नमस्कार दोस्तों राजस्थान की नदियां (Rivers of Rajasthan in hindi) जहां से राजस्थान के हर Exam में 3 से 4 प्रश्न पूछे जाते हैं यह RPSC/RAS की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण Topic है आज हम rajasthan ki nadiya के बारे में step by step चर्चा करेंगे
राजस्थान में बहने वाली नदियों को उनके उदगम परवाह नित्य वाहिनी मौसमी तथा अपना जल किसी सागर में ले जाती है के आधार पर सामान्यतः तीन भागों में बांट जाता है
उद्गम स्थल : मध्यप्रदेश के महू के दक्षिण में स्थित मानपुर के निकट विंध्याचल पर्वत की जानापाव की पहाड़ी से निकलती है और राजस्थान में 84 गढ़ चित्तौड़गढ़ से राजस्थान में प्रवेश करती है राजस्थान में बहने के बाद में आगरा उत्तर प्रदेश के इटानगर के निकट मुरादगंज स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है
इस नदी की कुल लंबाई 966 किलोमीटर है जिसमें से 135 किलोमीटर राजस्थान में इसका राजस्थान में कुल 19500 km क्षेत्र है प्रदेश से 315 किलोमीटर प्रवाहित होती है राजस्थान में बहने वाली यह सबसे लंबी नदी है जो राजस्थान और एमपी के मध्य सबसे लंबी अंतर राज्य सीमा बनाती है
भैस रोड गढ़ चित्तौड़गढ़ के समीप स्थित इस स्थान पर चंबल नदी चूलिया जलप्रपात बनाती है जिसकी ऊंचाई 18 मीटर है रामेश्वरम सवाई माधोपुर नामक स्थान पर चंबल नदी के बाएं किनारे पर बनासऔर सीप नदियों का संगम होता है जो त्रिवेणी संगम कहलाता है
यह नदी राजस्थान की बारहमासी नदी है और इससे सर्वाधिक अवनालिका अपरदन भी होता है इस नदी पर मध्य प्रदेश में गांधी सागर बांध चित्तौड़गढ़ में राणा प्रताप सागर बांध कोटा में जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज बांध स्थित है जो जल विद्युत और सिंचाई के मुख्य स्त्रोत हैं राजस्थान को सर्वाधिक सतही जल चंबल नदी से ही प्राप्त होता है यह चित्तौड़गढ़ ,कोटा ,बूंदी ,सवाई माधोपुर, करौली और धौलपुर जिले से प्रवाहित होती है
उद्गम स्थल : राजसमंद जिले में कुंभलगढ़ तहसील की अरावली पर्वत की खमनोर की पहाड़ियों से निकलती है कुल लंबाई 480 किलोमीटर है राजसमंद चित्तौड़गढ़ भीलवाड़ा अजमेर रोड तथा सवाई माधोपुर जिले में बहती हुई सवाई माधोपुर जिले के खंडार तहसील के रामेश्वरम नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है पूर्ण रूप से राजस्थान में बहने वाली राजस्थान की सबसे लंबी नदी है बनास नदी टोंक जिले में सर्पाकार हो जाती है
बनास नदी के उपनाम वशिष्टि वन की आशा
त्रिवेणी संगम : बीगोद और मांडलगढ़ भीलवाड़ा के बीच बनास बेडच मेनाल नदियों का संगम होता है
उद्गम स्थल : दिवेर की पहाड़ियां राजसमंद
इस नदी का समापन भीलवाड़ा जिले में बनास नदी में मिल जाने से होता है इस पर मेजा बांध बनाकर भीलवाड़ा जिले की पेयजल समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है
अपने उद्गम स्थल से उदय सागर झील तक यह नदी आयड नदी के उपनाम से जानी जाती है उदयपुर शहर में यह उदयसागर झील में गिर जाती है उदय सागर से निकलने के बाद यह बेडच नदी के नाम से जानी जाती है यह नदी भीलवाड़ा में बहने के बाद मांडलगढ़ के निकट बीगोद नामक स्थान पर बनास में मिल जाती है बेडच नदी के किनारे प्राचीन आहट तांबर युगीन सभ्यता मिली है
राजस्थान में प्रवेश झालावाड़ जिले से होता है और समापन कोटा के नौनेरा स्थान पर चंबल नदी में मिल जाने से होता है यह नदी राज्य में झालावाड़ कोटा और बारा की सीमा बनाती है
कालीसिंध की सहायक : नदियां आहू निवाज रेवा पीपलाज परवन आदि प्रमुख है
पार्वती नदी पर धौलपुर जिले में पार्वती बांध का निर्माण किया गया है जो कि धौलपुर जिले को सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है पार्वती नदी का राजस्थान में प्रवेश करियाहट बारा जिले से होता है और इसका समापन स्थल कोटा जिले में चंबल नदी में मिल जाती है
