Rajasthan ke Lok Nritya Part 8 | मेवाड के नृत्य

मेवाड के नृत्य

Rajasthan ke Lok Nritya Part 8 | मेवाड के नृत्य
Rajasthan ke Lok Nritya Part 8 | मेवाड के नृत्य

भवाई नृत्य

  • भवाई नृत्य उदयपुर संभाग में बसने वाली भवाई जाति का एक प्रमुख नृत्य है ।
  • यह पेशेवर लोकनृत्यों में बहुत लोकप्रिय नृत्य है ।
  • भवाई नृत्य को करने वाली भवाईं जाति की स्थापना के बारे में ऐसी मान्यता है कि 400 वर्ष पूर्व (नागोजी जाट) ने इसकी स्थापना की । 
  • भवाई नृत्य: तेज लय में विविध रंगों की पगडियो को हवा में फैला कर अपंनी उँगलियों से नृत्य करते हुए कमल का फूल बना लेना, सिर पर सात-आठ मटके रखकर नृत्य करना, जमीन पर रखे रूमाल को मुँह से उठाना, गिलास पर नाचना, थाली के किनारों पर तेज नृत्य करना, तेज तलवार की धार पर नृत्य करना, कांच के टुकडों पर नृत्य करना आदि इनकी प्रमुख विशेषता है ।
  • यह नृत्य स्त्री-पुरुष दोनों मिलकर करते है ।
  • भवाईं नृत्य में कई प्रकार के प्रसंग होते है बोरा बोरी, सूरदास, लोडी बडी, डोकरी , शंकरिया, बीका जी, बाघा जी  ढोलामारू ।
  • भवाईं नृत्य के प्रमुख कलाकार रूपसिंह शेखावत, अस्मिता काला, दयाराम, तारा शर्मा आदि है । 
  • यह लोक नाट्य एक व्यावसायिक लोक नाट्य है जिसमें पात्र रंगमंच पर आकर अपना परिचय नहीं देते 
  • भवाई नृत्य में शास्त्रीय कला की झलक मिलती है ।
  • यह नृत्य राजस्थान के अलावा गुजरात में तुरी जाति के लोगों द्वारा तथा मध्यप्रदेश में डाकलिये व पाट भवाईं जाति के लोगों द्वारा भी किया जाता है ।
  • भवाई शैली का शांता गाँधी द्वारा लिखे गए नाटक जस्मा ओडन (आम आदमी के संघर्ष की कथा) को भारत के बाहर विदेशों (लंदन/इंग्लैण्ड व जर्मनी) में भी मंचित किया जा चुका है ।
  • भवाईं नृत्य मूलत: मटका नृत्य था, किन्तु भवाई जाति के व्यक्तियों द्वारा किया जाने के कारण इसका नाम भवाई नृत्य पडा ।
  • अस्मिता काला (जयपुर की बाल कलाकार जिसने 111 घडे सिर पर रखकर नृत्य करके लिम्का बुक आँफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया । ) पुष्पा व्यास (जोधपुर प्रथम भवाई महिला नृतक) आदि है ।
  • भीलवाडा के निहाल अजमेरा ने अपनी पोती वीणा को भवाई नृत्य में प्रवीण करते हुए 63 मंगल कलश का नृत्य करवाया, जिसे ज्ञानदीप नृत्य नाम दिया ।

रण नृत्य

  • रण नृत्य वीर रस का पुरुष प्रधान नृत्य है
  • इसे सरगड़े जाति के पुरुष करते है ।
  • रण नृत्य में दो पुरुष हाथों में तलवार आदि शस्त्र लेकर युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए इस नृत्य को करते है ।
  • यह नृत्य मेवाड क्षेत्र में विशेष रूप से प्रसिद्ध है ।
  • रण नृत्य गोडवाड के सरंगो द्वारा भी किया जाता है ।

हरणों नृत्य

  • यह नृत्य मेवाड क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर बालकों द्वारा किया जाता है ।
  •  इस नृत्य को लोवडी भी कहा जाता है ।

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