक दिन पूर्व सिंजारा निकाला जाता है ।
गणगौर ( चैत्र शुक्ल तृतीया )
- यह गण (शिव) , गौर (पार्वती) के अखण्ड प्रेम का प्रतीक है ।
- इस दिन कुंवारी कन्याएँ मन पसन्द 'वर' प्राप्ति की कामना करती है ।
- इस दिन गणगौर की सवारी निकाली जाती है तथा जयपुर उदयपुर की गणगौर प्रसिद्ध है ।
- गणगौर का त्यौहार 16 दिनो तक चलता है ।
- राज्य में सर्वाधिक गीत गणगौर के अवसर पर गाये जाते है ।
- धींगा गवर जोधपुर की प्रसिद्ध है ।
- नाथद्वारा (राजसमंद) की गुलाबी गणगौर (चैत्र शुक्ल पंचमी) प्रसिद्ध है ।
- रामनवमी ( चैत्र शुक्ल नवमी) इस दिन भगवान राम का जन्मदिन मनाया जाता है ।
बैशाख
आखा तीज या अक्षय तृतीया ( बैशाख शुक्ल तृतीया )
- राज्य में कृषक वर्ग में सात अन्नों तथा हल का पूजन करके शीघ्र वर्षा कामना के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है ।
- शास्त्रों के अनुसार इस दिन सतयुग, त्रेतायुग का आरम्भ माना जाता है ।
- सम्पूर्ण वर्ष में यह एक बडा अबूझ सावा है ।
- इस दिन राज्य में हजारों विवाह विशेषत: बाल विवाह होते है ।
बैशाख पूर्णिमा
- महात्मा बुद्ध का जन्म उन्हें ज्ञान की प्राप्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति इसी दिन हुई ।
ज्येष्ठ
ज्येष्ठ माह के त्योहार |
वट सावित्री व्रत या बड़मावस ( ज्येष्ठ अमावस्या )
- इस व्रत से स्त्री को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
- इस दिन स्त्रियाँ बड/बरगद की पूजा करती है ।
निर्जला एकादशी ( ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी )
- इस एकादशी को व्रत रखने से वर्ष की शेष सभी एकादशियो के व्रत का फल मिल जाता है ।
- इस दिन बिना जल के व्रत किया जाता है ।
पीपल पूर्णिमा ( ज्येष्ठ पूर्णिमा )
- यह ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाई जाती है ।
- इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है
आषाढ
आषाढ़ माह के त्योहार |
योगिनी एकादशी (आषाढ कृष्ण एकादशी )
- इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है
देवश्यनी एकादशी ( आषाढ कृष्ण एकादशी )
- इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए सो जाते हैं ।
- इस दिन से चार माह तक कोई भी मांगलिक कार्य सम्पन्न नहीं किये जाते हैं ।
गुरु पूर्णिमा (आषाढ पूर्णिमा)
- इस दिन गुरू का पूजन होता है ।
- इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है ।
श्रावण
सावन माह के त्योहार |
नाग पंचमी ( श्रावण कृष्ण पंचमी )
- इस दिन नाग की पूजा की जाती है ।
- इस दिन घर के दरवाजे के दोनों और गोबर से नाग का चित्र अंकित किया जाता है ।
- कहीं-कहीं यह त्यौहार श्रावण शुक्ला पंचमी को भी मनाया जाता है ।
- जोधपुर में नागपंचमी का मेला लगता है ।
कामिका एकादशी व्रत ( श्रावण कृष्ण एकादशी )
- कामिका एकादशी व्रत निम्बार्को का रोहिणी व्रत है ।
- कामिका व्रत को वैष्णव का व्रत भी कहा जाता है
- इस व्रत मे भगवान विष्णु की पूजा की जाती है ।
हरियाली अमावस्या ( श्रावण अमावस्या )
- इस दिन खीर और मालपुए भोजन में बनाते है ।
- अजमेर के मांगलियावास गाँव में हरियाली अमावस्या को वृक्ष मेला लगता है ।
- श्रावणी अमावस्या को बुड्डा जोहड़ मेला तथा डिग्गीपुरी का राजा मेला लगता है ।
श्रावणी सोमवार
- श्रावण के सभी सोमवार को लडकियाँ भगवान शिव की पूजा करके खाना खाती है ।
छोटी तीज ( श्रावण शुक्ल तृतीया )
- तीज के साथ ही त्यौहार का आगमन माना जाता है जो गणगौर के साथ समाप्त होता है ।
- इस दिन झूलाझूलने की परम्परा है ।
- तीज के दिन जयपुर में तीज माता की सवारी निकाली जाती है ।
- छोटो तीज के लिए कहाँ गया है तीज त्यौहारा बावडी, ले डूबी गणगौर
- श्रावण तीज त्यौहार का वर्णन सुंधा अभिलेख से मिलता है
