इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगम्बर हजरत मोहम्मद थे ।
मुस्लिम समाज के त्योहार | Festivals of Islam Religion
मुस्लिम समाज के त्योहार | Festivals of Islam Religion |
मोहर्रम
- यह मुसलमानों के हिजरी सन् का पहला महीना है ।
- मोहर्रम महीने की 10 तारीख़ को ताजिए निकाले जाते है। इन ताजियो को कर्बला के मैदान में दफनाया जाता है ।
- ताजिये के दौरान ताशा वाद्ययंत्र का प्रयोग किया जाता है ।
चेहल्लुम
यह मोहर्रम के चालीस दिनों के बाद सफा मास की 20 वीं तारीख़ को मनाया जाता है ।इद-उल-मिलादुलनबी (बारावफात)
- यह रबी उल अव्वल माह की 12वीं तारीख को पैगम्बर हजरत मोहम्मद के जन्म दिन की याद में मनाया जाता है ।
- मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईं. में मक्का (सऊदी अरब) में हुआ ।
- हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म दिवस जमादि-उल्ल सानी माह की 8 तारीख को मनाया जाता है ।
शबेरात
- यह त्योहार शालान माह को 14वीं तारीख की शाम को मनाया जाता है ।
- इस दिन हजरत मुहम्मद साहब की आकाश में ईश्वर से मुलाकात हुईं थी ।
- अल्लाह से की गई गलतियों हेतु माफी मांगते है ।
शबे कद्र
- यह रमजान की 27 वीं तारीख को मनाया जाता है ।
- इस दिन कुरान उतारा गया था ।
इद-उल-फितर (मीठी ईद)
- इसे ' सिवयों की ईद ' भी कहा जाता है। 'ईद' शब्द का अर्थ 'खुशी' या 'हर्ष' होता है ।
- मुस्लिम बन्धु रमजान के पवित्र माह में 30 रोजे करने के बाद शुक्रिया के तौर पर इस त्योहार को शव्वाल माह की पहली तारीख को मनाते है ।
- यह भाईचारे का त्योहार है ।
ईद-उल-जुहा (बकरा ईद)
- यह कुर्बानी का त्योहार है जो पैगम्बर हजरत इब्राहीम द्वारा अपने लडके हजरत इस्माइल की अल्लाह को कुर्बानी देने की स्मृति में मनाया जाता है ।
- जिल्हिज की 10वीं तारीख को मनाया जाता है । इस दिन 'मुसलमान प्रतीक के रूप में बकरे की कुर्बानी देते है इदुलजुहा के माह में ही मुसलमान हज करते है ।
विभिन्न उर्स
गलियाकोट का उर्स (डूंगरपुर)
- यह दाऊदी बोहरों का प्रमुख तीर्थ स्थान है । यहाँ फखरूद्दीन पीर की मजार है ।
- यहा प्रतिवर्ष उर्स आयोजित किया जाता है ।
नरहड़ की दरगाह का मेला (झुंझुनूं)
- झुंझुनूं जिले के नरहड़ गाँव में हजरत हाजिब शक्कर बादशाह की दरगाह है जो शक्कर पीर बाबा की दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है ।
- यहा पर भाद्र कृष्ण जन्माष्टमी को मेला लगता है ।
तारकीन का उर्स (नागौर)
- नागौर में सूफियों की चिश्ती शाखा के संत काजी हमीदुद्दीन नागौरी की दरगाह है ।
- अजमेर के बाद सबसे बड़ा उर्स भरता है।
गरीब नवाज उर्स (अजमेर)
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु की बरसी के रूप मे रज्जब की 1 से 6 तारीख तक ख्वाजा का उर्स मनाया जाता है ।
- रज्जब का उर्स छ: दिनों तक चलता है । यहाँ आने वाले तीर्थ यात्रियों को जायरीन कहते है ।
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