नमस्कार दोस्तों
Raj GK में आपका स्वागत है आज हम राजस्थान की झीले ( Rajasthan ki Jhile ) topic के बारे में महत्वपूर्ण
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राजस्थान की झीले - Rajasthan ki Jhile |
राजस्थान की झीले भारत के संदर्भ में Fact
- भारत की दूसरी सबसे बडी खारे यानी की झील सांभर झील, जयपुर में स्थित है
- भारत की सबसे बडी कृत्रिम झील गोविद सागर झील, हिमाचल में स्थित हैं ।
- गोविंद सागर झील को जल की व्यवस्था भाखड़ा नांगल बांध के द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है ।
- डल झील ( जम्मू कशमीर ) तथा नक्की झील ( माउंट आबू ) भारत की वे झीले हैं जो सर्दियों में जम जाती है
- लोनार झील महाराष्ट्र रामगढ़ झील बारा और पुष्कर झील अजमेर भारत में ज्वालामुखी से निर्मित झीले हैं 1
- सांभर झील भारत में सर्वाधिक नमक का उत्पादन करने वाली झील है
- सांभर झीलभारत के 8.7 प्रतिशत नमक का उत्पादन करती है
राजस्थान के झीलो के महत्वपूर्ण Fact
- राज्य की खारी झीलें आंतरिक प्रवाह की नदियों वाले क्षेत्रों में देखने को मिलती है
- राजस्थान में प्रमुख खारी झीलें सांभर, डीडवाना व पचपद्रा टैथिस सागर के अवशेष मानी जाती है
- रेगिस्तान मे खारे पानी की झीलों कौ प्लाया तथा तटवर्ती प्रदेश में स्थित खारे पानी कीं झीलों क्रो कयाल/लेगुन कहते है
- राज्य की खारी झीलों में नमक के अधिक होने का कारण द .प. मानसूनी हवाए है जो कि कच्छ की खाडी से सोडियम क्लोराइड की मात्रा लेकर आती है ।
- राजस्थान की खारी झीलों में सोडियम क्लोराइड (NaCI ) कों मात्रा सर्वाधिक पाई जाती है
- 12 वा विश्न झील सम्मेलन जयपुर में 29 अक्टूबर 2007 को संपन्न हुआ
सांभर झील, जयपुर
- सांभर झील फुलेरा जंक्शन जयपुर में स्थित है ।
- यह झील अजमेर, नागौर, जयपुर तीन जिलों में फैली हुई है ।
- बिजौलिया शिलालेख के अनुसार इस झील का निर्माण वासुदेव चौहान के द्वारा करवाया गया ।
- साभर चौहानों की राजधानी तथा अकबर की विवाह स्थली के रूप मे प्रसिद्ध है ।
- वासुदेव चौहान को चौहानवंश का संस्थापक माना जाता है ।
- इस झील में जल गिराने वाली प्रमुख नदियां मेंथा, रूपनगढ़, खारी व खण्डेल है ।
- सांभर झील एशिया का सबसे बड़ा अंत: स्थलीय नमक उत्पादन केंद्र है ।
- केन्द्र सरकार के सहयोग से इस झील में हिंदुस्तान नमक कंपनी की स्थापना की गई ।
- हिंदुस्तान नमक कंपनी के सहयोग से सांभर साल्ट योजना ( 1964 ) चलाई जा रही है ।
इस झील में साल्ट म्यूजियम ( 1870 ) स्थित है ।
- सर्दियों में इस झील के किनारे राजहंस देखें जा सकते है ।
- राजहंस का वैज्ञानिक नाम फलेमीगोज है ।
- सांभर झील में बिरह का प्रतीक कुरंजा पक्षी विचरण के लिए आता है ।
- इस झील का तल भी प्री-अरावली चट्टानों का बना हुआ है ।
- सांभर झील विश्व की सबसे प्राचीन जल विभाजक पर स्थित है ।
- राजस्थान का उच्चतम बिन्दु गुरूशिखर ( माउण्ट आबूसिरोही ) व निम्नतम बिन्दु सांभर झील है ।
- क्षेत्रफ्त की दृष्टि से यह राज्य की सबसे बडी झील है जो कि लगभग 500 वर्ग किमी मे फैली हुई है ।
- सांभर झील पर पर्यटन विकास हेतु रामसर साईट नाम से 1990 में पर्यटन स्थल विकसित किया गया ।