बाणगंगा नदी कभी-कभी आंतरिक प्रवाह प्रणाली का उदाहरण पेश करती है क्योंकि इसका पानी भी यमुना तक नहीं पहुंच कर भरतपुर के आसपास के मैदानों में फैल जाता है बाणगंगा चंबल की रुंडीत नदी है बाणगंगा नदी जयपुर दोसा और भरतपुर जिले में प्रवाहित होती है इस नदी के उपनाम अर्जुन की गंगा और ताला नदी है
बाणगंगा नदी का समापन आगरा के फतेहाबाद नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाने से होता है इस नदी पर जमवारामगढ़ जयपुर में रामगढ़ बांध बनाया गया है जिसे जयपुर को पेयजल आपूर्ति होती है
यह नदी भीलवाड़ा अजमेर तथा टोंक जिले में प्रवाहित होती है टोंक जिले के देवली नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है
यह नदियां सामान्यत है अरावली के दक्षिण पश्चिम में बहती हुई अपना जल अरब सागर में ले जाती है अरब सागर की तरफ जल ले जाने वाली माही, लूणी, साबरमती, पश्चिमी बनास प्रमुख नदियां
उद्गम स्थल : माही नदी का उद्गम मध्यप्रदेश में धार जिले के सरदारपूरा के निकट विंध्याचल में मेहद झील से होता है
माही नदी राजस्थान में खंडू ग्राम बांसवाड़ा के निकट से प्रवेश करती है यह नदी 3 राज्यों मध्य प्रदेश राजस्थान और गुजरात में बहती है गुजरात में खंभात की खाड़ी में गिरती है यह नदी राजस्थान से गुजरात में पंचमहल जिले में रामपुर के पास प्रवेश करती है
उपनाम : वागड़ एवं कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा, उल्टे यू आकार में बहने वाली नदी, आदिवासियों की गंगा
त्रिवेणी संगम : यह नदी डूंगरपुर जिले के बेणेश्वर नामक स्थान पर सोम और जाखम नदी के साथ मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है जहां माघ पूर्णिमा को मेला लगता है इसे आदिवासियों का कुंभ या धाम के नाम से भी जाना जाता है
यह एकमात्र ऐसी नदी है जिसका प्रवेश एवं निकास दोनों ही दक्षिण दिशा में होते हैं इस नदी की कुल लंबाई 576 किलोमीटर है जबकि राजस्थान में इसकी लंबाई 171 किलोमीटर है बांसवाड़ा डूंगरपुर और प्रतापगढ़ में बहने वाली यह नदी डूंगरपुर और बांसवाड़ा के मध्य प्राकृतिक सीमा का निर्धारण भी करती है यह नदी दक्षिण राजस्थान में मध्य माही का मैदान बनाती है जिसे छप्पन का मैदान कहते हैं यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है इस नदी पर राज्य में दो और गुजरात में एक बांध बनाया गया है
माही की सहायक नदियां : सोम, जाखम, मोरल, चाप
उद्गम स्थल : नाग पहाड़ आनासागर अजमेर
बालोतरा बाड़मेर तक लूनी नदी का जल मीठा है इसके बाद खारा हो जाता है पुष्कर के पास इस नदी को साक्री कहा जाता है यह नदी अजमेर नागौर जोधपुर पाली बाड़मेर जालौर जिले में बहती है लूनी नदी की कुल लंबाई 350 किलोमीटर है यह नदी कच्छ का रण गुजरात में विलुप्त हो जाती है लूनी नदी के समस्त अपवाह क्षेत्र में लगभग 10.50% भूभाग आता है महाकवि कालिदास ने लूनी नदी को अंतः सलिला कहा यह नदी अरावली के पश्चिम में बहने वाली सबसे प्रमुख नदी है यह नदी पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी है
उपनाम : आधी मीठी आधी खारी नदी, मारवाड़ की जीवन रेखा, लवणवति तथा मरुस्थल की गंगा
लूनी की सहायक नदियां : जवाई, सुकड़ी, मीठड़ी, लीलड़ी, जोजड़ी, बांडी
उद्गम स्थल : उदयपुर जिले की कोटडी गांव की दक्षिण-पश्चिम अरावली पहाड़ियों से
इस नदी का समापन खंभात की खाड़ी में होता है गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद नगर इसी नदी के तट पर बसे हुए हैं उदयपुर की जिलो में साबरमती नदी का पानी डालने के लिए बनाई जा रही देवास सुरंग का खुदाई का कार्य 2011 में पूर्ण हुआ है राजस्थान की यह सबसे बड़ी सुरंग 11.5 किमी लंबी है राजस्थान से होकर गुजरात जाने वाली साबरमती नदी पर देवास प्रथम और देवास द्वितीय नामक बांध बनाए गए हैं इन बांधों का पानी सुरंग के जरिए उदयपुर की जिलों में पहुंचेगा