रक्षा बन्धन (श्रावण पूर्णिमा )
- यह मुख्यत ब्राह्मणों का त्यौहार माना जाता है ।
- रक्षा बन्थन को नया यज्ञोपवीत धारण किया जाता है ।
- प्राचीन काल में इस दिन बच्चों की पढाई प्रारम्भ की जाती थी ।
- अत: श्रावणी का दिन विद्या आरम्भ का प्रथम दिन माना जाता है।
- इस दिन घर के प्रमुख द्वार के दोनों ओर श्रवण कुमार के चित्र बनाकर पूजन करते है ।
- इसे नारियल पूर्णिमा या सत्य पूर्णिमा भी कहा जाता है ।
- रक्षा बंधन के दिन भारत के प्रसिद्व तीर्थ अमरनाथ में बर्फ का शिवलिंग बनता है ।
भाद्र
राजस्थान के प्रमुख त्यौहार |
बडी तीज/सातुडी तीज/कजली तीज/बूढी तीज ( भाद्र कृष्ण तृतीया)
- इस दिन व्रत रखकर गायों का पूजन करते है ।
- सात गायों के लिए आटे की सात रोटी बनाकर उन्हें खिलाकर ही भोजन ग्रहण किया जाता है ।
- कजली तीज मेला बूंदी में लगता है ।
- बडी तीज को नीम की पूजा की जाती है ।
कृष्ण जन्माष्टमी ( भाद्र कृष्ण अष्टमी )
- इसे कृष्ण जन्मोत्सव के रूप मे मनाया जाता है ।
- नाथद्वारा (राजसमद) में जन्माष्टमी का मेला लगता है ।
- भाद्र कृष्ण अष्टमी के दिन जाम्भोजी का जन्म हुआ तथा इसी दिन नरहड़ के पीर का उर्स लगता है ।
गोगा नवमी ( भाद्र कृष्ण नवमी )
- इस दिन गोगा जी तथा मांगलिया मेहाजी की पूजा की जाती है।
- इस दिन हनुमानगढ़ जिले में गोगामेडी नामक स्थान पर मेला भरता है ।
हरतालिका तीज ( भाद्र शुक्ल तृतीया )
- इस पर्व को गौरी शंकर का पूजन करके मनाया जाता है ।
- इस व्रत को सभी स्त्रियाँ कर सकती है । पूरे दिन निराहार रहकर सायंकाल स्नानादि के पश्चात् पार्वती व शिव की पूजा की जाती है ।
- तेरह प्रकार के व्यंजन बनाकर कल्पे जाते हैं ।
शिवा चतुर्थी ( भाद्र शुक्ल चतुर्थी )
- इस दिन स्त्रियाँ उपवास करती हैं तथा अपने सास-ससुर को घी गुड़, लवण आदि से बना भोजन कराती हैं ।
गणेश चतुर्थी ( भाद्र शुक्ल चतुर्थी)
- इस पर्व को गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाते है ।
- महाराष्ट्र में यह पर्व विशिष्ट रूप से मनाया जाता है ।
- गणेश चतुर्थी को चतरा/चतडा चौथ भी कहते हैं ।
- शेखावाटी में इस दिन लड़कों के सिंजारे आते है ।
- इस दिन रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) का मेला प्रसिद्ध है
- चतड़ा/चतरा चौथ, गणेश चतुर्थी के दिन नव विवाहित युवकों को सिंजारा भेजा जाता है ।
ऋषि पंचमी ( भाद्र शुक्ल पंचमी )
- इस दिन गंगा स्नान का विशेष महात्म्य है यह व्रत जाने-अनजाने हुए पापों के प्रक्षालन हेतु किया जाता है
- गणेशजी का कलश, नवग्रह तथा सप्तऋषि व अरुंधति की पूजा करके कथा सुनी जाती है ।
- माहेश्वरी समाज में राखी इसी दिन मनाई जाती है
राधाष्टमी ( भाद्र शुक्ल अष्टमी )
- यह राधा जी के जन्म के रूप में मनाया जाता है ।
- इस दिन अजमेर की निम्बार्क पीठ सलेमाबाद में मेला भरता है ।
विश्व कर्मा जयन्ती (भाद्रपद शुक्ल दशमी)
- इस दिन यंत्र और औजारों की पूजा की जाती है ।
- इस दिन तेजा दशमी का त्यौहार भी मनाया जाता है ।
रामदेव जयन्ती (भाद्रपद शुक्ल दशमी)
- बाबा रामदेव का जन्मोत्सव रामदेवरा रूणेचा (जैसलमेर) में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है ।
जलझूलनी/देवझूलनी (भाद्र शुक्ल एकादशी)
- इस दिन देवों की मूर्तियों को पालकियों तथा विमानों में गाजे-बाजे के साथ लेकर जलाशय के पास जाते है तथा स्नान करवाया जाता है ।
- जलझूलनी को ढोला ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है
श्राद्धपक्ष (भाद्र पूर्णिमा)
- इस दिन से सर्पपितृ श्राद्ध पक्ष प्रारभ हो जाता है तथा आश्विन अमावस्या तक चलता है ।
- इस अवधि मे श्राद्ध किया जाता है ।
- बुजुर्गों की मृत्यु तिथि के दिन श्रद्धापूर्वक तर्पण और ब्रह्मण को भोजन कराना ही श्राद्ध है । इस संस्कार को कनागत कहते है ।