- इस झील को नम भूमि में शामिल किया जाता है । सांभर झील की खुदाई में पुरातात्विक सामग्री प्रात हुईं है ।
सांभर झील में दो प्रकार की विधियों से नमक तैयार किया जाता है
- रेश्ता विधि वायु के प्रवाह से तैयार किया गया नमक ।
- क्यारविधि झील के जल को इस विधि में छोटी-छोटी क्यारियों में छोड दिया जाता है, बाद में नमक तैयार किया जाता है ।
- सांभर झील के जल में खारेपन की मात्रा को कम करने में स्वेडाक्रूटी व साल्वेडोरां स्पीसीज नामक वनस्पति सहायक है ।
- सांभर झील में देवयानी तीर्थ स्थल, नालीसर मस्जिद , शाकंभरी माता का मंदिर स्थित है ।
- देवयानी को तीर्थों की नानी के उपनाम से जाना जाता है ।
डीडवाना झील, नागौर
- इस झील का नमक खाने की दृष्टि से उत्तम नहीं है ।
- डीडवाना झील में राजस्थान का सबसे बड़ सोडियम सल्फेट संयंत्र स्थित है ।
- इस झील में कागज का निर्माण किया जाता है ।
- डीडवाना झील में राजस्थान स्टेट केमिकल्स वर्क्स ( 1960 ) के दो कारखाने स्थित है
- जिसमें सोडियम सल्फेट व सोडियम सल्फाइड का निर्माण किया जाता है ।
- यहाँ निजी संस्थान द्वारा सर्वाधिक नमक का उत्पादन किया जाता है ।
- इन निजी संस्थाओं को देवल के नाम से जाना जाता है ।
- इस झील में लवणीय पानी की क्यारियाँ बनाकर उसे सूखा कर नमक प्राप्त किया जाता है ।
- जिसे ब्राइन नमक के नाम से जाना जाता है ।
पंचपद्रा झील, बाडमेर
- इस झील का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व पंचा नामक भील के द्वारा करवाया गया ।
- पंचपद्रा झील का नमक खाने की दृष्टि से उत्तम माना जाता है ।
- इस झील के नमक में 98 प्रतिशत सोडियम क्लोराइड की मात्रा पाई जाती है ।
- इस झील में खारवाल जाति के द्वारा मोरली झाडी से नमक तैयार किया जाता है ।
- पंचपद्रा में कुँए बनाकर नमक का उत्पादन किया जाता है ।
लूणकरणसर झील बीकानेर
- इस झील का नमक भी खाने के योग्य नहीं है ।
- यह उत्तरी भारत की एक प्रमुख खारी झील है ।
काबोद झील. जैसलमेर
- काबोद झील का नमक आयोडीन की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ नमक है ।
बाप झील जोधपुर
- बाप झील में राज्य का पहला कोयला संयंत्र स्थापित किया गया
नावाँ झील , नागौर
- नावाँ झील में भारत सरकार का मॉडल सॉल्ट फॉर्म ( आदर्श लवण उद्योग ) विकसित किया गया है ।
रेवासा झील सीकर
- कर्नल जेम्स टाड ने अपनी पुस्तक में रेवासा झील सीकर का उलेख किया है ।
राजस्थान की अन्य खारी जिले
- जैसलमेर पोकरण झील
- जोधपुर फलोदी झौल
- नागौर डेगाना झील
- नागौर कुचामन झील
- सीकर कौछोर झील
- सीकर पीथमपुरी झील
- चूरू तालछापर झोंल
- राजस्थान में सर्वाधिक खारी झीलों वाले जिले नागौर व सीकर है
राजस्थान में मीठे पानी की झीले
पुष्कर झील (अजमेर)
- पुष्कर झील अजमेर में नेशनल हाइवे 89 पर स्थित है ।
- यह झील ज्वालामुखी से निर्मित है ।
- अत: यह कालाडैरा झील कहलाती है ।
- पदम पुराण के अनुसार इस झील का निर्माण ब्रह्माजी ने करवाया था ।
- पुष्कर झील का नाम पुष्करणा ब्राह्मणों के नाम पर रखा गया है ।
- इस झील को प्राचीनकाल में परूषकारण्य के नाम से जाना जाता है ।
- पुष्कर झील राजस्थान में अर्द्धचंद्राकार रूप में फैली हुई है
अन्य महत्वपूर्ण Fact