साबरमती की सहायक नदियां: हाथमती वाकड़ और जाजम
उद्गम स्थल: सिरोही जिले के नया सांवरा गांव की पहाड़ियों से
पश्चिमी बनास नदी का समापन कच्छ की खाड़ी में होता है सीपू नदी यह पश्चिमी बनास की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी है आबूरोड सिरोही एवं गुजरात का दीसा नगर इसके किनारे पर स्थित है
उद्गम स्थल कालका के समीप हिमालय की शिवालिक पहाड़ियां
घग्गर नदी वैदिक संस्कृति की सरस्वती नदी के पेटे में बहती है यह राजस्थान में अंतर परवाह की सबसे लंबी नदी है सरस्वती नदी का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है इसे पंजाब में चिटांग कहते हैं किसी समय यह नदी जब उफान पर होती थी तो तलवाड़ा, अनूपगढ़ और सूरतगढ़ होती हुई भारत पाकिस्तान सीमा को पार करके फोर्ट अब्बास पाकिस्तान तक चली जाती थी वहां यह हकरा नाम से जानी जाती थी वर्तमान में यह नदी हनुमानगढ़ से कुछ ही आगे तक पहुंच पाती है घग्गर नदी को नाली कहा जाता है सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख केंद्र इसी नदी के किनारे पर स्थित है
इस नदी का उपनाम मसूरदी काकनेय है बुझ झील जैसलमेर इस नदी का निर्माण करती है
उद्गम स्थल: खंडेला की पहाड़ियां सीकर
काली नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है यह नदी चूरू और झुंझुनू की सीमा पर विलुप्त हो जाती है यह नदी झुंझुनू को दो भागों में बांटती है सीकर जिले में स्थित गणेश्वर की सभ्यता का विकास इसी नदी के तट पर ही हुआ था
Name of The Book : *rajasthan ki nadiya BooK in Hindi*
Document Format: BOOK
Total Pages: 11
Quality: Normal
Size: 1 MB
Book Credit: S. R. Khand
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राजस्थान में बहने वाली नदियों को उनके उदगम परवाह नित्य वाहिनी मौसमी तथा अपना जल किसी सागर में ले जाती है के आधार पर सामान्यतः तीन भागों में बांट जाता है
राजस्थान की नदियां | Rajasthan ki Nadiya in Hindi
आंतरिक प्रवाह की नदियाँ - घग्घर, कांतली, काकनी, साबी, मेंथा, रूपनगढ़, रूपारेल, सागरमती आदि ।
अरब सागर की नदियाँ - लूणी, माही, सोम, जाखम, साबरमती, पश्चिमी बनास, सूकडी, जवाई, जोजडी, मीठडी आदि ।
बंगाल की खाडी की नदियाँ - चम्बल, बनास, कोठारी, कालीसिंध, बाणगंगा, पार्वती, परवन, बामनी, चाखन, गंभीरी, कुनु, मेज, मांशी, खारी आदि ।
राजस्थान में नदियों का अपवाह क्षेत्रफल एवं प्रतिशत -
नदी क्रम
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अपवाह क्षेत्र
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कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत
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चबल नंदी क्रम
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7 2 ,03 2 वर्ग किमी .
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20.90 प्रतिशत
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लूणी नदी क्रम
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34
,866 वर्ग किमी.
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10.40
प्रतिशत
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माही नदी क्रम
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16,551 वर्ग किमी.
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4.80 प्रतिशत
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साबरमती नदी क्रम
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3
,288 वर्ग किमी.
|
1.00
प्रतिशत
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बनास नदी क्रम
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2 ,837 वर्ग किमी.