साँझी
- इस त्यौहार में 15 दिन (भाद्र पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या) तक कुँवारी कन्याएँ भांति-भांति की सांझियाँ बनाती है व पूजा करती हैं ।
सतिया अमावस्या (भाद्रपद अमावस्या)
- भाद्रपद की अमावस्या को सतियां अमावस के नाम से जाना जाता है ।
बछबारस (भाद्र कृष्ण द्वादशी)
- भाद्र कृष्ण द्वादशी के दिन पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की मंगलकामना के लिए व्रत करती है । इस दिन गाय व बछडों की सेवा की जाती है ।
आश्विन
दुर्गाष्टमी (आश्विन शुक्ल अष्टमी)
- सम्पूर्ण भारत में विशेषत: पश्चिम बंगाल में उल्लासपूर्वक मनाई जाती है ।
- नवरात्रा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रा मनाये जाते है ।
- इस अवसर पर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है तथा नौ कुंवारी कन्याओँ को भोजन करवाया जाता है ।
- इस अवसर पर जयपुर में शीलादेवी के मंदिर में पूरे नौ दिन तक मेला लगता है ।
- राजपूत लोग इस अवसर पर अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं ।
- इसे शरदीय नवरात्रा के नाम से भी जाना जाता है ।
दशहरा (आश्विन शुक्ल दशमी)
- इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई पर विजय पाईं, इसलिए इसे विजयादशमी कहते है ।
- राजस्थान में कोटा तथा भारत में मैसूर शहर में दशहरे के दिन सबसे बडा मेला लगता है ।
- दशहरे के दिन शमी वृक्ष (खेजडी) की पूजा की जाती है तथा लीलटास पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है ।
- एक पुरानी परम्परा के अनुसार राजस्थान दो शासक इसी दिन शिकार का बहाना बनाकर पडोसियों के विरुद्ध अभियान शुरू करते थे ।
- मुगल सम्राटों में जहांगीर दशहरा देखने का शौकीन था ।
शरद पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा)
- इसे रास पूर्णिमा भी कहते है
- ज्योतिषियों के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा षोडश कलाओं से परिपूर्ण होता है । रात्रि को खीर बनाकर पूरी रात चांदनी रात में रखकर सुबह खाईं जाती है ।
कार्तिक
करवा चौथ (कार्तिक कृष्ण चतुर्थी )
- यह त्यौहार स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय त्यौहार है ।
- इस दिन स्त्रियां सुहाग की लंबी आयु के लिए व्रत करती है ।
अहोई अष्टमी (कार्तिक कृष्ण अष्टमी )
- इस दिन पुत्रवती स्त्रियां निर्जल व्रत करती है ।
- इस दिन दीवार पर स्याऊ माता व उसके बच्चों के चित्र बनाये जाते है ।
तुलसी एकादशी ( कार्तिक कृष्ण एकादशी )
- इस दिन तुलसी की पूजा की जाती है ।
- तुलसी नामक पौधे की महिमा वैद्यक ग्रंथों के साथ-साथ धर्मशास्त्रों में भी वर्णित की गई है ।
- तुलसी को विष्णु प्रिया भी माना जाता है ।
धन तेरस (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी)
- इस दिन धनवन्तरि वैद्य जी का पूजन किया जाता है ।
- यमराज का भी पूजन किया जाता है ।
- यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर दीपक रखा जाता है ।
- इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है ।
रूप चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी)
- इस पर्व का सम्बन्थ स्वच्छता व सौंदर्य से है ।
- इस दिन को छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है ।
दीपावली (कार्तिक अमावस्या)
- यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है ।
- यह दिन आर्य समाज के संस्थापक दयानन्द सरस्वती तथा भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- इस दिन व्यापारी लोग अपने बहिखातों की पूजा करते है
गोवर्धन पूजा व अन्नकूट (कार्तिक शुक्ल एकम्)
- इस दिन प्रभात के समय गौ के गोबर से गोवर्धन की पूजा की जाती है ।