- इस झील को जल की व्यवस्था सरस्वती नाले द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है ।
- पुष्कर झील को हिंदुओं का पांचवा तीर्थ , कोंकण तीर्थ , प्रयागराज का गुरू, तीर्थराज के नाम से जाना जाता है ।
- पुष्कर झील राजस्थान की सबसे पवित्र, प्राचीन, प्राकृतिक व प्रदूषित झील है ।
- कार्तिक पूर्णिमा को इस झील के किनारे विशाल मेला भरता है, इस मेले को राजस्थान का रंगीला मेला कहा जाता है ।
- पुष्कर को तीर्थों का मामा के उपनाम से जाना जाता है ।
- मंचकुण्ड, धोलपुर को तीर्थों का भान्जा के नाम से जाना जाता है ।
- पुष्कर झील. के किनारे विश्वामित्र ने तपस्या की जिसे मेनका ने भंग कर दिया ।
- पुष्कर झील के किनारे वेदव्यास जिसने महाभारत की रचना की तथा कालीदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम् नामक पुस्तक की रचना की ।
इस झील के किनारे कौरवों तथा पाण्डवों का अंतिम मिलन हुआ
- इस झील के किनारे कुल 52 घाट है, जिनमें से प्रमुख घाट है-गौ घाट , इंद्र घाट ,गणगौर घाट , महादेव घाट , चीर घाट , राम घाट, सप्त ऋषि घाट, नरसिंह घाट, बदी घाट, मुरली घाट, वंशी घाट, विश्राम घाट ।
- इन घाटों का निर्माण 944 में मंडोर नरेश नाहर राव परिहार ने करवाया था
- पुष्कर झील का सबसे पवित्र घाट गो ( गऊ ) घाट है ।
- गो (गऊ) घाट के किनारे 1705 में गुरू गोविंद सिह ने गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ किया हैं ।
- 1911 मे मैडम मैरी के आगमन पर इस झील के किनारे महिला घाट का निर्माण करवाया ।
- महिला घाट को वर्तमान में गाँधी घाट के नाम से जाना जाता है ।
- महात्मा गांधी की अस्थियाँ इस झील में विसर्जित की गई ।
- पुष्कर में सर्वाधिक बार औरंगजेब के द्वारा नुकसान पहुंचाया गया
- पुष्कर झील को गहरा करने के लिए कनाडा के सहयोग से 1997 में पुष्कर समन्वित विकास योजना / पुष्कर गैप परियोजना चलाई गई ।
- इस झील के किनारे ब्रह्मा जी or सावित्री माता का मंदिर स्थित है ।
- ब्रह्मा जी के मन्दिर का निर्माण गोकुल चंद पारीक के द्वारा करवाया गया ।
अन्य महत्वपूर्ण Fact
- इस मंदिर में मूर्ति स्थापना कर कार्य शंकराचार्य द्वारा करवाया गया ।
- पुष्कर झील के किनारे बूढा पुष्कर or कनिष्ठ पुष्कर स्थल स्थित है ।
- इस झील के किनारे अणोंराज निर्मित वराह मंदिर द्रविड शैली में निर्मित्त रंग जी कर मंदिर/बैकुंठ मंदिर स्थित है ।
- पुष्कर झोल के किनारे लगभग 400 मंदिर स्थित है ।
- इस कारण इसे मंदिरों की नगरी के उपनाम से भी जाना जाता है ।
- पुष्कर झील के किनारे भृतहरि की गुफा तथा कण्वमुनि आश्रम स्थित है ।
- इस झील के किनारे भगवान श्रीराम चंद जी ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था ।
- इस झील को RTDC का संरक्षण प्राप्त है ।
- 1809 में मराठा सरदारों के द्वारा इस झील का पुनरुद्धार करवाया गया ।
- राज्य की 8 झीलों पुष्कर, आनासागर, फतेहसागर, पिछोला, जयसमंद, स्वरूप सागर, नक्की व जेत सागर झील को केन्द्र सरकार ने केन्दीय झील संरक्षण योजना मे शामिल किया है ।
राजसमंद झील. राजसमंद
- यह राजस्थान की एकमात्र झील है जिसके ऊपर जिले का नाम रखा गया है ।