|
0.90 प्रतिशत
|
आंतरिक प्रवाह क्रम
|
3,85,587
वर्ग किमी
|
60.50
प्रतिशत
|
गंगा - यमुना नदी क्रम
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5126 वर्ग किमी
|
1.50 प्रतिशत
|
राजस्थान की नदियां | Rajasthan ki Nadiya in Hindi |
बंगाल की खाड़ी की तरफ जाने वाली नदियां
यह नदियां सामान्यत है अरावली पर्वतमाला के दक्षिण पूर्व में बहती हुई अपना जल बंगाल की खाड़ी में ले जाती है बंगाल की खाड़ी की परवाह की मुख्य नदियां चंबल बनारस कोठारी बेड कालीसिंध पार्वती बाणगंगा मानती गंभीरी आदि हैचंबल
चंबल नदी मध्य भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है, और इस तरह यह अधिक से अधिक गंगा जल निकासी प्रणाली का हिस्सा बनती है।
लंबाई: 1,024 किमी
बेसिन क्षेत्र: 143,219 वर्ग किमी
स्त्रोत: जानापाव
मुंह: यमुना नदी
पुल: चंबल हैंगिंग ब्रिज
शहर: कोटा
उपनाम : कामधेनू, नित्य वाहिनी, चरणवती
उद्गम स्थल : मध्यप्रदेश के महू के दक्षिण में स्थित मानपुर के निकट विंध्याचल पर्वत की जानापाव की पहाड़ी से निकलती है और राजस्थान में 84 गढ़ चित्तौड़गढ़ से राजस्थान में प्रवेश करती है राजस्थान में बहने के बाद में आगरा उत्तर प्रदेश के इटानगर के निकट मुरादगंज स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है
इस नदी की कुल लंबाई 966 किलोमीटर है जिसमें से 135 किलोमीटर राजस्थान में इसका राजस्थान में कुल 19500 km क्षेत्र है प्रदेश से 315 किलोमीटर प्रवाहित होती है राजस्थान में बहने वाली यह सबसे लंबी नदी है जो राजस्थान और एमपी के मध्य सबसे लंबी अंतर राज्य सीमा बनाती है
भैस रोड गढ़ चित्तौड़गढ़ के समीप स्थित इस स्थान पर चंबल नदी चूलिया जलप्रपात बनाती है जिसकी ऊंचाई 18 मीटर है रामेश्वरम सवाई माधोपुर नामक स्थान पर चंबल नदी के बाएं किनारे पर बनासऔर सीप नदियों का संगम होता है जो त्रिवेणी संगम कहलाता है
यह नदी राजस्थान की बारहमासी नदी है और इससे सर्वाधिक अवनालिका अपरदन भी होता है इस नदी पर मध्य प्रदेश में गांधी सागर बांध चित्तौड़गढ़ में राणा प्रताप सागर बांध कोटा में जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज बांध स्थित है जो जल विद्युत और सिंचाई के मुख्य स्त्रोत हैं राजस्थान को सर्वाधिक सतही जल चंबल नदी से ही प्राप्त होता है यह चित्तौड़गढ़ ,कोटा ,बूंदी ,सवाई माधोपुर, करौली और धौलपुर जिले से प्रवाहित होती है
चंबल नदी की सहायक नदियां
चंबल नदी सर्वाधिक सहायक नदियों वाली नदी है यह दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहने वाली राजस्थान की सबसे प्रमुख व एकमात्र नदी है इसकी प्रमुख सहायक नदियां बामणी ,मेज, मांगली, कूनो, बनास, कालीसिंध, छोटी काली सिंध, पर्वती, निमाज आदि प्रमुख सहायक नदियां हैंबनास नदी
बनास एक नदी है जो पूरी तरह से पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य के भीतर स्थित है। यह चंबल नदी की एक सहायक नदी है, जो खुद यमुना की एक सहायक नदी है, जो गंगा में विलीन हो जाती है। बनास की लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है।
लंबाई: 512 किमी
स्रोत: अरावली रेंज
मुंह: चंबल
बनास नदी के उपनाम वशिष्टि वन की आशा
त्रिवेणी संगम : बीगोद और मांडलगढ़ भीलवाड़ा के बीच बनास बेडच मेनाल नदियों का संगम होता है
कोठारी नदी
कोठारी नदी राजसमंद जिले में देवगढ़ के पास अरावली पहाड़ियों से निकलती है। यह रायपुर, मंडल, भीलवाड़ा और कोटड़ी की तहसीलों से होकर बहती है और अंततः कोटड़ी तहसील के नंदराई में बनास नदी में मिलती है। कोठारी नदी पर मेजा बांध भीलवाड़ा जिले को पीने का पानी प्रदान करता है।
इस नदी का समापन भीलवाड़ा जिले में बनास नदी में मिल जाने से होता है इस पर मेजा बांध बनाकर भीलवाड़ा जिले की पेयजल समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है