- इस दिन मन्दिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है ।
- यह नाथद्वारा (राजसमन्द) का प्रसिद्ध महोत्सव है ।
भैया दूज (कार्तिक शुक्ल द्वितीया)
- इस दिन भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है ।
- इसे यम द्वितीय के रूप मे मनाया जाता है
गोपाष्टमी ( कार्तिक शुक्ल अष्टमी )
- इस दिन गाय व बछड़े की पूजा की जाती है ।
- इस दिन गायों को ग्रास देकर, उनकी परिक्रमा करके थोडी दूर तक उनके साथ जाने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती है ।
आंवला नवमी/अक्षय नवमी (कार्तिक शुक्ल नवमी)
- इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है ।
- इस व्रत को करने से व्रत, पूजन, तर्पण आदि का फल अक्षय हो जाता है, इसलिए इसे अक्षय नवमी कहते है ।
देव उठनी ग्यारस (कार्तिक शुक्ल एकादशी)
- इसे प्रबोधिनी एकादशी कहते है ।
- इस दिन भगवान विष्णु चार माह तक निद्रावस्था में रहने के बाद जागते है ।
- इस दिन से समस्त मांगलिक कार्यं प्रारम्भ होते है
- इस दिन बिष्णु भगवान का तुलसी के पौधे से विवाह किया जाता है ।
- इस दिन ईख की पूजा कर उसे पहले-पहले चूसा जाता है ।
कार्तिक पूर्णिमा
- कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान और पुष्कर स्नान का विशेष महत्व है ।
- कोलायत (बीकानेर) चन्द्रभागा (झालावाड़) पुष्कर (अजमेर) में इस दिन विशाल मेले का आयोजन होता है ।
- इस दिन भगवान का मत्स्य अवतार हुआ था ।
- इस दिन गुरूनानक जी का जन्म हुआ था ।
- इसे त्रिपुर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है ।
- इस दिन भगवान शंकर के द्वारा त्रिपुरासूर राक्षस का वध किया गया ।
मकर सक्रांति
- इस दिन सूर्य की पूजा कर दान-पुण्य किया जाता है तथा बहुएं रूठी हुई सास को मनाती है ।
- इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ 13 वस्तुएँ दान करती है ।
- मकर सक्रांति प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है
पौष
गुरू गोविन्द सिंह जयन्ती (पौष शुक्ल सप्तमी)
- इस दिन गुरू गोबिन्द सिंह जी ने गुरू परम्परा को समाप्त कर अपने धर्म ग्रंथ 'गुरू ग्रंथ साहिब' को गुरू घोषित किया ।
माघ
तिलचौथ (माघ कृष्ण चतुर्थी)
- इसे सकट चौथ भी कहते है ।
- गणेशजी व चौथ माता को तिलकुट का भोग लगता है ।
- सवाई माधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा नामक स्थान पर चौथ माता के विशाल मेले का आयोजन किया जाता है ।
षट्तिला एकादशी ( माघ कृष्णा एकादशी )
- इसके अधिष्ठाता देव भगवान विष्णु है ।
- इस दिन काली गाय और काले तिलों के दान का विशेष महत्त्व होता है । 6 प्रकार के तिलों का प्रयोग होने से इसे षट्तिला एकादशी भी कहते है ।
मौनी अमावस्या (माघ अमावस्या)
- इस दिन मौन व्रत किया जाता है क्योंकि मौन व्रत धारण करने से आत्मबल में वृद्धि होती है ।
- यह भगवान मनु का जन्मदिन हैं ।
बसंत पंचमी ( माघ शुक्ला पंचमी )
- भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता है इसलिए ब्रज प्रदेश में इस दिन राधा और कृष्ण की लीलाएँ रचाई जाती है
माघ स्नान (माघ पूर्णिमा )
- इस दिन से माघ स्नान प्रारंभ होता है ।
- माघ पूर्णिमा को डूंगरपुर के नवाटापुरा नामक स्थान पर वेणेश्वर मेला लगता है ।
फाल्गुन
महाशिवरात्री (फाल्गुन कृष्ण तैरस)
- यह त्यौहार भगवान शिव के जन्मोत्सव में मनाया जाता है ।
ग्यारस आमलकी (फाल्गुन शुक्ल एकादशी)
- पुत्र होने पर पीहर पक्ष की ओर से वस्त्र आदि भेजे जाते है, जिसे ढूंढ कहते है । खाटूश्याथ जी का मेला प्रारंभ होता है ।
होलिका दहन
- यह फाल्युन की पूर्णिमा को भगत प्रहलाद की स्मृति में मनाईं जाती है ।
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