मारवाड़ क्षेत्र के नृत्य
Rajasthan ke Lok Nritya Part 7 | मारवाड़ क्षेत्र के नृत्य |
घुडला नृत्य
- घुडला नृत्य विशेष रूप से जोधपुर जिले में किया जाता है ।
- यह नृत्य युवतियों के द्वारा किया जाता है ।
- घुड़ला नृत्य में स्त्रियाँ सुंदर श्रृंगार करके गोलाकार पथ पर नृत्य करती है ।
- घुड़ला नृत्य करते समय महिलाओँ के सिर पर छिद्रित मटके रखे होते है । जिनमें जलता हुआ दीपक रखा जाता है । इस मटके को ही घुड़ला कहते हैं ।
- इसमें चाल मंद व मादक होती है व घुड़ले को नाजुकता से संभाला जाता है, जो दर्शनीय है ।
- घुड़ला नृत्य से एक कथा जुडी हुईं है एक बार मारवाड़ के पीपाड़ा नामक स्थान पर स्त्रियाँ तालाब पर गोरी पूजन कर रही थी तभी अजमेर का सूबेदार मल्लू खाँ 140 कन्याओं का हरण करके ले जाता है । जोधपुर नरेश सातल देव ने इनका पीछा किया । इनका भयंकर युद्ध हुआ, जिसमे मल्लू खाँ के सेनापति घुडले का सिर छिद्रित कर सातल देव द्वारा लाया गया तब से यह नृत्य किया जाता है ।
- शीतला अष्टमी (चैत्र कृष्णम-8) पर घुडले का त्यौहार मनाया जाता है ।
- घुड़ला नृत्य को सर्वप्रथम मारवाड़ में घुड़ले खाँ की बेटी गिंदोली ने गणगौर उत्सव के समय शुरू किया था ।
- यह नृत्य दिन में नहीं अपितु रात्रि में किया जाता है ।
डांडिया नृत्य
- डांडिया नृत्य मारवाड़ क्षेत्र का लोकप्रिय नृत्य है ।
- यह मूलत गुजरात का नृत्य है ।
- डांडिया नृत्य पुरुषों के द्वारा किया जाता है ।
- यह नृत्य होली के बाद शुरू होता है
- डांडिया नृत्य में चौक के बीच 21 हनाई वादक, नगाडी व शहनाई वादक बैठते है । बीस-पच्चीस पुरुषों की टोली हाथों में डांडिया टकराते हुए वृत में आगे बढते हैं ।
- डांडिया नृत्य में किये जाने वाले विभिन्न स्वांग करते है ।
- डांडिया नृत्य में धमाल, नृत्य प्रधान गीत है । इन गीतों में बड़ली के भैरुजी का गुणगान करते है ।
झाँझी नृत्य
- यह नृत्य मारवाड़ क्षेत्र में महिलाओँ के द्वारा किया जाता है ।
- झाँझी नृत्य के अन्तर्गत छोटे मटकों मे छिद्र करके महिलाएं समूह में उनको धारण करके यह नृत्य करती है ।
0 Comments