बेडच नदी
उद्गम स्थल : गोगुंदा की पहाड़ियां उदयपुरअपने उद्गम स्थल से उदय सागर झील तक यह नदी आयड नदी के उपनाम से जानी जाती है उदयपुर शहर में यह उदयसागर झील में गिर जाती है उदय सागर से निकलने के बाद यह बेडच नदी के नाम से जानी जाती है यह नदी भीलवाड़ा में बहने के बाद मांडलगढ़ के निकट बीगोद नामक स्थान पर बनास में मिल जाती है बेडच नदी के किनारे प्राचीन आहट तांबर युगीन सभ्यता मिली है
कालीसिंध नदी
उद्गम स्थल : मध्य प्रदेश राज्य के देवास जिले के बागली गांव सेराजस्थान में प्रवेश झालावाड़ जिले से होता है और समापन कोटा के नौनेरा स्थान पर चंबल नदी में मिल जाने से होता है यह नदी राज्य में झालावाड़ कोटा और बारा की सीमा बनाती है
कालीसिंध की सहायक : नदियां आहू निवाज रेवा पीपलाज परवन आदि प्रमुख है
पार्वती नदी
उद्गम स्थल : मध्य प्रदेश के विंध्याचल पर्वत सीहोर की पहाड़ियों सेपार्वती नदी पर धौलपुर जिले में पार्वती बांध का निर्माण किया गया है जो कि धौलपुर जिले को सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है पार्वती नदी का राजस्थान में प्रवेश करियाहट बारा जिले से होता है और इसका समापन स्थल कोटा जिले में चंबल नदी में मिल जाती है
बाणगंगा नदी
उद्गम स्थल : जयपुर जिले की बेराठ की पहाड़ियों सेबाणगंगा नदी कभी-कभी आंतरिक प्रवाह प्रणाली का उदाहरण पेश करती है क्योंकि इसका पानी भी यमुना तक नहीं पहुंच कर भरतपुर के आसपास के मैदानों में फैल जाता है बाणगंगा चंबल की रुंडीत नदी है बाणगंगा नदी जयपुर दोसा और भरतपुर जिले में प्रवाहित होती है इस नदी के उपनाम अर्जुन की गंगा और ताला नदी है
बाणगंगा नदी का समापन आगरा के फतेहाबाद नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाने से होता है इस नदी पर जमवारामगढ़ जयपुर में रामगढ़ बांध बनाया गया है जिसे जयपुर को पेयजल आपूर्ति होती है
मानसी नदी
उद्गम स्थल : भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ तहसील सेयह नदी भीलवाड़ा अजमेर तथा टोंक जिले में प्रवाहित होती है टोंक जिले के देवली नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है
गंभीरी नदी
इस नदी पर निंबाहेड़ा चितौड़गढ़ में गंभीरी बांध का निर्माण किया गया है मिट्टी से निर्मित बांध है इस नदी का समापन चितौड़गढ़ के चटियावाली नामक स्थान पर बेडच नदी में मिलने से होता हैअरब सागर की तरफ जल ले जाने वाली नदियां
rajasthan ki nadiya ke map in hindi |
माही नदी
माही पश्चिमी भारत में एक नदी है। यह मध्य प्रदेश में उगता है और राजस्थान के वागड़ क्षेत्र से गुजरने के बाद, गुजरात में प्रवेश करता है और अरब सागर में बह जाता है। यह ताप्ती नदी, साबरमती नदी, लूनी नदी और नर्मदा नदी के साथ भारत में बहने वाली कई पश्चिमी नदियों में से एक है।
लंबाई: 583 किमी
बेसिन क्षेत्र: 34.84 वर्ग किमी
स्रोत: विंध्य रेंज
देश: भारत
पुल: माही नदी पुल
मुंह: खंभात की खाड़ी, अरब सागर
माही नदी राजस्थान में खंडू ग्राम बांसवाड़ा के निकट से प्रवेश करती है यह नदी 3 राज्यों मध्य प्रदेश राजस्थान और गुजरात में बहती है गुजरात में खंभात की खाड़ी में गिरती है यह नदी राजस्थान से गुजरात में पंचमहल जिले में रामपुर के पास प्रवेश करती है
उपनाम : वागड़ एवं कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा, उल्टे यू आकार में बहने वाली नदी, आदिवासियों की गंगा
त्रिवेणी संगम : यह नदी डूंगरपुर जिले के बेणेश्वर नामक स्थान पर सोम और जाखम नदी के साथ मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है जहां माघ पूर्णिमा को मेला लगता है इसे आदिवासियों का कुंभ या धाम के नाम से भी जाना जाता है
