नट जाति के नृत्य
Rajasthan ke Lok Nritya Part 6 | राजस्थान के लोक नृत्य |
कठपुतली नृत्य
- यह नृत्य नट जाति के लोग करते है ।
- कठपुतली नचाने वाला नट अपने हाथ में डोरियों का गुच्छा थाम कर नृत्य संचालन करता है ।
'मोर/शारीरिक नृत्य
- यह नृत्य नट जाति के द्वारा किया जाता है ।
- इस नृत्य में नट अपनी शारीरिक कौशल का प्रदर्शन करते है ।
मेवों के नृत्य
रणबाजा नृत्य
- मेव जाति में प्रचलित एक विशेष नृत्य है ।
- रणबाजा नृत्य में स्त्री-पुरुष दोनों भाग लेते है ।
रतबई नृत्य
- यह अलवर क्षेत्र की मेव महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है
- इस नृत्य में महिलाएँ सिर पर इंडोणी व सिरकी (खारी)रखकर नृत्य करती है ।
- रतबई नृत्य में पुरुष (अलागोजा दमामी (टामक) वाद्य यंत्र बजाते है तथा स्त्रियाँ हरी चूडियों को खनखनाती है ।
कामड जाति के नृत्य
तेरहताली नृत्य
- तेरहताली नृत्य बाबा रामदेव के भोपे (कामड़ जाति के) जो बाबा की अराधना में रात को लीलाएँ,ब्यावले तथा यशोगाथाएं गाते है । तेरहताली नृत्य में कामड़ स्त्री नौ मंजीरे अपने दाएँ पाँव पर, दो मंजीरे दोनों हाथ की (एक-एक) कोहनी पर बाँधती है । दो मंजीरे दोनों हाथों में एक-एक रखती हैं इस प्रकार तेरहमंजीरों के साथ इस नृत्य को किया जाता है ।
- इस नृत्य में पुरुष (मंजीरा तानपुरा व चौतारा) बजाते है । तेरहताली नृत्य के प्रमुख कलाकार माँगी बाई, मोहनी, नारायणी, लक्ष्मणदास कापड आदि है ।
- तेरहताली नृत्य पोकरण, डीडवाना, डूंगरपुर आदि स्थानों पर किया जाता है
- इन्होनें 1954 ईं. मे जवाहरलाल नेहरू के समक्ष गाडिया लौहार सम्मेलन में तेरहताली नृत्य प्रस्तुत किया ।
हरीजन जाति के नृत्य
बोहरा बोहरी नृत्य
- यह नृत्य होली के अवसर पर हरिजन जाति में किया जाता है ।
- इस नृत्य में दो पात्र बोहरा (बोरा) एवं बोहरी (बोरी) होते है ।
घुमन्तु जाति के नृत्य
बालदिया नृत्य
- बालदिया एक घुमन्तु जाति है जो गेरू को खोदकर बेचने का व्यापार करती है
- यह नृत्य गेरू को खोदकर बेचने के व्यापार को चित्रित करती है ।
माली समाज का नृत्य
चरवा नृत्य
- माली समाज की स्त्रियों के द्वारा किसी स्त्री के संतान होने पर कांसे के घडे में दीपक रखकर उसे सिर पर धारण कर चरवा नृत्य किया जाता है ।
- सामान्यत काँसे के घडे चरवा के कारण ही इसका यह नाम पडा
मछली नृत्य
- बणजारा जाति के लोगों द्वारा किया जाने वाला नृत्य ।
- मछली नृत्य पूर्णिमा की चांदनी रात को बनजारों के खेमों में किया जाने वाला नृत्य नाटक है ।
कुम्हार जाति के नृत्य
चाक नृत्य
- चाक नृत्य विवाह के समय कुम्हार के घर चाक (घडे) लेने जाते समय महिलाएं करती है ।
भांड जाति के नृत्य
नकल नृत्य
- भांड जाति के लोग नकल नृत्य करते है ।
गोगा नृत्य
- गोगा नृत्य गोगा नवमीं (भाद्रकृष्ण नवमी) पर किया जाता है ।
- इस नृत्य में चमार लोग जो गोगा जी के भक्त होते हैं वे एक जुलूस निकालकर उसमें नृत्य करते है । इसके नृत्य बडे उत्तेजक होते है ।
- गोगा नृत्य में गोगा भक्त अपनी पीठपर सांकल से मारते है । सिर पर भी उसे चक्कर खाते हुए मारते है इस नृत्य में इनकी मीठ जख्मी हो जाती है ।
- गोगा नृत्य मे ढोल-डैरू नामक वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है
भोपों के नृत्य
- राजस्थान में गोगाजी पाबूजी, देवी जी हड़भूजी भैरू जी आदि के भोपे-भोपिन इनकी फड के सामने इनकी गाथा का वर्णन करते हुए नृत्य करते है ।
वीर तेजा नृत्य
- वीर तेजा नृत्य तेजा जी की अराधना में कच्छी घोडी पर सवार होकर तलवार से युद्ध कौशल प्रदर्शन करते हुए गले में सर्प डालकर-छतरी व भाला हाथ में लेकर तेजा जी की कथा के साथ पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है ।
- तेजाजी के नृत्य के अंत में तेजा भगत नाग को अपनी जीभ पर कटवाते है ।
- तेजाजी के नृत्य में अलगोजा-ढोलक-मंजीरा नामक वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है
साँसियों के नृत्य
- इनके नृत्य अटपटे तथा कामुकतापूर्ण होते है । लेकिन इनका अंग संचालन उत्तम होता है ये नृत्य उल्लास एवं मनोरंजन की दृष्टि से उत्तम होते हैं ।
मीणों के नृत्य
- मीणा जाति के नृत्यों में वाद्य यंत्र बडे आकार का नगाडा होता है । मीणा जाति के प्रमुख नृत्य रसिया लागुरिया नृत्य है ।
गाडिया लुहारों का नृत्य
- इनके नृत्यों में सामूहिक संरचना न होकर गीत के साथ स्वच्छंद रूप से नृत्य किया जाता है ।
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