- इस झील का निर्माण राजसिंह ( 1 662 -76 ) के द्वारा अकाल राहत कार्य के दौरान कांकरोली रेलवे स्टेशन के पास करवाया गया ।
- राजसमंद झील के उत्तरी भाग को 9 चौकी की पाल उपनाम से जाना जाता है ।
- इस झील के उत्तरी भाग में स्थित किनारे के चारों ओर 9 सीढियां होने के कारण इसे 9 चौकी की पाल के नाम से जाना जाता हैं ।
- 9 चौकी की पाल पर काले संगमरमर के 25 शिलालेख में राजप्रशस्ति लिखी हुई है ।
- राजप्रशस्ति की रचना रणछोड़ भट्ट तेलंग के द्वारा संस्कृत भाषा में की गई ।
अन्य महत्वपूर्ण Fact
- इस में मेवाड के शासकों का वर्णन 1917 श्लोकों में लिखा हुआ है
- राजप्रशस्ति विश्न की सबसे बडी प्रशस्ति मानी जाती है
- राजसमंद झील में खुदाई का कार्य मालवा की गेवर बाई के द्वारा करवाया गया ।
- इस झील के किनारे अत्रकूट महोत्सव्र के लिए विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर ( वल्लभ संप्रदाय की प्रधान मीठ ) व बिना पति के सत्ती होने चाली गेवर माता का मंदिर स्थित है ।
- राजसमंद झील की प्रसिद्ध नौ चौकी की पाल व खूबसूरत झील के पाल पर छतरियों की छत्तों, स्तंभों तथा तोरण द्वार पर की गई मूर्ति वल्ला व नक्काशी को देखका स्वत: ही दिलवाड़ा के जैनमदिरों की याद आ जाती है ।
- इस झील मे उत्तर-पूर्व की पहाडी पर राजा राजसिंह के मंत्री दयालसिंह द्वारा निर्मित एक विशाल जैन मंदिर है ।
- इस झील को पुष्कर की तरह पवित्र झील का दर्जा दिया गया है ।
जयसमंद झील, उदयपुर
- जयसमंद झील का निर्माण जयसिंह के द्वारा ( 1685-91 ) गोमती नदी पर बांध बनवाकर करवाया गया ।
- इस झील को ढेबर झील के उपनाम से जाना जाता है ।
- गोमती नदी के ढेबर दरे से निकलने के कारण इस झील को देवर झील के नाम से जाना जाता है ।
- इस झील में जल गिराने वाली नदिया गोमती, झावरी व केलचा है ।
- जयसमंद राजस्थान की सबसे बडी कृत्रिम तथा सबसे बडी मीठे पानीकी झील है ।
- इस झील के किनारे कुल 7 टापू बने हुए है ।
- सबसे बड़े टापू का नाम बाबा का भांगड़ा व छोटे टापू का नाम प्यारी है ।
- इन 7 टापूओ पर भील और मीणा जनजाति के लोग निवास कस्ते है ।
- इन 7 टापूओ से 1950 में सिचाई करने हेतु श्यामपरा or भांटखैडा नहरें निकाली गई है ।
- इस झील के किनारे जयसिंह ने नर्मदेश्वर महादेव के मंदिर का निर्माण करवाया ।
- जयसमंद झील के एक टापू बाबा का मगरा के किनारे आइसलैण्ड रिसोर्ट होटल स्थित है
- इस झील में कई प्रकार के जलचर पाये जाते हैं ।
- इसलिए इसे जलचरों की बस्ती के उपनाम से जाना जाता है। की फ्लो के उपनाम से भी जाना जाता है 1
- जयसमंद झील के पूर्व मे लासडिया का पठार स्थित है ।
- इस झील में रियासत काल के हिंसक पशुओं को देखने के लिए बनाए झरोखों को औदिया कहा जाता है
- औदिया का शाब्दिक अर्थ है अवलोकन स्तंभ
पिछोला झील. उदयपुर
- इस झील का निर्माण 14वीं शताब्दी ( 1387 ) में राणा लाखा के समय छित्तरमल बनजारे के द्वारा अपने बैल की स्मृति में करवाया गया ।
- महाराणा सांगा ने 1525 में इस झील का जीर्णोद्धार करवाया ।
- यह झील राजमहल के पीछे बनी हुई है
- इस कारण इसे पिछोला के नाम से जाना जाता है ।
- इस झील को स्वरूप सागर झील के नाम से जाना जाता है
- पिछोला झील में जल गिराने वाली नदियां सीसारमा व बुझड़ा है ।
अन्य महत्वपूर्ण Fact