यह एकमात्र ऐसी नदी है जिसका प्रवेश एवं निकास दोनों ही दक्षिण दिशा में होते हैं इस नदी की कुल लंबाई 576 किलोमीटर है जबकि राजस्थान में इसकी लंबाई 171 किलोमीटर है बांसवाड़ा डूंगरपुर और प्रतापगढ़ में बहने वाली यह नदी डूंगरपुर और बांसवाड़ा के मध्य प्राकृतिक सीमा का निर्धारण भी करती है यह नदी दक्षिण राजस्थान में मध्य माही का मैदान बनाती है जिसे छप्पन का मैदान कहते हैं यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है इस नदी पर राज्य में दो और गुजरात में एक बांध बनाया गया है
माही की सहायक नदियां : सोम, जाखम, मोरल, चाप
लूनी नदी
लूनी उत्तर-पश्चिम भारत में थार रेगिस्तान में सबसे बड़ी नदी है। यह अजमेर के पास अरावली रेंज की पुष्कर घाटी में निकलती है, थार रेगिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से से गुजरती है, और 49 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गुजरात में कच्छ के रण के दलदली भूमि में समाप्त होती है।
लंबाई: 495 किमी
स्रोत: अरावली रेंज
मुँह: कच्छ का रण
देश: भारत
पुल: लूनी नदी पुल
बालोतरा बाड़मेर तक लूनी नदी का जल मीठा है इसके बाद खारा हो जाता है पुष्कर के पास इस नदी को साक्री कहा जाता है यह नदी अजमेर नागौर जोधपुर पाली बाड़मेर जालौर जिले में बहती है लूनी नदी की कुल लंबाई 350 किलोमीटर है यह नदी कच्छ का रण गुजरात में विलुप्त हो जाती है लूनी नदी के समस्त अपवाह क्षेत्र में लगभग 10.50% भूभाग आता है महाकवि कालिदास ने लूनी नदी को अंतः सलिला कहा यह नदी अरावली के पश्चिम में बहने वाली सबसे प्रमुख नदी है यह नदी पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी है
उपनाम : आधी मीठी आधी खारी नदी, मारवाड़ की जीवन रेखा, लवणवति तथा मरुस्थल की गंगा
लूनी की सहायक नदियां : जवाई, सुकड़ी, मीठड़ी, लीलड़ी, जोजड़ी, बांडी
साबरमती नदी
साबरमती नदी भारत की प्रमुख पश्चिमी बहने वाली नदियों में से एक है। यह राजस्थान के उदयपुर जिले के अरावली रेंज में उत्पन्न होती है और राजस्थान और गुजरात में दक्षिण-पश्चिम दिशा में 371 किमी की यात्रा करने के बाद अरब सागर के खंभात की खाड़ी से मिलती है
लंबाई: 371 किमी
स्रोत: ढेबर झील
मुंह: अरब सागर
देश: भारत
शहर: अहमदाबाद
पुल: नेहरू ब्रिज, एलिश ब्रिज, सुभाष ब्रिज
इस नदी का समापन खंभात की खाड़ी में होता है गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद नगर इसी नदी के तट पर बसे हुए हैं उदयपुर की जिलो में साबरमती नदी का पानी डालने के लिए बनाई जा रही देवास सुरंग का खुदाई का कार्य 2011 में पूर्ण हुआ है राजस्थान की यह सबसे बड़ी सुरंग 11.5 किमी लंबी है राजस्थान से होकर गुजरात जाने वाली साबरमती नदी पर देवास प्रथम और देवास द्वितीय नामक बांध बनाए गए हैं इन बांधों का पानी सुरंग के जरिए उदयपुर की जिलों में पहुंचेगा
साबरमती की सहायक नदियां: हाथमती वाकड़ और जाजम
पश्चिमी बनास नदी
बनास एक नदी है जो पूरी तरह से पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य के भीतर स्थित है। यह चंबल नदी की एक सहायक नदी है, जो खुद यमुना की एक सहायक नदी है, जो गंगा में विलीन हो जाती है। बनास की लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है।
लंबाई: 512 किमी
स्रोत: अरावली रेंज
मुंह: चंबल
देश: भारत
पश्चिमी बनास नदी का समापन कच्छ की खाड़ी में होता है सीपू नदी यह पश्चिमी बनास की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी है आबूरोड सिरोही एवं गुजरात का दीसा नगर इसके किनारे पर स्थित है
जाखम नदी
उद्गम - इस नदी का उद्गम प्रतापगढ की छोटी सादडी तहसील में स्थित भंवरमाता की पहाडी से होता है । प्रतापगढ में बहने के पश्चात यह नदी उदयपुर में बहती हुईं डूंगरपुर के नोरावल बिलूरा गांव में सोम नदी में मिल जाती है ।
