जैनों के प्रमुख त्यौहार | List of Jain Festivals in Hindi
जैनों के प्रमुख त्यौहार | List of Jain Festivals in Hindi
ऋषभदेव जयन्ती
- ऋषभदेव जी जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर थे ।
- इनके जन्मदिवस के रूप में चैत्र कृष्ण अष्टमी को इम त्यौहार को मनाया जाता है ।
- जैन धर्म के 23वें तीर्थकर पार्श्वनाथ जी तथा 24वें तीर्थंकर महावीर जी थे ।
महावीर जयन्ती (चैत्र शुक्ल-13)
- महावीर जी के जन्म दिवस के रूप में इस त्यौहार को मनाया जाता है ।
- इस दिन करौली में महावीर जी का मेला लगता है ।
पर्युषण पर्व
- जैन धर्म में पर्युषण पर्व महापर्व कहलाता है ।
- पर्युषण का शाब्दिक अर्थ है निकट बसना ।
- दिगम्बर परम्परा में इस पर्व का नाम दशलक्षण के साथ जुड़ हुआ है । जिसका प्रारंभ भाद्र शुक्ल पंचमी से होता है और समापन चतुर्दशी को होता है ।
- श्वेवेताम्बर परम्परा मे इस पर्व का प्रारम्भ भाद्र कृष्ण बारस से होता है व समापन भाद्र शुक्ल पंचमी को होता है अंतिम दिन संवत्सर पर्व मनाया जाता है ।
- इसके दूसरे दिन अर्थात् आश्विन कृष्णा एकम को क्षमापणी पर्व मनाया जाता है तथा जैन समाज के सभी लोग आपस में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते है ।
दशलक्षण पर्व
- यह पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र, भाद्रपद व माघ माह की शुक्ल पंचमी से पूर्णिमा तक दिगम्बर जैनों में यह पर्व मनाया जाता है ।
- यह पर्व किसी व्यक्ति से सबंधित न होकर आत्मा के गुणों से सबंधित है ।
सोहल कारण
- भाद्र कृष्णा प्रतिपदा से प्रारंभ होकर आश्विन कृष्णा तक सोलह कारण का उत्सव मनाया जाता है ।
- इन दिनों सोलह भावनाओं-दर्शन का अनुचितंन किया जाता है ।
- इनके स्वरूप का अध्ययन अथवा श्रावण करके व्रत, उपवास आदि किसे जाते है ।
रत्नत्रय
- भाद्र शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णमासी तक रत्नत्रय का त्यौहार मनाया जाता है ।
- इन तीन दिनों में सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र के स्वरूप पर प्रकाश डाला जाता है ।
रोट तीज
- भाद्र शुक्ल तृतीय को जैन मतानुयायी रोट तीज का पर्व मनाते है ।
- इसमें खीर व रोट बनाई जाती है ।
सुगंध दशमी पर्व
- भाद्रशुक्ल दशमी को जैन मंदिरों में सुगन्धित द्रव्यों द्वारा सुगन्ध करके यह पर्व मनाया जाता है ।
अष्टाह्रिका
- जैनी लोग प्रति चौथे माह आषाढ, कार्तिक एवं फाल्गुन शुक्ल पक्ष में अष्टमी से पूर्णमासी तक अष्टाह्रिका का त्यौहार मनाते है
- इन दिनों में ये लोग व्रत, उपवास, भजन, कीर्तन आदि करते है ।
- इस अवसर पर 52 जिन चैत्यालयों की उपासना भी की जाती है ।
पड़वा ढोक
- यह दिगम्बर जैन समाज का क्षमा याचना पर्व है, जो आश्चिन कृष्ण एकम् को मनाया जाता है ।
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