- इस झील के किनारे जगमंदिर व जगनिवास होटल स्थित है ।
- जगमंदिर का निर्माण करणसिंह ने 162० में शुरू किया तथा जगतसिंह प्रथम ने 1651 में इसे पूर्ण करवाया
- इस मंदिर में स्थित दिलवाड़ा हवेली में शाहजहाँ ( खुर्रम ) ने गुजरात अभियान के समय शरण ली थी ।
- जगमंदिर की प्रेरणा से ही शाहजहां ने मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया ।
- 1857 की कांति के समय अंग्रेजों ने इस झील पें शरण ली थी ।
- इस झील के किनारे लैक पैलेस होटल स्थित है
- इस झील के किनारे रूठी रानी का हवामहल तथा चित्रित दुर्ग स्थित है ।
- पिछोला झील के किनारे चामुण्डा माता का मंदिर स्थित है,
- जहाँ देवी के पद चिन्हों ( पगल्या ) की पूजा की जाती है
- इस झील में बिजारी नामक स्थान पर नटनी ( गलकी ) की स्मृति में नटनी का चबूतरा बनाया गया
- इस झील के किनारे बागोर की हवेली स्थित है
- जिसने विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है
- इस हवेली का निमाण मेवाड़ के प्रधानमंत्री अमरचंद के द्वारा करवाया गया
फ़त्तेहसागर झील उदयपुर
- इस झील का निर्माण जयसिंह ( 1688 ) के द्वारा करवाया गया ।
- इस झील का पुन: निर्माण फ़त्तेह सिंह ( 1888 ) के द्वारा करवाया गया ।
- झीलों को जोडने की अवधारणा के जनक फतेहसिह थे
- फतेहसागर झील को पहले देवली तालाब के नाम से जाना जाता था ।
- इस झील की नींव ड्यूक ऑफ़ कनॉट ( 1678 ) विद्वान के द्वारा रखी गई ।
- फतेहसागर झील को कनॉट बांध के नाम से भी जाना जाता है ।
- इस झील के किनारे नेहरू उद्यान स्थित है ।
- फतेहसागर झील में भारत की पहली सौर वैद्यशाला 1975 में अहमदाबाद में स्थित संस्थान के द्वारा स्थापित की गई ।
- इस झील के पास मोती मगरी नामक पहाडी स्थित है ।
- जिस पर महाराणा प्रताप का स्मारक बना हुआ है ।
- इस झील पर फतेहसागरबांध स्थित हैं ।
- जिसके नीचे सहेलियों की बाडी नामक उद्यान बना हुआ है ।
- सूर्य की गतिविधियों का अध्यन करने व मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए फ़त्तेहसागर झील के किनारे टेलीस्कोप स्थापित किया जायेगा ।
- जिसका निमणि बेल्जियम मे करवाया जा रहा है ।
नक्की झील माउंट आबू सिरोही
- माना जाता है कि इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से करवाया था ।
- इस झील का निर्माण 14र्वी शताब्दी में करवाया गया ।
- यह झील विवर्तनिकी/केटर झील का उदाहरण है
- नक्की झील राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई ( 1 200 मी . ) पर स्थित झील है
- यह राजस्थान की एकमात्र झील है जिसका जल सर्दियों में जम जाता है ।
- इस झील के किनारे नन रॉक, टॉड रॉक व नंदी रॉक चट्टाने स्थित है ।
- टॉड रॉक की आकृति मेंढ़क के समान, नन रॉक की आकृति महिला के बुंघट के समान तथा नंदी रॉक की आकृति बैल/शिव के नादिया/साण्ड जैसे आकार की बनी हुई है ।
- नक्की झील के किनारे हाथी गुफा चंपा गुफा, रघुनाथ जी का मंदिर तथा पैरेंट रॉक स्थित है ।
- इस झील के किनारे सनसेट अर्थात् डूबते सूर्य का द्रश्य देखा जा सकता है ।
- इस झील में गरासिया जाति के लोग अपने पूर्व जनों की अस्थियाँ विसर्जन करते है ।
- राज्य में एकमात्र हिल स्टेशन नक्की झील पर स्थित है ।