प्रतापगढ में इस नदी पर राज्य का सबसे ऊँचा बांध जाखम बांध स्थित है ।
जाखम इसकी सहायक करमाई व सूकडी नदी है ।
सोम नदी
उद्गम - इस नदी का उद्गम उदयपुर में बाबलवाड़ा के जंगल, बीछामेड़ा पहाड़ी , फुलवारी की नाल अभयारण्य से होता है । उदयपुर में बहने के पश्चात् डूंगरपुर के बेणेश्वर नामक स्थान पर माही में मिल जाती हैं ।
उदयपुर में इस नदी पर सोमकागदर बांध स्थित हैं ।
फुलवारी की नाल अभयारण्य से सोम, मानसी व वाकल नदियों का उत्पादन होता है
जाखम, टीडी, गोमती व सारनी इसकी सहायक नदियां है ।
अनास नदी
अनास नदी का उद्गम मध्यप्रदेश में होता है । राजस्थान में इस नदी का प्रवेश बांसवाड़ा जिले से होता हैं ।बांसवाड़ा में बहती हुई यह नदी माही नदी में मिल जाती है ।
अनास की प्रमुख सहायक नदी हरन हैं ।
लीलरी/लीलडी नदी
इस नदी का उद्गम अरावली पर्वत श्रेणियों से होता है । पाली जिले में बहती हुई सूकडी नदी में मिलकर निम्बोल नामक स्थान पर लूनी नदी में मिल जाती है ।
ऐराव नदी
ऐराव नदी का उदगम प्रतापगढ जिले में होता है । बांसवाड़ा जिले में यह नदी माही नदी में मिल जाती है ।
चेप नदी
चेप नदी का उद्गम कालीन्जरा की पहाड़ियों से होता है । आगे चलकर यह नदी माही नदी में मिल जाती हैं ।
आंतरिक जल प्रवाह वाली नदियां
यह नदियां अपना दल किसी समुंदर में नहीं ले जा पाती और ना ही इन नदियों की कोई सहायक नदियां होती है तथा यह राज्य के ही कुछ भागों में प्रवाहित होते हुए विलीन या विलुप्त हो जाती है आंतरिक प्रवाह की नदियां राज्य की कुल नदियों का लगभग 60% हैघग्गर नदी
घग्गर-हकरा नदी भारत और पाकिस्तान में एक रुक-रुक कर बहने वाली नदी है जो केवल मानसून के मौसम में बहती है। नदी को ओट्टू बैराज से पहले घग्गर के रूप में जाना जाता है। विकिपीडिया
लंबाई: 320 किमी
स्रोत: शिवालिक हिल्स
मुंह: ओटू झील
देश: भारत
शहर: सिरसा
घग्गर नदी वैदिक संस्कृति की सरस्वती नदी के पेटे में बहती है यह राजस्थान में अंतर परवाह की सबसे लंबी नदी है सरस्वती नदी का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है इसे पंजाब में चिटांग कहते हैं किसी समय यह नदी जब उफान पर होती थी तो तलवाड़ा, अनूपगढ़ और सूरतगढ़ होती हुई भारत पाकिस्तान सीमा को पार करके फोर्ट अब्बास पाकिस्तान तक चली जाती थी वहां यह हकरा नाम से जानी जाती थी वर्तमान में यह नदी हनुमानगढ़ से कुछ ही आगे तक पहुंच पाती है घग्गर नदी को नाली कहा जाता है सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख केंद्र इसी नदी के किनारे पर स्थित है
काकनी नदी
उद्गम स्थल: कोटरी जैसलमेरइस नदी का उपनाम मसूरदी काकनेय है बुझ झील जैसलमेर इस नदी का निर्माण करती है
Katli River (कटली नदी)
कटली नदी भारत में राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र की एक वर्षा आधारित मौसमी नदी है। यह अरावली रेंज से निकलती है और चुरू जिले के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में इसके अंतर्देशीय जल निकासी बेसिन के केंद्र में खाली हो जाती है।
लंबाई: 100 किमी
गाँव: गणेश्वर, खंडेला, बगोली, केड, बागर, झुंझुनू
क्षेत्र: सीकर, झुंझुनू, चूरू
काली नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है यह नदी चूरू और झुंझुनू की सीमा पर विलुप्त हो जाती है यह नदी झुंझुनू को दो भागों में बांटती है सीकर जिले में स्थित गणेश्वर की सभ्यता का विकास इसी नदी के तट पर ही हुआ था
मेंथा नदी
उद्गम - इस नदी का उद्गम जयपुर में मनोहरपुर थाना से होता है । जयपुर में बहने के पश्चात् यह नदी नागौर में बहती हुई सांभर झील में अपना जल गिराती है । मेंथा नदी को मेन्ढा नदी के नाम से भी जाना जाता है ।
नागौर मे इस नदी के किनारे लूणवा जैन तीर्थ स्थित है । सांभर झील में जल गिराने वाली नदियां मेंथा, रूपनगढ़, खारी खण्डेल, तुरतमती ।
रूपनगढ़ नदी
उद्गम - इस नदी का उद्गम अजमेर के कुचील नामक स्थान से होता है । अजमेर में ही बहती हुई यह नदी सांभर झील में अपना जल गिराती है ।
अजमेर में इस नदी के किनारे निम्बार्क संप्रदाय की पीठ सलेमाबाद स्थित है ।
साबी नदी
उदगम - इस नदी का उद्गम जयपुर की सेंवर पहाड़ी से होता है । जयपुर में यह नदी अलवर में बहती हुई हरियाणा के गुडगाँव जिले के पटोदी गांव की नजफगढ़ झील में जल गिराती है ।
अलवर की यह प्रमुख नदी है ।
जयपुर का जोधपुरा सभ्यता स्थल इस नदी के किनारे पर स्थित है । जोधपुरा सभ्यता में हाथीदाँत अवशेष प्राप्त हुऐ है ।
उत्तर दिशा में बहने वाली आंतरिक प्रवाह की यह एकमात्र नदी है ।
उत्तर दिशा में बहने वाली आंतरिक प्रवाह की यह एकमात्र नदी है ।
रूपारेल नदी
उद्गम - इस नदी का उद्गम अलवर की थानागाजी तहसील में स्थित उदयनाथ पहाड़ी से होता है । अलवर में बहने के पश्चात् यह नदी भरतपुर जिले में ही कुशलपुर गांव के समीप बहती हुईं विलुप्त हो जाती है ।
रूमारेल को लसवारी, बारह, बराह नदी के नाम से भी जाना जाता है ।
भरतपुर में इस नदी पर डीग महल, नौह सभ्यता, मोती झील बांध, सीकरी बांध स्थित है ।
मोती झील का निर्माण सूरजमल जाट ( जाटों का प्लेटो ) के द्वारा करवाया गया ।
इस झोल में नील हरित शैवाल पाए जाते है
इसकी प्रमुख सहायक नदियों में नारायणपुर, गोलारी, सुकरी, शानगंगा एवं नालाक्नोती है जो उदयनाथ पहाडियों से निकलती है ।
काकुण्ड/कुकंद नदी
काकुण्ड नदी का राजस्थान में प्रवेश बयाना तहसील ( भरतपुर ) के दक्षिणी-पश्चिमी सीमा से होता है ।
काकुण्ड नदी का जल बारेठा बांध में एकत्रित किया जाता है ।
बारेठा बांध के जल का उपयोग बयाना और रूपवास तहसीलों में किया जाता है ।
काकुण्ड नदी के किनारे चैनपुरा व बारेठा नामक गांव स्थित है ।
दिर नामक जल प्रताप काकुण्ड नदी पर स्थित है । इसका पानी कभी समाप्त नहीं होता है ।
सरस्वती नदी
इस नदी का सर्वप्रथम उलेख ऋग्वेद के दसवें मण्डल के 136वें सूक्त के पाँचवें मंत्र में मिलता है ।
इस नदी का उद्गम तुषार क्षेत्र में स्थित मीरपुर पर्वत से होता था । पंजाब में सरस्वती नदी को चितांग कहते है ।
rajasthan ki nadiya Book Details
Name of The Book : *rajasthan ki nadiya BooK in Hindi*
Document Format: BOOK
Total Pages: 11
Quality: Normal
Size: 1 MB
Book Credit: S. R. Khand
rajasthan ki nadiya BOOK
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Rajasthan ki Nadiya FAQ
राजस्थान के क्षेत्रफल के कुल कितने प्रतिशत क्षेत्र पर आन्तरिक प्रवाह प्रणाली पाई जाती है ?
Answer : 60.20
निम्न मे से चम्बल नदी का प्राचीन नाम कौनसा है ?
Answer : चर्मण्वती
चम्बल राजस्थान मे कहॉ प्रवेश करती है ?
Answer : चौरासीगढ के निकट
निम्न मे से राजस्थान मे चम्बल नदी का उद्गम स्थल है ?
Answer : जनापाव की पहाडियॉ
राजस्थान मे चूलिया प्रपात कौनसी नदी बनाती है ?
Answer : चम्बल
निम्न मे से चम्बल की कुल लम्बाई कितनी है ?
Answer : 966 किलोमीटर
निम्न मे से राजस्थान मे वन की आशा कौनसी नदी को कहा जाता है ?
Answer : बनास
राजस्थान मे पूर्णतः बहने वाली सबसे लम्बी नदी कौनसी है ?
Answer : बनास
बेड़च नदी को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है ?
Answer : आयड़
राजस्थान की सबसे बड़ी नदी कौन सी मानी जाती है?
Answer : चम्बल
राजस्थान की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय नदी कौन सी है?
Answer : घग्घर
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