कोलायत झील, बीकानेर
- कोलायत झील के किनारे कपिल पुनि का आश्रम स्थित है ।
- कपिल मुनि को सांख्य दर्शन का प्रणेता माना जाता है ।
- पुराणी मान्यता के अनुसार कपिल मुनि ने अपनी माता की मुक्ति के लिए इस स्थान से पाताल गंगा निकाली थी,
- जो वर्तमान में कपिल सरोवर कहलाता है ।
- इस झील के किनारे कार्तिक पूर्णिमा का मेला भरता है ।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया खान गंगास्नान के समान पवित्र माना जाता है ।
- दीप दान की परंपरा इस झील की प्रमुख विशेषता है ।
- इस झील को राजस्थान का मरू उद्यान के उपनाम से जाना जाता है ।
- चारणजाति के लोग इस झील में स्नान नहीं करते है । माना जाता है कि करणी माता ने अपनी बहिन गुलाब कंवर से लाखन नाम का बेटा गोद लिया, जिसकी मृत्यु कोलायत झोल में डूबने से हुई ।
- इस घटना के पश्चात चारण जाति का कोई भी सदस्य इस झील में स्नान नहीं करता ।
आना सागर झील अजमेर
- इस झील का निर्माण अणोंराज/आना जी ने अजमेर में चंद्रा नदी के पानी को रोककर करवाया था ।
- अर्णोराज ने इस झील का निर्माण तुर्क सैना के नरसंहार से खून से लाल हुई धरती को धोने के लिये करवाया था ।
- जहाँगीर ( सलीम ) ने इस झील के किनारे दौलत बाग का निर्माण करवाया था
- जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है ।
- दौलतबाग में जहांगीर ने अंग्रेज राजदूत सर टॉमस रॉ से वार्ता की ।
- दोलतबाग मे नूरजहाँ की मां अस्मत बेगम ने गुलाब के इत्र का आविष्कार किया ।
- दौत्ततबाग के पास ही जहाँगीर ने चश्या-ए-नूर नामक एक झरने का निर्माण करवाया था ।
- जहांगीर ने इस झील के पास ही एक महल का निर्माण करवाया, जिसके वर्तमान में खण्डर मौजूद है ।
- इस महल को रूठी रानी का महल/जहांगीर की बेगम नूरजहाँ का महल भी कहते है ।
- इस झील के पास से ही लूनी नदी का उद्गम होता है ।
सिलीसेढ़ झील, अलवर
- इस झील का निर्माण विनय सिंह के द्वारा करवाया गया ।
- झील को राजस्थान का नंदन कानन कहा जाता है ।
- इस झील के किनारे बिनयसिह ने 1845 में शिकारी लॉज व अपनी रानी शीला के लिए 6 मजिला शाही महल का निर्माण करवाया जो वर्तमान में होटल लेक प्लेट के नाम से जाना जाता हैं
- यह झील पालन हेतु प्रसिद्ध है
- इसमें नौकायन की सुविधा भी उपलब्ध है ।
बालसमंद झील जोधपुर
- इस झील का निर्माण 1159 में बालकराय परिहार के द्वारा मण्डोर नामक स्थान पर कस्वाया गया ।
- जोधपुर के शासक महाराजा सूरसिंह ने इस झील के मध्य में अष्ट खंभा महल का निर्माण करवाया ।
- इस झील में पानी नहरों के द्वारा गुलाब सागर बांध से आता है ।
- सूरसिह ने इस झील के ऊपरी किनारे पर एक वाहरदरी का निर्माण करवाया एवं झील के दक्षिण में सूरसिंह ने अपनी रानी के लिए एक महल का निर्माण करवाकर उस महल मे एक बाग बनवाया जिसे जनाना बाग के नाम से जाना जाता हैं ।
मोती झील भरतपुर
- इस झील का निर्माण सूरजमल जाट के द्वारा रूपारेल नदी के जल क्रो रोक कर के करवाया गया ।
- सूरजमल जाट को जाटों का प्लेटो तथा अफलातून राजा के उपनाम से जाना जाता है ।
- मोती झील को भरतपुर की जीवन रेखा के उपनाम से जाना जाता है ।
- मोती झील में नील हरित शैवाल पाये जाते है ।
गेवसागर झील डूंगरपुर
- झील का निर्माण महारावल गोपीनाथ के द्वारा करवाया गया ।
- इस झील को एडवर्ड सागर बांध के उपनाम से भी जाना जाता है ।
- इस झील के किनारे काली बाई का स्मारक तथा बादल महल स्थित है ।
कायलाना झील जोधपुर
- तीन ओर से पहाडियों से घिरी यह एक प्राकृतिक झील है ।
- झील का आधुनिकीकरण 1872 में सर प्रतापसिह ने करवाया ।
- इस झील को प्रतापसागर झील के नाम से भी जाना जाता है ।
- झील के किनारे भारत का प्रथम मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी यार्क स्थित है
- इस झील में जल की व्यवस्था इंदिरा गांधी नहर की राजीव गांधी लिपट नहर के द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है ।
- यह जोधपुर जिले की सबसे बडी झील है ।
फायसागर झील अजमेर
- इस झील का निर्माण 1891-92 में अकाल राहत कार्य के दोरान बांडी नदी के जल को रोककर अजमेर नगर परिषद द्वारा फॉय नामक अंग्रेज इंजिनियर के दिशा निर्देश में करवाया गया ।
- इस झील का जल स्तर बढ़ जाने पर इस झील का जल आनासागर झील में जाता है ।
स्वरूपसागर झील, उदयपुर
- इस झील का निर्माण 1857 में महाराणा स्वरूप सिंह ने करवाया ।
- स्वरूप सागर झील फतेहसागर एवं पिछोला झील को जोडने वाली एक तंग झील है ।
गजनेर झील, बीकानेर
- गजनेर में ' गंगा सरोवर ' झील है
- जिसका निर्माण 1920 में महाराजा गंगासिह ने करवाया ।
- इस झील को पानी का शुद्ध दर्पण के उपनाम से भी जाना जाता है ।
बुड्ढा जोड़ जिला श्रीगंगानगर
- इस झील को जल की व्यवस्था गंगनहर के द्वारा उपलब्ध कस्वाई जाती है ।
अमर सागर झील, जैसलमेर
- अमर सागर झील के निकट ही राज्य का प्रथम पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया ।
उदयसागर झील, उदयपुर
- इस झील का निर्माण महाराणा उदय सिह ( 1559-65 ) ने करवाया ।
- इस झील को जल की व्यवस्था बेड़च ( आयड़ ) नदी के द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है ।
- महाराणा प्रताप ने उदयसागर झील की पाल पर ही मानसिंह के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया था ।
तालाब शाही, धौलपुर
- इस झील का निर्माण जहाँगीर के द्वारा करवाया गया ।
रामसागर झील, धौलपुर
- इस झील के चारों और रामसागर अभयारण्य स्थित है ।
चोपडा झील, पाली
- संत मावजी द्वारा लिखित 5 ग्रंथ चोपड़ा कहलाते है ।
नंदसमंद झील, राजसमंद
- इस झील को राजसमंद की जीवनरेखा के उपनाम से भी जाना जाता है ।
बूझ झील, जेसलमेर
- इस झील को जल की व्यवस्था कक्तिनी/ककिंनेय/मसूरदी नदी के द्वारा उपलब्ध कस्वाई जाती है ।
दोस्तों यह
Rajasthan GK (Raj GK )
Rpsc Exam ka gk याद करने का सबसे आसान तरीका है इस पोस्ट से आप राजस्थान की झीलों की (Rajasthan ki Jhile ) को Step by Step आसानी से पढ़कर याद कर सकते हैं अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करना
4 Comments
राष्ट्रीय झील सरंक्षण योजना में राजस्थान की कुल कितनी झील है?
ReplyDelete6
Deleteपिछोला झील नक्की झील फतेह सागर आना सागर पुष्कर झील मानसागर झील
8झीले पुष्कर ,अन्नासागर ,फतेहसागर, पिछोला ,जयसमंद ,जैतसागर,नक्की व स्वरूप सागर
ReplyDelete8
ReplyDeleteपिछोला पुष्कर नक्की फतेह सागर आना सागर जयसमंद स्वरूप सागर जैतसागर